Chandigarh News : कला स्तंभ सम्मान स्वीकार करें तो हम कृतज्ञ : सजल कौसर

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Chandigarh News : कला स्तंभ सम्मान स्वीकार करें तो हम कृतज्ञ : सजल कौसर
Chandigarh News : कला स्तंभ सम्मान स्वीकार करें तो हम कृतज्ञ : सजल कौसर

Chandigarh News | चंडीगढ़ | टैगोर थिएटर में प्राचीन कला केंद्र के तत्वाधान 15 अक्टूबर संगीत के प्रतिष्ठित दो कला स्तंभ सम्मानित हुए। पद्मभूषण एवं ग्रैमी अवॉर्ड विजेता विश्व मोहन भट्ट के हाथों सम्मान निश्चय ही उत्कृष्ट सम्मान है और सितार वादक पंडित हरविंदर शर्मा एवं तबला वादक विनोद पाठक तहे दिल से विनीत प्रभु के शुक्रगुजार नजर आए।

नीरज रायजादा              कला समीक्षक
नीरज रायजादा (कला समीक्षक)

प्रत्येक को 50 हजार राशि के साथ सम्मान पट्टिका, शाल एवं स्मृति चिन्ह समर्पित कर केंद्र के सचिव के विनम्र कथन ” सम्मान स्वीकार कर कला स्तंभ हमें कृतज्ञ करते है” सभी दर्शकों के मन को छू गए।

प्राचीन कला केंद्र वह संगीत,नृत्य,गायन और अन्य कलाओं के लग्न से समर्पित संस्था है जो हर वर्ष एक लाख राशि से कला के उत्कृष्ट दिग्गजों का सम्मान करते है और यह कार्यक्रम उसी श्रृंखला की 19 वीं कड़ी थी।हर साल प्राचीन कला केंद्र द्वारा भास्कर राव संगीत सम्मेलन भी इस संस्था की एक उत्कृष्ट उपलब्धि है।

हाल ही में निरंतर संगीत बैठक आयोजन के 300 कार्यक्रम पूरा कर प्राचीन कला केंद्र ने एक और कीर्तिमान स्थापित किया है। करोना काल के भयानक दौर में भी इस केंद्र ने अपना योगदान समर्पित करते आॅन लाइन और सुविधा अनुसार मंचीय कार्यक्रम चला कर संगीत के चिराग को बनाए रखा जो निश्चय ही उत्कृष्ट साहस से परिभाषित होगा।

केंद्र 2004 से यह गुरु एम एल कौसर संगीत सम्मान दिग्गज कला विभूतियों को प्रदान कर चुके हैं। नृत्यांगना सितारा देवी,नृत्य सम्राट बिरजू महाराज,सितार वादक शाहिद परवेज,पंडित शिव कुमार शर्मा, सुनयना हजारीलाल, पंडित राम नारायण, नृत्यांगना सोनल मान सिंह,पद्मभूषण विष्व मोहन भट्ट, भजन सोपोरी, शोवना नारायण,पंडित सुशील जैन, पंडित काले राम जैसे दिग्गज संगीत स्तंभ इस सम्मान से नवाजे जा चुके हैं।

गुरु एम एल कौसर स्वयं एक उत्कृष्ट नृत्य विभूषी थे। कला को समर्पित इस संस्था की स्थापना की उन्होंने कला के उत्थान में एक अभूतपूर्व काम किया अत: उनके नाम से यह सम्मान प्रतिष्ठित सम्मानों में गिना जाता है और अपनी महत्ता लिए है।

सम्मान समारोह के बाद दोनों दिग्गज कलाकारों द्वारा विशिष्ट कला प्रस्तुति दिल में उतर जाने वाली और मन मस्तिष्क में हमेशा के लिए चस्पां हो जाने वाली थी। समर्पित रियाज, लग्न, उत्तम प्रशिक्षण और परिपक्व विशिष्ट हुनर का बेमिसाल समन्वय उनकी मंचीय प्रस्तुति का आयाम लिए था।

पंडित विनोद पाठक के साथ उनके पुत्र और शिष्य विविश पाठक और हारमोनियम पर दिनकर द्विवेदी सारे सभागार को मंत्र मुग्ध कर गए ।उनके बाद सितार पर अपनी जादुई पकड़ लिए पंडित हरविंदर शर्मा तबले पर पंडित राम कुमार मिश्र की बेजोड़ संगत के साथ, उत्तम राग, झाल, भटियारी का विशिष्ट हुनर लिए दर्शकों के लिए यादगार तोहफा था।

ऐसे सुरीले कार्यक्रम निसंदेह चंडीगढ़ कला प्रेमियों के लिए वह सुखद अनुभव है जो कॉन्सर्ट्स के नाम पे महंगी टिकटों से भी देश विदेश में उपलब्ध नहीं होता और वह संगीत प्रेमी जो बिना टिकट मूल्य इस अमूल्य खजाने को इस शहर में होने के बावजूद चूक जाएं वो बदकिस्मत ही कहलाएंगे।

इस जैसे कार्य कर्म में दर्शकों और श्रोताओं को आमंत्रण निश्चे ही एक वह सुनहरी अवसर है जिसे चूकना नहीं चाहिए। प्राचीन कला केंद्र को इस आयोजन के लिए बहुत बहुत बधाई तथा भविष्य में वह अपने इस पवन कला सेवा भाव में लगे रहें इसके लिए शुभ कामनाएं।

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