Chandigarh News : घगगर नदी में रात के समय की जा रही माइनिंग, विभाग गहरी नींद में,ठेका खत्म होने के बावजूद रात के समय काम किया जा रहा है

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Mining is being done at night in Ghaggar river, the department is in deep sleep, work is being done at night despite the contract ending
घग्गर में हुई मीनिंग का दृश्य और रात के अंधेरे में चल रही जेसीबी का दृश्य
  • नियमों से ज्यादा खोद डाली जमीन, देखागा कोन, लोगों ने की विजिलेंस जांच की मांग

(Chandigarh News) जीरकपुर। गांव छत व शताबगढ़ से निकलने वाली घग्गर नदी से खनन माफिया ने परमीशन से ज्यादा रेत निकाल लिया है। लेकिन पुलिस और प्रशासन को इसकी भनक तक नहीं लगी। हालांकि मिट्टी निकालने का जिस कंपनी को ठेका दिया गया था वह 2 अप्रैल को खत्म हो चुका है, समय अवधि पूरी होने के बावजूद भी खनन माफिया रात के समय मिट्टी व रेत निकाली जा रही है। रात के समय पोकलेन मशीनों से मिट्टी निकाली जा रही है।

आलम यह है कि अब वहां पर कई -कई फुट के गहरे खड्डे बन चुके हैं जिनमें घग्गर का पानी भरा हुआ है

हैरानी की बात यह है कि जिस कंपनी के पास यह ठेका था उन्होंने मंजूरशुदा जगह से कहीं आगे तक मिट्टी निकाल ली है। आज जब मौके का मोयाना किया गया तो वहां पर 15 से 20 फीट तक रेट निकल जा चुकी है जबकि नियमों अनुसार कंपनी को 7 से 8 फीट तक रेत निकालने की परमिशन थी। आलम यह है कि अब वहां पर कई -कई फुट के गहरे खड्डे बन चुके हैं जिनमें घग्गर का पानी भरा हुआ है।

आसपास गांव के लोगों की मांग है कि कंपनी के खिलाफ विजिलेंस जांच होनी चाहिए

ऐसे में आसपास गांव में रहने वाले बच्चे गर्मियों के समय यहां नहाने के लिए आ जाते हैं। गहराई का अनुमान न होने के चलते यहां कभी भी कोई बड़ा हादसा हो सकता है। धामपुर में ऐसा ही एक हादसा हो चुका है जिसमें एक 11 साल के बच्चे की डूब कर मौत हो गई थी। मौके का दौरा करने से साफ जाहिर होता है कि कंपनी परमिशन की आड़ में गैर कानूनी काम कर रही है और अनुमति से ज्यादा मिट्टी निकाल कर सरकार के रेवेन्यू को भी नुकसान पहुंचा रही है। आसपास गांव के लोगों की मांग है कि कंपनी के खिलाफ विजिलेंस जांच होनी चाहिए।

आज जब मौके का दौरा किया गया तो वहां पर एक पोकलेन मशीन खड़ी थी। इतनी बड़ी मशीनरी शिफ्ट करने में काफी वक्त लगता है, अब यहां से सिर्फ एक मशीन मिली है। इससे इस बात की संभावना भी है कि विभाग के कुछ लोग इनसे मिले हुए हैं।अवैध खनन की बात करें तो परमिशन की आड़ में खनन माफिया दो से तीन एकड़ में मिट्टी निकाल चुका है।

इससे डैम को भी खतरा पैदा हो गया है। बता दें कि यह ईको सेंसटिव जोन है, यहां अवैध खनन करना तो दूर यहां से मिट्टी उठाना और हरे पेड़ों को नुकसान पहुंचाना भी अपराध की श्रेणी में माना जाता है। गांववालों का कहना है कि खनन पर प्रतिबंध कागजों तक सीमित है। इसी का नतीजा है कि प्रतिदिन यहां से बड़ी मात्रा में अवैध खनन कर राजस्व को चूना लगाया जा रहा है।

पंजाब में प्राकृतिक खनिज पदार्थों की अवैध रूप में हो रही माइनिंग को रोकने के लिए सुप्रीम कोर्ट और नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ऑफ इंडिया ने पाबंदी लगाई है, लेकिन आलाधिकारियों की कथित शह पर अवैध खनन का खेल जारी है। अवैध खनन को पिछली सरकार के समय सारी पार्टियों ने चुनाव में मुद्दा बनाया था। मौजूदा कैप्टन सरकार ने 2017 में इसे मुद्दा बनाकर सरकार बनाई थी पर चुनाव जीतने के बाद यह मुद्दा सिर्फ चुनावी मुद्दा बनकर रह गया।
प्रदेश सरकार ने नई खनन पॉलिसी भी नहीं बनाई

मौजूदा पंजाब सरकार ने कहा था कि नई खनन पॉलिसी बनाई जाएगी, परंतु अभी तक ऐसा कुछ नहीं हुआ। सरकार के इस ढीले रवैये के चलते जीरकपुर क्षेत्र में जायज अलॉट रामपुरा घाट की आड़ में घग्गर नदी के किनारे छतबीड़ जू के पीछे वन विभाग और ड्रेनेज विभाग की सैकड़ों एकड़ जमीन से माफिया ने करोड़ों की रेत और मिट्टी खोद करके सरकार को चूना लगा दिया है, जो रविवार की रात तक जारी था। इसके गवाही पोकलेन मशीनों के चेन और टिप्परों के टायरों के निशान दे रहे हैैं।

कोट्स

हमने कैमरे चेक करवाए हैं वहां कोई मीनिंग नहीं हो रही अगर आपके पास तस्वीरें हैं तो आप मुझे मेरे नंबर पर वह तस्वीर भेजें मैं बनती कार्रवाई करूंगा।
आकाश अग्रवाल, एक्सईएन माइनिंग विभाग