Chandigarh News: पंजाब की अग्रणी हेल्थकेयर चेन लिवासा हॉस्पिटल्स ने हड्डियों की सेहत को लेकर अपनी प्रतिबद्धता को और मज़बूती दी , नवांशहर यूनिट में आयोजित एक कॉन्फ्रेंस में एक अनोखे मरीज केस स्टडी को प्रस्तुत किया गया।
इस अवसर पर डॉ. शिव दास सिद्धू, ऑर्थोपेडिक कंसल्टेंट, लिवासा हॉस्पिटल नवांशहर द्वारा 73 वर्षीय महिला पर की गई एक दुर्लभ और उन्नत सर्जरी को मुख्य रूप से उजागर किया गया। महिला गंभीर ऑस्टियोपोरोसिस से ग्रस्त थीं और कंधे की जटिल फ्रैक्चर से पीड़ित थीं। डॉ. सिद्धू ने पारंपरिक मेटल प्लेट तकनीक की बजाय फाइबुलर स्ट्रट ग्राफ्टिंग नामक नवाचारी प्रक्रिया को अपनाया, जिससे न केवल मरीज की मूवमेंट बहाल हुई बल्कि बुजुर्ग मरीजों में जटिल फ्रैक्चर के उपचार का एक नया मानदंड स्थापित हुआ।
यह मामला इसलिए भी चुनौतीपूर्ण था क्योंकि महिला की हड्डियाँ अत्यंत कमजोर थीं, जिस कारण पारंपरिक मेटल प्लेट्स का उपयोग जोखिमभरा था। ऐसे में डॉ. सिद्धू ने एक अनूठा लेकिन कारगर तरीका अपनाया – मरीज की ही फाइबुला हड्डी का एक हिस्सा निकालकर क्षतिग्रस्त ह्यूमरस बोन में ग्राफ्ट किया गया। इस तकनीक ने आंतरिक रूप से हड्डी को मजबूती देने के साथ-साथ उसके प्राकृतिक रूप से ठीक होने की प्रक्रिया को भी तेज किया।
सर्जरी के साथ-साथ मरीज को तीन महीने तक टेरेपैराटाइड इंजेक्शन्स भी दिए गए, जो नई हड्डी बनने में मदद करते हैं। इस दोहरा इलाज के कारण महिला को अपेक्षा से कहीं तेजी से राहत और चलने-फिरने की आज़ादी मिली।
लिवासा हॉस्पिटल्स के डायरेक्टर और सीईओ डॉ. पवन कुमार ने इस नवाचारपूर्ण सर्जरी की सराहना करते हुए कहा, “भारत में ऑस्टियोपोरोसिस से संबंधित फ्रैक्चर तेजी से बढ़ रहे हैं, विशेष रूप से वृद्ध महिलाओं में। लेकिन कई बार जागरूकता और तकनीकी संसाधनों की कमी के कारण मरीजों को उन्नत उपचार नहीं मिल पाता।
हमें न केवल व्यक्तिगत देखभाल बल्कि नवाचारी सर्जरी और हड्डियों की सेहत को ऑर्थोपेडिक योजना में शामिल करने की आवश्यकता है। लिवासा हॉस्पिटल्स उन्नत मेडिकल तकनीकों और प्रमाण-आधारित अभ्यासों के साथ जटिल मामलों में भी बेहतरीन परिणाम देने के लिए प्रतिबद्ध है।”