Chandigarh News: चंडीगढ़ ऑर्गेनाइजेशन ऑफ रेयर डिजीज इन इंडिया के मुताबिक दुनियाभर में अब तक 7,000 से ज्यादा दुर्लभ बीमारियों का पता लगाया जा चुका है। भारत में हर 20 में से एक व्यक्ति किसी न किसी दुर्लभ बीमारी का शिकार है। इनमें से करीब आधे मरीज बच्चे हैं। 80 फीसदी दुर्लभ बीमारियों की वजह जींस में होने वाली गड़बड़ियां हैं। इनमें से अधिकतर बीमारियों का इलाज बहुत महंगा है।
जब तक बीमारी के बारे में पता चलता है, इलाज मुश्किल हो जाता है। पर अब मेडिकल साइंस की मदद से भविष्य में होने वाली बीमारियों का वर्षों पहले पता लग सकता है।- जीन्स टेस्टिंग : 10-15 साल पहले मिल सकती है भविष्य में होने वाली बीमारी ( डायबिटीज , कैंसर ) की जानकारी बताती हैं कि जेनेटिक टेस्ट के जरिए जींस में होने वाले म्यूटेशन यानी बदलाव के बारे में पता लग जाता है। फैमिली शुरू करने से पहले दंपती अपने जींस की टेस्टिंग से ये पता लगा सकते हैं कि भविष्य में उनके होने वाले बच्चे को किन बीमारियों का खतरा है,बताया डॉ हरप्रीत ने । साथ ही कैंसर से लेकर हाइपरटेंशन और डायबिटीज जैसी बीमारियों का खतरा भी 10-15 साल पहले जान सकते हैं।
डॉ नीरज पूर्व प्रेसिडेंट आई एम ए चंडीगढ़ व डायरेक्टर मदरहुड चैतन्य अस्पताल ने कहा कि समय के साथ-साथ एडवांसमेंट मेडिकल फील्ड की जरूरत है वह ऐसे कार्यक्रम डॉक्टर को ज्ञानवर्धन में लाभदायक होते हैं। डॉ नीरज कुमार ने आगे कहा कि ऐसे कार्यक्रमों में ही हम सब मिलकर जेनेटिक्स ,फीटल मेडिसिन व हाई रेसोल्यूशन अल्ट्रासाउंड , के बारे में मिलकर मंथन कर सकते हैं । ऑब्सटेट्रिक्स व नियोनेटोलॉजी के क्षेत्र में लेटेस्ट एडवांसमेंट , हाई रिस्क प्रेगनेंसी, प्रीमेच्योर बर्थ व जेनेटिक्स पर मंथन के लिए उत्तर भारत के लगभग 100 स्पेशलिस्ट एकत्र हुए होटल मैरियट में मौका था पंजाब मेडिकल काउंसिल के तत्वावधान में ‘ट्राइसिटी पेरिनेटोलॉजी मीट-2024’ का , मदरहुड के डॉ नीरज कुमार, डॉक्टर पूनम कुमार डॉक्टर हरप्रीत व डॉ पल्लव गुप्ता,डॉ सुप्रीत खुराना असिस्टेंट प्रोफेसर, जीएमसीएच, डॉ सौरभ कपूर , डॉ रवनीत कौर की विशेष उपस्थिति रही ।
डॉ हरप्रीत ने बताया कि यदि किसी फैमिली में जेनेटिक्स की हिस्ट्री हो तो उन्हें प्रेगनेंसी प्लान करने से पहले ही विशेषज्ञ से काउंसलिंग के लिए मिल लेना चाहिए।अल्ट्रासाउंड का प्रेगनेंसी में विशेष महत्व है डॉ हरप्रीत ने बताया कि जैसे ही प्रेगनेंसी का पता लगे तो पहले अल्ट्रासाउंड तभी हो जाना चाहिए और 20 हफ्ते से पहले पहले जेनेटिक्स की स्क्रीनिंग भी हो जानी चाहिए ताकि कोई भी बर्थ डिफेक्ट छूट न जाये ।
जेनेटिक डिफेक्ट के डाइग्नोस्टिक के लिए
प्रेग्नेंसी प्लान से पहले मिलें स्पेशलिस्ट को
$प्रेगनेंसी का पता लगता ही करवा कंफर्मेटरी अल्ट्रासाउंड 11 से 14 हफ्तों में फिर से
$ 19 से 20 हफ्तों में फिर से
एन्टी स्कैन तीसरे महीने के आखिरी चरण में
*गर्भावस्था से जुड़ी कुछ गलतफहमियां*
प्रेग्नेंट महिलाओं को तो डॉक्टर से ज्यादा नसीहतें परिवार वाले देते हैं. अनुभव से सीखी दादी परदादी की बातें कई बार काम की होती हैं लेकिन हर नसीहत को मानने की जरूरत नहीं या फिर अल्ट्रासाउंड के काफी साइड इफेक्ट होते है। गर्भावस्था में सटीक जांच के लिए नॉन-इनवोसिव प्रीनेटल टेस्टिंग (एनआईपीटी) भी आवश्यक है जो शिशु के जन्म से काफी पहले डाउन सिंड्रोम जैसी असामान्य क्रोमोसोम संबंधी गड़बड़ियों का पता लगाने का प्रभावी, सटीक और सुरक्षित तरीका साबित होगा.