चंडीगढ़ (आज समाज): सैक्टर-17 में स्टेडियम को तिरंगा अर्बन रूप में विकसित किया फुटबॉल पार्क के गया था। यहां फुटबाल को प्रोमोट किया जाना मकसद था, लेकिन इंजीनियरिंग और अन्य विभागों की लापरवाही के कारण मैदान छोटा कर दिया गया।
मैदान को अपग्रेड करने के लिए 10 करोड़ रुपए से अधिक राशि खर्च कर दी, लेकिन फुटबाल खेलने लायक नहीं बना। यहां अब तक कोई फ्रैंडली मैच भी नहीं खेला जा सका है, क्योंकि मैदान छोटा होने के साथ खिलाड़ियों के लिए नहीं है। इन सभी तरह की अनियमितताओं को लेकर चंडीगढ़ के दड़वा में रहने वाले 15 वर्षीय फुटबॉल खिलाड़ी ने पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट में जनहित याचिका दाखिल की। याचिका में मांग की है कि सैक्टर-17 फुटबाल स्टेडियम को विकसित कर अर्बन पार्क बनाने में जिन अधिकारियों ने लापरवाही बरती है, की जांच हाईकोर्ट के सेवानिवृत्त जज से करवाई जाए। प्रशासन को दिशा-निर्देश जारी कर फुटबाल स्टेडियम को नए सिरे ने फीफा की गाइडलाइन के तहत तैयार करवाया जाए, ताकि खिलाड़ी खेल सकें।
कोर्ट ने जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए चंडीगढ़ प्रशासन, नगर निगम कमिश्नर, चीफ इंजीनियर, चीफ आर्कीटैक्ट चेंज ऑफ लैंड यूज हैरिटेज कमेटी, खेल सचिव, खेल निदेशक व अन्य को नोटिस जारी किया। नोटिस में कहा है कि कोर्ट को बताया जाए कि सैक्टर-17 का फुटबाल स्टेडियम खेल गतिविधियों के लायक है या नहीं। मामले की अगली सुनवाई 30 सितम्बर को होगी।
याचिकाकर्ता ने एडवोकेट कुणाल मूलवानी की मार्फत दाखिल जनहित याचिका में बताया गया कि खेल विभाग से मिली जानकारी के अनुसार चंडीगढ़ में 305 फुटबॉल खिलाड़ी पंजीकृत हैं, जिनके खेलने के लिए फुटबाल मैदान ही नहीं है। वर्ष 1960 में सैक्टर-17 में बने फुटबाल स्टेडियम ने कई अंतर्राष्ट्रीय और राष्ट्रीय स्तर के फुटबाल खिलाड़ी दिए हैं। अब यह स्टेडियम लगभग 15 वर्ष से बंद है। सैक्टर-42 में स्थित फुटबाल स्टेडियम को सिर्फ अकादमी के खिलाड़ियों के अभ्यास के लिए घोषित किया जा चुका है। सैक्टर-46 में एथलेटिक स्टेडियम के बीच फुटबाल पोल लगाकर प्रैक्टिस की जा रही है जिस कारण एथलैटिक ट्रैक खराब हो रहा है। वहां भी अकादमी के खिलाड़ी ही जाते हैं।
याचिकाकर्ता ने कोर्ट को बताया कि फुटबाल स्टेडियम को जानबूझकर छोटा किया गया है। पहले बनी ड्राइंग में फुटबाल स्टेडियम का साइज 104 मीटर x 38 मीटर था, जिसे घटाकर 100 x 34 मीटर कर दिया गया। बफर जोन, जो 148 x 111 मीटर था, को घटाकर 107 x 70 मीटर कर दिया गया। यहां तक कि ऑडिट ऑब्जैक्शन भी लगाए गए, जिसमें कहा था कि 14 वर्ष इस मैदान को अपग्रेड करने में खराब कर दिए गए, जिसके चलते लागत दोगुना तक बढ़ गई। कोर्ट को बताया गया कि गत वर्ष जारी चंडीगढ़ की खेल पॉलिसी में भी सैक्टर-17 के फुटबाल मैदान का जिक्र तक नहीं है। याची ने गुहार लगाई है कि खिलाड़ियों के भविष्य को देखते हुए उचित दिशा निर्देश जारी किए जाएं।