Chandigarh News: श्रीमाता मनसा देवी राजकीय संस्कृत महाविद्यालय, पंचकूला में कार्यरत एवं संस्कृत भारती हरियाणा( न्यास ) के प्रान्त महाविद्यालयकार्य प्रमुख डॉ. सुनील शास्त्री ने कहा कि हरियाणा में त्रिभाषा सूत्र लागू करने को लंबे समय से प्रयासरत संस्कृत भारती के प्रयासों को कामयाबी मिल गई है।

प्रदेश में अगले सत्र से कक्षा 9वीं और 10वीं के छात्रों को जो तीसरी भाषा पढ़नी होगी, उसमें संस्कृत को शामिल कर लिया गया है। इस बारे में स्कूल शिक्षा विभाग ने पत्र भी जारी कर दिया है। सम्पूर्ण देश में दसवीं कक्षा तक संस्कृत को लागू करने वाला हरियाणा प्रथम राज्य बन गया है ।

उन्होंने बताया कि नई शिक्षा नीति 2020 के तहत स्कूली शिक्षा में त्रिभाषा सूत्र लागू करना प्रस्तावित था। इसके तहत हिंदी और अंग्रेजी के साथ एक स्थानीय भाषा को विषय के रूप में लागू करना था। हरियाणा में संस्कृत प्रभावी भाषा के रूप में स्कूली शिक्षा में मौजूदगी दर्ज कराती रही है।

ऐसे में हरियाणा में संस्कृत को त्रिभाषा सूत्र में लागू करवाने के लिए संस्कृत प्रेमियों द्वारा लगातार प्रयास किए जा रहे थे इन प्रयासों को संस्कृत भारती ने सिरे चढ़वाने का कार्य किया है। संस्कृत प्रदेश में तीसरी बड़ी भाषा के रूप में अपना प्रभाव कायम रखे इसके लिए संस्कृत भारती ने स्कूली पाठ्यक्रम में संस्कृत की उपयोगिता के लिए आंकड़े जुटाकर हरियाणा सरकार और विद्यालय प्रशासन से लगातार संपर्क साधे रखा।

उन्होंने बताया कि इस बारे मुख्यमंत्री, शिक्षा मंत्री, शिक्षा निदेशक आदि के साथ कई दौर की बैठकें की गई। इसी का परिणाम निकला कि प्रदेश में न केवल त्रिभाषा सूत्र लागू हो पाया, वहीं पर संस्कृत को इसमें शामिल कर संस्कृत प्रेमियों की भावनाओं को उच्च स्थान दिलवाया।

उन्होंने कहा कि त्रिभाषा सूत्र लागू होने से उच्च विद्यालयों में संस्कृत विषय के अध्यापकों की मांग बढ़ेगी। इससे संस्कृत विषय में रोजगार के और अवसर बढ़ेंगे। त्रिभाषा सूत्र के प्रदेश में लागू होने पर उन्होंने मुख्यमंत्री श्री नायब सिंह सैनी, शिक्षा मंत्री श्री महिपाल ढांडा के साथ शिक्षा विभाग के अधिकारियों का भी आभार जताया।

उन्होंने बताया कि उत्तराखंड और हिमाचल की द्वितीय राज्य भाषा संस्कृत है। अनेक प्रदेशों में संस्कृत अकादमी हैं और राजस्थान में अलग से संस्कृत निदेशालय है। संस्कृत भारती संगठन के विशेष प्रयास से भारत में ही नहीं बल्कि विश्व के 30 से अधिक देशों में लाखों लोग संस्कृत पढ़ने के साथ-साथ व्यवहारिक रूप से बोल रहे है।

हजारों संस्कृत परिवार हैं जिनमें सभी सदस्य निरंतर संस्कृत में ही व्यवहार करते हैं । भारत में पाँच संस्कृत गांव हैं और 10 से अधिक गांव में प्रयास चल रहा है जिसमें सभी लोग संस्कृत में व्यवहार करते है।