Chandigarh News: संत निरंकारी समागम: आध्यात्मिकता और मानवता का संदेश

0
146
Chandigarh News
Chandigarh News: पिंजौर की धरमपुर कॉलोनी ग्रीन वैली में संत निरंकारी मंडल द्वारा एक भव्य समागम का आयोजन किया गया। इस समागम में बड़ी संख्या में श्रद्धालु शामिल हुए और आध्यात्मिक ज्ञान से लाभान्वित हुए। मंच की शोभा बढ़ाते हुए सतगुरु के मार्गदर्शन में महात्मा एसके दीवान जी ने अपने प्रेरणादायक प्रवचनों से संगत को मोह लिया।
महात्मा एसके दीवान जी ने अपने संबोधन में इस बात पर जोर दिया कि परमात्मा केवल हमारी श्रद्धा और सही दृष्टिकोण से देखा जा सकता है। उन्होंने कहा, “परमात्मा हर जगह है, लेकिन उसे देखने के लिए हमारी आंखें और दिल तैयार होने चाहिए। अगर हम अपने भीतर की आंखों को खोल सकें, तो हमें हर जगह ईश्वर के दर्शन होंगे।” उन्होंने समझाया कि संत निरंकारी महापुरुष सदैव मानवता की सेवा में तत्पर रहते हैं और सभी को एक-दूसरे के प्रति प्रेम और करुणा का व्यवहार करने का संदेश देते हैं।
समागम का मुख्य उद्देश्य आत्मा और परमात्मा के बीच के गहरे संबंध को समझाना और मानवता की भलाई के लिए कार्य करना था। महात्मा जी ने संगत को प्रेरित किया कि वे अपने जीवन में सेवा, समर्पण और सत्यता के मार्ग पर चलें। उन्होंने बताया कि ईश्वर को पाने के लिए किसी बाहरी साधन की आवश्यकता नहीं, बल्कि सच्ची नीयत और समर्पण जरूरी है।

समाज सेवा पर जोर

समागम में यह भी बताया गया कि संत निरंकारी मिशन का मूल उद्देश्य मानवता की सेवा करना और समाज में भाईचारे की भावना को बढ़ावा देना है। उन्होंने कहा, “हमारा मिशन यह है कि हम इंसान को इंसान से जोड़ें और परमात्मा से उसका रिश्ता मजबूत करें। सेवा ही सबसे बड़ा धर्म है और इसे पूरी निष्ठा और समर्पण के साथ करना चाहिए।”
महात्मा जी ने सत्संग में यह संदेश भी दिया कि इंसान को अपने अंदर झांकना चाहिए और यह सोचना चाहिए कि वह दूसरों के लिए क्या कर सकता है। उन्होंने कहा, “रब को पाने के लिए हमें एक सच्चे मार्गदर्शक की आवश्यकता होती है, जो हमें यह सिखा सके कि आत्मा और परमात्मा के बीच का फासला कैसे खत्म किया जाए।”

सकारात्मक ऊर्जा और प्रेरणा

समागम के दौरान भजन, कीर्तन और प्रवचनों ने संगत को एक नई ऊर्जा और प्रेरणा से भर दिया। श्रद्धालुओं ने समागम में भाग लेकर न केवल आध्यात्मिक शांति का अनुभव किया, बल्कि अपने जीवन में सुधार लाने का संकल्प भी लिया।
महात्मा जी ने कहा, “इंसान को चाहिए कि वह अपने गुरुओं के उपदेशों पर ध्यान दे और उन्हें अपने जीवन में लागू करे। अगर हम अपने मन में सकारात्मकता और प्रेम को जगह दें, तो हमारा जीवन खुद ही सुखद और शांति से भर जाएगा।”

संदेश: “रब दे दर्शन कर लो”

समागम का मुख्य संदेश था, “रब दे दर्शन कर लो।” इसका अर्थ है कि हर व्यक्ति अपने जीवन में परमात्मा के दर्शन कर सकता है, यदि वह सही मार्गदर्शन और निष्ठा के साथ प्रयास करे। महात्मा जी ने बताया कि हमारे भीतर जो प्रेम, करुणा और सेवा का भाव है, वह ही हमें परमात्मा के करीब ले जाता है।

श्रद्धालुओं का उत्साह

समागम में भाग लेने वाले श्रद्धालुओं ने इसे एक अद्भुत अनुभव बताया। उन्होंने कहा कि यह समागम न केवल उन्हें आध्यात्मिक रूप से मजबूत बनाता है, बल्कि उन्हें अपने जीवन को सही दिशा में ले जाने के लिए प्रेरित भी करता है।
संत निरंकारी मंडल का यह प्रयास समाज में शांति, सद्भाव और सेवा की भावना को बढ़ावा देता है। महात्मा एसके दीवान जी के प्रवचनों ने सभी को यह सिखाया कि जीवन में सच्चा सुख केवल सेवा, समर्पण और सत्यता के मार्ग पर चलकर ही पाया जा सकता है।