Chandigarh News: किसी समय 1 लाख से भी कम आबादी वाला जीरकपुर शहर आज 6 लाख से अधिक आबादी वाला शायर बन गया है। यहां पर लगातार निर्माण कार्य चल रहे हैं लगातार हर तरफ निर्माण कार्य चलने के साथ-साथ बीच में बहुत से निर्माण अवैध रूप से भी किए जा रहे हैं जिनको रोकने के लिए सीधी सीधी नगर कौंसिल जीरकपुर की ही जिम्मेदारी बनती है। हर रोज शिकायतें आने के बावजूद भी नगर कौंसिल द्वारा अवैध निर्माणों पर काबू पाना टेडी खीर बना हुआ है। इसके कई कारण हो सकते हैं जिसमें पहला कारण तो स्टाफ की कमी है।
नगर कौंसिल द्वारा अवैध निर्माणों को रोकने के लिए जीरकपुर शहर को 5 जोन में बांटा गया है और इनमें दो बिल्डिंग इंस्पेक्टर तथा तीन ड्राफ्ट्समैन की ड्यूटी लगाई गई है। नगर कौंसिल के कार्यकारी अधिकारी द्वारा 5 नवंबर 2024 को एक पत्र जारी करके बिल्डिंग इंस्पेक्टर अजय बराड़ को जोन ए, बी और सी दिए गए हैं तथा बिल्डिंग इंस्पेक्टर शिवानी बंसल को जोन डी तथा ई दिए गए हैं। यहां पर एक बड़ा सवाल उठता है कि यह दोनों बिल्डिंग इंस्पेक्टर पूरे शहर में चल रहे अवैध निर्माण कैसे रोक सकते हैं। बिल्डिंग इंस्पेक्टर शिवानी बंसल हफ्ते में मात्र दो दिन के लिए ही जीरकपुर में आती हैैं।
जीरकपुर शहर में अवैध निर्माणों को रोकने के लिए शहर को 5 जोन में बांटा गया है। जोन ए, बी और सी को तो बिल्डिंग इंस्पेक्टर अजय बराड़ देख रहे हैं। जॉन डी तथा ई में अवैध निर्माणों को रोकने के लिए बिल्डिंग इंस्पेक्टर शिवानी बंसल की ड्यूटी लगी हुई है लेकिन जो हालात आजकल इन दो जोन में चल रहे हैं इनको देखते हुए कहा जा सकता है कि यहां पर अवैध निर्माण कर्ताओं की चांदी बनी हुई है क्योंकि उन्हें रोकने वाला यहां पर कोई नहीं है शहर का पोश इलाका वीआईपी रोड इस बिल्डिंग इंस्पेक्टर के अधिकार क्षेत्र में ही आता है जिनकी ड्यूटी हफ्ते में मात्र दो दिन होती है और कई बार तो वह इन दिनों में भी यहां पर मौजूद नहीं होते।
अगर कोई अवैध निर्माण संबंधी शिकायत करने की कोशिश करता है तो बिल्डिंग इंस्पेक्टर शिवानी बंसल द्वारा उसका फोन नहीं उठाया जाता और अगर किसी अन्य अधिकारी को मिलकर इस क्षेत्र की कोई शिकायत देने की कोशिश करता है तो उसे यही जवाब मिलता है कि आप संबंधित बिल्डिंग इंस्पेक्टर के पास जाओ। अवैध निर्माण संबंधी अगर कोई पत्रकार जानकारी लेने के लिए बिल्डिंग इंस्पेक्टर शिवानी बंसल को फोन करता है तो उसका भी फोन नहीं उठाया जाता। उनकी ऐसी कार्य प्रणाली अब संदेह के घेरे में है। इसलिए जोन डी तथा जोन ई में चल रहे अवैध निर्माणों पर अब अंकुश लगाना मुश्किल ही नहीं नामुमकिन लग रहा है।