(Chandigarh News) चंडीगढ़। मनीमाजरा, एक ऐतिहासिक और धार्मिक नगरी, आज बदहाल बुनियादी सुविधाओं की मार झेल रही है। यहां की सड़कों और गलियों की हालत इतनी खराब है कि चलना दूभर हो गया है। जगह-जगह टूटी गलियां और बाजारों में लटकते बिजली के तार, किसी बड़े हादसे को न्योता दे रहे हैं।
यहां मकानों पर क्रमबद्ध (सीरियल वाइज) नंबर नहीं हैं, जिससे बाहर से आने वाले मेहमानों और यहां तक कि सरकारी अधिकारियों को भी घरों को ढूंढ़ने में भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। पार्किंग व्यवस्था का अभाव और अतिक्रमण के चलते गलियां और बाजार हमेशा जाम रहते हैं। जगह-जगह कूड़े के ढेर लगे हुए है, पैदल चलने वालों को रास्ता नहीं,
गर्मी की शुरुआत होते ही बिजली और पानी की आपूर्ति आंख-मिचौली खेलती है। स्थिति इतनी गंभीर है कि अगर कहीं आग लग जाए या किसी को मेडिकल इमरजेंसी हो जाए, तो एंबुलेंस या फायर ब्रिगेड की गाड़ी वहां तक पहुंच ही नहीं सकती।
महंत मनोज शर्मा ने कहा कि यहां तकरीबन हर राजनीतिक दल के पार्षद बन चुके हैं, लेकिन समस्याएं जस की तस बनी हुई हैं। मनीमाजरा में प्राचीन शिव ठाकुर द्वारा मंदिर, माता राज कौर जी के नाम पर गुरुद्वारा, और एक ऐतिहासिक किला भी स्थित है। इसके बावजूद, यहां की सरकारी जमीनों पर अवैध कब्जे कर झुग्गियां-झोपड़ियां बनाई गई हैं। बड़ा सवाल है ये कब्जे किसके संरक्षण में फल-फूल रहे हैं ? और सबसे गंभीर प्रश्न—क्या इस नगरी के विकास के लिए केंद्र सरकार से आज तक एक रूपया भी नहीं आया? अगर आया है, तो वह आखिर गया कहां?मनीमाजरा की जनता अब जवाब चाहती है,और समाधान की मांग करती है।