Chandigarh News: साहित्यिक संस्था ‘काव्य कदम’ भारत रत्न डॉ. बी. आर. अम्बेडकर महासभा पंचकूला  द्वारा संयुक्त रूप से ‘काव्य संगम’ का आयोजन किया गया।कवि राज गुणपाल बालकिया द्वारा बखूबी मंच संचालन किया गया। मुख्य अतिथि आर. पी. साहनी पूर्व मुख्य महाप्रबंधक, हैफेड ने दीप प्रज्वलन कर कवि सम्मेलन का शुभारंभ किया।
सरदार हरपाल सिंह, सुरेंद्र कुमार जाटव, दया किशन सभरवाल, महासभा के प्रधान सुरेश मोरका, गुरु रविदास सभा, सेक्टर 15, पंचकूला के प्रधान कृष्ण कुमार तथा भारत रत्न डॉ. बी. आर. अंबेडकर सभा, जीरकपुर के प्रधान जयबीर सिंह रंगा, मदनलाल चोपड़ा, तेजपाल आदि गणमान्य व्यक्ति उपस्थित रहे।
साहनी ने अपने व्याख्यान में सभी कवियों के उम्दा काव्य पाठ की प्रशंसा करते हुए  कहा कि कवियों में वर्तमान परिवेश के अनुसार समाज को आईना दिखाने का बेहतर साहस करते है अतः उभरते कवियों और शायरों को मंच प्रदान कर पर्याप्त अवसर प्रदान करने चाहिएं। उन्होंने निकट भविष्य में एक राष्ट्रीय स्तर का मुशायरा भी पंचकूला में आयोजित करवाने का आह्वान किया।
चंडीगढ़ के सर्वेश ‘शायर’ ने अपनी ग़ज़ल ‘पानी है सामने पर अब प्यास वो नहीं है’ सुनाया। ग़ज़लकार राजन तेजी ‘सुदामा’ ने ‘अभी हमको सूरज उगाने बहुत हैं, चमन में परिंदे उड़ाने बहुत हैं’ ग़ज़ल गाकर समां बांध दिया।
‘काव्य कदम’ के अध्यक्ष बलवान सिंह ‘मानव’ ने अपनी रचना ‘ऐसा मैं कोई गीत लिखूं, प्रेम पर संगीत लिखूं’ सुनाकर सबको मोह लिया।
राम कुमार वर्मा ‘राम’ अपनी ग़ज़ल ‘मेरी ज़िंदगी में रब का फ़ज़ल हो तुम, चल रहा हूं मैं और मजल हो तुम’ कही। सीमा चहल ‘पुष्प’ ने अच्छी रचना ‘आखिर क्यों नहीं लिख पाती हूं मैं सुंदर कविताएं, क्यों नहीं कर पाती हूं ने सुंदर उपमाएं’ सुनाई। अनीता नरवाल ने खूबसूरत ग़ज़ल ‘ना ढूंढो कभी भी खुदा को किसी में, कमी बक्शी है उस खुदा ने सभी में’ सुनाकर खूब वाहवाही लूटी।
प्रो. जसवंत सिंह ‘जस्सू’ ने ‘सुन, चलो एक काम कर लें, हम एक दूसरे को याद कर लें’ प्रस्तुत की। ऋषि राज ‘ऋषि’ ने पंजाबी हास्य कविता ’गए सी व्याह विच शिखर दोपहर सी, भिड़ी जीही जगह उत्तों गर्मी दा कहर सी’ सुनाकर महफिल खुशनुमा कर दी। अंजू बरबड़ ने हरियाणवी कविता ‘भाब्बी सै मेरी तीन, खाट्टी अर नमकीन’ सुनाकर सबको हंसा दिया।
शशि जरोदिया ने अपनी रचना ‘जज़्बा-ए-दिल को कभी अमल में लाओ तो सही’ पेश की। उन्होंने ‘जज्बा ए दिल को अमल में कभी लो तो सही, अपनी मंजिल की तरफ पांव बढ़ाओ तो सही।  सोहन लाल रंगा ने वंचित महरूम को इंगित अपनी कविता ‘कलम की ताकत पहचानने लगा है।
संदीप भगवाड़िया ‘संवेदी’ ने ‘पिता खुला आसमान है तकलीफों से बचने का मकान है’ सुनाई। विशु ने ग़ज़ल ‘करना मगर तरस करके प्यार न करना’ सुनाई। कुमार सतीश ने ग्राम्य जीवन पर ‘जब मैं छोटा होता था, मेरे गांव का माहौल ऐसा होता था’ कविता सुना पुराने समय का ग्रामीण परिवेश चित्रित किया।
मनोज ने दृष्टिहीन व्यक्तियों की समस्याओं को अपने काव्य पाठ में मार्मिक ढंग से प्रस्तुत किया। बाल कवि विजय रंगा ने भी कविता के माध्यम से अपने मनोद्गार प्रकट किये। जगत पाल  कुछ बातों को राज रहने दो
सामने वाला उकसाएगा जो कहे उसे कहने दो।
कीर्ति विद्रोही सामाजिक व्यवस्था पर कटाक्ष करते हुए काव्य पाठ किया, ‘वह जहां भी जाता है मंदिर बनवाता है,
आशा रानी ने बाबासाहेब के योगदान को कविता के माध्यम से प्रकट किया   ’14 अप्रैल को जन्मा वीर एक महान रचा इतिहास जिसने बना भारत का संविधान’।
ममता ग्रोवर महिला सशक्तिकरण अपनी कविता प्रस्तुत की ‘वीरांगना, मातृशक्ति, मरदानी जैसे शब्दों से अलंकृत करना मुझ नारी को भले ही छोड़ दो , उन्मुक्त गगन में समानता के पर दे दो फिर चाहे मुझ नारी को नारी ही रहने दो’ ।
महासभा के प्रधान सुरेश मोरका ने सभी आगंतुकों का आभार जताया।