Chandigarh News: आत्मबल जिसका साथी है वह कभी कमजोर नहीं पड़ता। हार की निराशा उनके दिलों पर राज नहीं कर पाती। ऐसे लोग अपने आत्मबल की वजह से देश और दुनिया पर राज करते हैं। इसके विपरीत आत्मबलहीनता बहुत ही खतरनाक रोग है, जो हमें कमजोर ही नहीं करता, बल्कि दूसरों के समक्ष दब्बू भी बना देता है। ये शब्द मनीषीसंतमुनिश्रीविनयकुमारजी आलोक ने सैक्टर 24सी अणुव्रत भवन में सभा को संबोधित करते हुए कहे।
मनीषीश्रीसंत ने आगे कहा जीवन में सफलता के लिए आत्मविश्वास उतना ही आवश्यक है, जितना मानव के लिए ऑक्सीजन तथा मछली के लिए पानी। बिना आत्मविश्वास के व्यक्ति सफलता की डगर पर कदम बढ़ा ही नहीं सकता। आत्मविश्वास वह ऊर्जा है, जो सफलता की राह में आने वाली अड़चनों, कठिनाइयों एवं परेशानियों से मुकाबला करने के लिए व्यक्ति को साहस प्रदान करती है। है।
वर्तमान समय में अगर हमें कुछ पाना है, किसी भी क्षेत्र में कुछ करके दिखाना है, जीवन को खुशी से जीना है, तो इन सबके लिए आत्मविश्वास का होना परम आवश्यक है। आत्मविश्वास में वह शक्ति है जिसके माध्यम से हम कुछ भी कर सकते है। आत्मविश्वास से हमारी संकल्प शक्ति बढ़ती है और संकल्प शक्ति से बढ़ती है हमारी आत्मिक शक्ति।
संसार के सारे युद्धों में इतने लोग नहीं हारते, जितने कि सिर्फ घबराहट से। अत: अपने ऊपर विश्वास रखकर ही आप दुनिया में बड़े से बड़ा काम सहज ही कर सकते हैं और अपना जीवन सफल बना सकते हैं। मधुमक्खी कण-कण से ही शहद इक_ा करती है। उसे कहीं से इसका भंडार नहीं मिलता। उसके छत्ते में भरा शहद उसके आत्मविश्वास और कठिन परिश्रम का ही परिणाम है।
मनीषीश्रीसंत ने अंत मे फरमाया दुनिया में ईश्वर ने सभी को अनंत शक्तियां प्रदान की हैं। हर किसी में कोई न कोई खास बात होती है। बस, जरूरत है अपने अंदर की उस खास शक्ति को पहचानने की, उसे निखारने की। जो काम दूसरे लोग कर सकते हैं, वो काम आप क्यों नहीं कर सकते? अपने आप पर भरोसा कीजिए फिर दुनिया भी आप पर भरोसा करेगी।
महात्मा गांधी भी इस आत्मविश्वास के बल पर सत्य और अहिंसा के अस्त्र बनाकर स्वतंत्रता संग्राम में कूद पड़े। अंतत: वे भारत माता की दासता रूपी बेड़ी को काटने में सफल रहे। अब्राहम लिंकन ने अथक प्रयास कर दासों को मालिकों के शिकंजे से मुक्त कराया। उन्होंने अपनी डायरी में लिखा था कि मैंने अपने ईश्वर को वचन दिया है कि दासों की मुक्ति का कार्य अवश्य पूरा करूंगा। इसी आत्मविश्वास ने कोलंबस को अमेरिका की खोज में सहयोग दिया था।
नेपोलियन ने इसी शक्ति से ओतप्रोत होकर अपने सेनापति से कहा था कि यदि आल्पस पर्वत हमारा मार्ग रोकता है तो वह नहीं रहेगा और सचमुच उस विशाल पर्वत को काटकर रास्ता बना लिया गया।आत्मविश्वास मनुष्य के अंदर ही समाहित होता है। आपको इसे कहीं और अन्य जगह से लाने की जरूरत नहीं है। यह आपके अंदर ही है, बस जरूरत है अपने अंदर की आंतरिक शक्तियों को इकट्ठा कर अपने आत्मविश्वास को मजबूत करने की।