Chandigarh News: जनवरी इस नववर्ष मे अपनी सोच की दृष्टि को विशाल बनाये क्योकि जैसा विशाल सागर मे किसी भी तरह का पानी मिल जाए वह सागर ही कहलाता है और वह पानी अपना अस्तित्व सागर के सामने खोकर अपने आपको सागर बना लेता है। विनम्र बनें और माफ करना सीखें,ज्यादा गुस्सा आता है तो उसे पीना सीखे, अपनी जिम्मेदारियां पहचानें और उन्हें निभाना सीखें,-पैसा बचाएं और कर्ज से छुटकारा पाने की कोशिश करें, दुश्मनी भुला दें, लड़ाई-झगड़ा न करें, माफ करना सीखें, नाकाम होने पर गम में न डूबे, लक्ष्य ,हमेशा एक्टिव रहने की आदत डालें, काम को टालने की आदत को छोड़ दें डायरी लिखने की आदत डालें , सोशल मीडिया पर कम समय बिताएं और असली जिंदगी को ज्यादा वक्त दें, ,अपने अंदर सकारात्मक सुविचार लाएं ,हर महीने कम से कम दो नए काम जरूर करें जो अच्छे हों, झूठ बोलने की आदत छोड़ दें, रेजोल्यूशन्स की ये लंबी लिस्ट कभी खत्म नहीं होगी।
ऐसे में आपको खुद ही तय करना होगा कि आप अपनी कौन सी खामी को दूरकर एक बेहतर इंसान बनना चाहते हैं। इसलिए विचार करें और नए साल की शुरुआत नए प्रण से करें। ये शब्द मनीषीसंतमुनिश्रीविनयकुमारजीआलो क ने बृहद मंगल पाठ विविध मंत्रों का जाप के साथ सैक्टर 24सी अणुव्रत भवन मेंनववर्ष के अवसर पर आयोजित सभा को संबोधित करते हुए कहे।
मनीषीसंत ने मंत्रोचार के साथ कार्यक्रम प्रारंभ किया। कार्यक्रम मे ट्राईसिटी के भाई बहिन बडी संख्या में उपस्थित थे। मनीषीश्रीसंत ने जैन मंत्रो का विधिवत उच्चारण किया जिसमे लोगस्स,उवसग्गस्त्रोत्र, भत्तामर स्त्रोत्र, आगम पाठ, पाŸवनाथ स्त्रोत्र, शांतिनाथ स्त्रोत्र और पदमावति मंत्रों आदि का विशेष अनुष्ठान किया गया। इसके अलावा मनीषीसंत उवगगश हर का पाठ और उसके साथ गंगताकर मंत्र तथा विभिन्न मंत्रों का उच्चारण किया गया। ओम भिक्षु जय भिक्षु का पाठ सभी भार्ई-बहनो ने मिलकर किया तथा दीक्षु मारे प्रगटया जी भरत खेत्र मे आदि का जप किया।
कार्यक्रम में विजय गोयल, अमन जी, सुशील नाहर, प्रदीप जैन, सुरेंद्र कोशिक, श्रीमती शांता चोपडा, , श्रीमती सुशील नाहर, श्रीमती प्रेम नाहर, श्रीमती मंजू जैन, श्रीमती सरिता बोथरा, डॉ अशोक गोयल डॉक्टर गीता राय आदि ने मनीषीसंत का नववर्ष की शुभकामनाएं दी।
मनीषीश्रीसंत ने आगे कहा नया साल एक नई शुरूआत को दर्शाता है और हमेशा आगे बढऩे की सीख देता है। पुराने साल में हमने जो भी किया, सीखा, सफल या असफल हुए उससे सीख लेकर, एक नई उम्मीद के साथ आगे बढऩा चाहिए। जिस प्रकार हम पुराने साल के समाप्त होने पर दुखी नहीं होते बल्कि नए साल का स्वागत बड़े उत्साह और खुशी के साथ करते हैं, उसी तरह जीवन में भी बीते हुए समय को लेकर हमें दुखी नहीं होना चाहिए। जो बीत गया उसके बारे में सोचने की अपेक्षा आने वाले अवसरों का स्वागत करें और उनके जरिए जीवन को बेहतर बनाने की कोशिश करें।
इस नववर्ष मे अपनी सोच की दृष्टि को विशाल बनाये क्योकि जैसा विशाल सागर मे किसी भी तरह का पानी मिल जाए वह सागर ही कहलाता है और वह पानी अपना अस्तित्व सागर के सामने खोकर अपने आपको सागर बना लेता है। विनम्र बनें और माफ करना सीखें,ज्यादा गुस्सा आता है तो उसे पीना सीखे, अपनी जिम्मेदारियां पहचानें और उन्हें निभाना सीखें,-पैसा बचाएं और कर्ज से छुटकारा पाने की कोशिश करें, दुश्मनी भुला दें, लड़ाई-झगड़ा न करें, माफ करना सीखें, नाकाम होने पर गम में न डूबे, लक्ष्य ,हमेशा एक्टिव रहने की आदत डालें, काम को टालने की आदत को छोड़ दें डायरी लिखने की आदत डालें , सोशल मीडिया पर कम समय बिताएं और असली जिंदगी को ज्यादा वक्त दें, ,अपने अंदर सकारात्मक सुविचार लाएं ,हर महीने कम से कम दो नए काम जरूर करें जो अच्छे हों, झूठ बोलने की आदत छोड़ दें, रेजोल्यूशन्स की ये लंबी लिस्ट कभी खत्म नहीं होगी। ऐसे में आपको खुद ही तय करना होगा कि आप अपनी कौन सी खामी को दूरकर एक बेहतर इंसान बनना चाहते हैं। इसलिए विचार करें और नए साल की शुरुआत नए प्रण से करें।
मनीषीश्रीसंत ने अंत मे फरमाया नया वर्ष, नई उम्मीदों, आशाओं व खुशियों की दस्तक दे चुका है। हम पुराने वर्ष की खट्टी-मीठी यादों को अतीत में ढकेल नए वर्ष का स्वागत करेंं। हर सुसंस्कृत व शिक्षित व्यक्ति चाहता है कि उसका शहर,घर, परिवार, मौहल्ला, समाज, देश सुव्यवस्थित व सुंदर, साफ-सुथरा हो। सारे नेता यही आश्वासन देते हैं कि वे आपके शहर को देश का उत्कृष्ट शहर बनाएँगे।