Chandigarh News: विनम्रता का अर्थ है दूसरे को अपने जैसा सम्मान देना:

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Chandigarh News: जिस प्रकार सूखी मिट्टी पर जल डालकर गीली मिट्टी को मनचाहा आकार दिया जा सकता है ठीक उसी प्रकार, कठोर-से-कठोर व्यक्ति से विनम्रता पूर्ण व्यवहार कर मनचाहा परिणाम प्राप्त किया जा सकता है। इसके अतिरिक्त यह व्यक्ति की बुद्धिमत्ता की पहचान भी है. व्यक्ति जितना अधिक बुद्धिमान होगा उतना ही अधिक अनुशासित व्यवहार करेगा।

विनम्रता सामंजस्य का एक भाव भी है. विनम्रता मन और आत्मा के सामंजस्य से उत्पन्न होती है। विनम्रता का अर्थ है दूसरे को अपने जैसा सम्मान देना है। ये शब्द मनीषीसंतमुनिश्रीविनयकुमार जी आलोक ने अणुव्रत भवन सैक्टर-24 तुलसी सभागार में जनसभा को संबोधित करते हुए कहे।

मनीषीसंत ने आगे कहा विनम्रता एक अद्भुत और वास्तविक भाव होता है जब हम इसके अभ्यस्त हो जाते हैं, तो हमें विनम्रता पूर्ण व्यवहार करना नहीं पड़ता अपितु हो जाता है. विनम्रता से ही व्यक्ति वास्तव में व्यक्ति कहलाने का अधिकारी बन पाता है।

विनम्रता व्यक्ति को शिष्ट बनाती है एक शिष्ट व्यक्ति एक अच्छे व्यवहार का उदाहरण प्रस्तुत करता है परंतु ऐसा भी नहीं है कि वह अशिष्ट व्यवहार का विरोध नहीं करता. वह विरोध करता है परंतु विनम्रता के साथ. विनम्रता शब्द में दूसरों को अपने जैसा सम्मान देने की भावना भले ही छिपी हुई हो, वास्तव में विनम्रता खुद के लिए सम्मान अर्जित करने जैसा प्रभावकारी गुण और व्यवहार है।

विनम्र होना वास्तव में आसान नहीं है जिस तरह के सामाजिक परिवेश में हम जी रहे हैं और जिस तरह का व्यवहार समाज में व्यक्तियों का देखने को मिलता है ऐसी परिस्थिति में विनम्रता के साथ रहना भी एक चुनौती है परंतु यह एक सर्वोच्च मानवीय गुण है और इसे आत्मसात करना न केवल परिवार व समाज के लिए आवश्यक है बल्कि स्वंय के लिए इससे भी अधिक आवश्यक है यदि हम विनम्र रहेंगे तो जटिल समय में विवेकपूर्ण निर्णय ले सकेंगे और वह हमारे लिए परिवार के लिए समाज के लिए देश के लिए हितकर होगा और यदि हम विनम्र नहीं है तो विपरीत समय में जरा सी कठिनाई होने पर ही विचलित हो सकते हैं और ऐसा भी निर्णय कर सकते हैं जिससे हम अपने आप को ही नुकसान पहुंचा बैठे तो इस सब से बचे रहने का सबसे अच्छा उपाय ही है विनम्र रहना और दूसरों का सम्मान करना वास्तव में विनम्र व्यक्ति जैसा व्यवहार अपने लिए चाहता है वह उससे भी अच्छा व्यवहार दूसरों के साथ करता है सम्मान लेना और सम्मान देना वास्तव में एक तरह की क्रिया प्रतिक्रिया ही है यदि हम किसी व्यक्ति का सम्मान करेंगे तो निश्चित रूप से वह भी हमारा सम्मान अवश्य करेगा भले ही इसमें कुछ समय जरूर लग जाए लेकिन ऐसा जरूर होगा इसलिए विनम्रता एक सर्वोच्च मानवीय गुण है जो व्यक्ति के चरित्र एवं व्यवहार को सद्गुणों से परी पूरित करता है यही वास्तव में सच्चा आभूषण है।

मनीषीसंत ने अंत मे फरमाया विनम्रता मानव का श्रेष्ठ आभूषण है। विनम्रता हमारे दैनिक जीवन के व्यवहार का एक ऐसा मजबूत कवच है जिसको पहनकर हम किसी भी तरह की नकारात्मकता को अपने ऊपर हावी नहीं होने दे सकते हैं। विनम्रता अपनाने से मनुष्य के अंदर सद्गुणों का विकास होता है। विनम्र व्यक्ति शांत होते हैं अत: विनम्रता शांति का प्रतीक है। जो व्यक्ति स्वभाव से शांत होगा। वही विनम्र बन सकता है।