Chandigarh News: संघर्ष जीवन का बड़ा ही महत्वपूर्ण हिस्सा है। जिस प्रकार रात के बाद ही सवेरा होता है अगर जीवन में रात नहीं आई तो निश्चित तौर पर सवेरा भी नहीं होगा। उसी तरह बिना संघर्ष के कोई भी मनुष्य कभी सफल नहीं हो सकता। एक प्रकार से संघर्ष सफलता की चाबी है। यह बात असल में भी उतनी ही सत्य है।

संघर्ष जीवन का वह महत्वपूर्ण पहलू है जिसकी ताकत और सहनशीलता पारंपरिक सुंदरता को बढ़ावा देती है। यह उस उत्कृष्टता तक पहुंचने का रास्ता है जिसमें सफलता और खुशी छिपी हुई है। खुशी की कीमत क्या होती है, यह सिर्फ वही लोग समझते हैं जिन्होंने अपनी आँखों में संघर्ष देखा है। ये शब्द मनीषीसंतमुनिश्रीविनयकुमार जी आलोक ने अणुव्रत भवन सैक्टर 24सी तुलसीसभागार मे अपने व्यक्त्व मे कहे।

मनीषीसंत ने आगे कहा   जीवन संघर्षों से भरा एक सफर है, जिसमें हमें विभिन्न प्रकार की चुनौतियों का सामना करना पड़ता है। असफलता, संकट और आपत्तियां – ये सब हमारे जीवन का अभिन्न अंग हैं। संघर्ष के माध्यम से हम अपनी कमियों को पहचानते हैं और उन्हें सुधारने का प्रयास करते हैं।
दरअसल यही वह समय होता है जो हमें खुद से मिलाता है। जीवन में अगर किसी व्यक्ति के संघर्ष नहीं आएगा तो खुद के बेहतर रुप से कभी मिल ही नहीं पाएगा इसलिए संघर्ष को सहज स्वीकार कर लेना चाहिए। संघर्ष की उपलब्धि के पीछे एक और महत्वपूर्ण कारण है खुशी के महत्व को समझना।
जब हम आसानी से सफल नहीं होते हैं और कठिनाइयों का सामना करते हैं, तो हम अपनी स्वार्थी इच्छाओं को त्यागने की क्षमता हासिल कर लेते हैं। हम सीखते हैं कि खुशी पाने के लिए कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है और यही हमें आगे बढऩे की ताकत देती है।
द्दद्घ  मनीषीसंत ने कहा संघर्ष के माध्यम से हम अपनी अदृश्य सीमाओं को भी चुनौती देते हैं। हमारी सामाजिक, मानसिक और भावनात्मक सीमाएँ हमें अकेलेपन में बंद कर सकती हैं, लेकिन संघर्ष के माध्यम से हम उन सीमाओं को तोड़ सकते हैं और नई संभावनाओं के द्वार खोल सकते हैंऔर ऐसी खूबसूरत और प्यारी दुनिया में प्रवेश कर सकते है जो पहले हम कभी रूबरू नहीं हुए थे। सफलता की राह में संघर्ष की सीख भी जरूरी है। यदि हम जीवन की कठिनाइयों से भागते रहेंगे तो हम कभी भी अपने लक्ष्य तक नहीं पहुंच पाएंगे। सफल होने के लिए हमें उन कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है।
मनीषीसंत ने अंत मे फरमाया जीवन  संघर्ष का दूसरा नाम है ! एक बात हमेशा याद  रखिए,  अपनी मंजिल का आधा रास्ता तय करने  बाद पीछे ना देखे बल्कि पुरे जूनून और विश्वाश के साथ बाकि की आधी दूरी तय करे , बीच रास्ते से लौटने का कोई फायदा नहीं क्योकि लौटने पर आपको उतनी ही दुरी तय करनी पड़ेगी जितनी दुरी तय करने पर आप लक्ष्य तक पहुंच सकते हो !  आप सब सोचते होंगे पढऩा लिखना  और कहना आसान है लेकिन करना बहुत मुश्किल है ! ये बात हम  सब जानते है सरलता और  सहजता से किसी को  हाशिल नहीं हुआ है ! इतिहास गवाह है इस बात का की आज भी लोग महान  कमयाब लोगो को उनके किये हुए संघर्ष की वजह से याद करते है !