(Chandigarh News) चंडीगढ़। निरंकारी सतगुरु माता सुदीक्षा जी महाराज व सत्कारयोग निरंकारी राजपिता रमित जी की रहनुमाई मे एग्जिबिशन ग्राउंड (गलाडा) लुधियाना में विशाल निरंकारी संत समागम का आयोजन किया गया। जिसमें चंडीगढ़ व पंजाब सहित हरियाणा, हिमाचल प्रदेश व राजस्थान से बड़ी गिनती में श्रद्धालुओं ने पहुंच कर सतगुरु माता जी का आशीर्वाद प्राप्त किया।
प्रभु परमात्मा ने इन्हीं गुणों को अपनाने के लिए विवेक व बुद्धि प्रदान की है
इस समागम के दौरान अपने प्रवचनों में सतगुरु माता सुदीक्षा जी महाराज ने फरमाया कि घर, परिवार व समाज में रहकर भक्ति करनी संभव है। आध्यात्मिक विकास को प्रोत्साहन देकर ही घर, समाज मे परोपकार के गुणों को बढ़ाया जा सकता है। यह केवल ब्रह्मज्ञान से ही संभव है।उन्होंने आगे कहा कि हमें दूसरों के बारे में गलत धारणाएं बनाकर गलत धारणाओं का व्याख्यान नहीं करना चाहिए। इससे निंदा जैसे अवगुणों को बढ़ावा मिलता है। लेकिन संत महात्मा सकारात्मक गुणों को बढ़ाकर समाज में परोपकार को सृजित करता है। प्रभु परमात्मा ने इन्हीं गुणों को अपनाने के लिए विवेक व बुद्धि प्रदान की है।
सतगुरु माता जी ने एक उदाहरण से समझाया कि एक चिड़िया ने अपने घोंसले को बनाने के लिए एक पेड़ से मांग की। उसके मना करने पर उसने दूसरे पेड़ के कहने पर वहां घोंसला बना लिया। कुछ देर बार आंधी आने के कारण पहला पेड़ गिर गया। इस पर अहंकार में लिप्त चिड़िया ने पेड़ के व्यवहार के बारे में काफी कुछ कहा। दूसरी तरफ पेड़ ने कहा कि वे जानता था कि उसकी हालत जर्जर है, इसलिए उसने चिड़िया व उसके परिवार की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए ही मना किया था। यह उदाहरण यही समझाती है कि किसी के बारे में कभी भी कुछ भी धारणाएं नहीं बनानी चाहिए। इसलिए छोटे नजरिए को समाप्त कर असीम से विस्तार की ओर जुड़कर समाज में खुशहाली बनानी चाहिए।
हमें अपने घरों में भी आपसी रिश्तों को पूरी अहमियत देनी चाहिए तथा साथ में सेवा, सिमरन व सत्संग को भी पहल देनी चाहिए
सतगुरु माता जी ने कहा कि आध्यात्मिकता कभी आयु की मोहताज नहीं होती। परमात्मा की जानकारी किसी भी आयु में प्राप्त की जा सकती है। उन्होंने भक्त प्रहलाद जी कि उदाहरण देते हुए समझाया कि उन्हें भी ब्रह्मज्ञान छोटी आयु में प्राप्त हुआ था। इसलिए हर कोई परमात्मा की जानकारी आयु के किसी भी पड़ाव में प्राप्त करके अपना जीवन सफल कर सकता है।सतगुरु माता जी ने कहा कि हमें संसारिक रिश्तों को निभाते हुए भी भक्ति भरा जीवन जीना चाहिए। दुनियावी वस्तुओं का सदुपयोग करने के साथ साथ उनसे बिना बंधे हुए परमात्मा से ही जुड़कर जीवन जीना चाहिए। हमें अपने घरों में भी आपसी रिश्तों को पूरी अहमियत देनी चाहिए तथा साथ में सेवा, सिमरन व सत्संग को भी पहल देनी चाहिए।
इस अवसर पर कपूरथला के जोनल इंचार्ज गुलशन लाल आहूजा व लुधियाना के संयोजक अमित कुंद्रा ने सतगुरु माता सुदीक्षा जी महाराज व सत्कारयोग निरंकारी राजपिता रमित जी का लुधियाना पहुंचने पर स्वागत किया तथा समागम को सफल बनाने के लिए प्रशासन, पुलिस प्रशासन सहित सभी विभागों व समूह साध संगत का धन्यवाद किया।