Chandigarh News: चंडीगढ़ टैगोर थियेटर के सभागार में आयोजित किये जा रहे 54वें भास्कर राव नृत्य एवं संगीत सम्मलेन के चौथे दिन उत्कृष्ट बांसुरी वादक अजय प्रसन्ना के साथ उडीसी नृत्य की महारत लिए गुरु दुर्गा चरण रणबीर के समूह द्वारा उत्कृष्ट नृत्य ने दर्शकों को आत्मसात कर लिया। अजय ने अपनी बांसुरी की तान से कार्यक्रम की शुरुआत राग वाचस्पति के साथ आलाप फिर जोड़ एवं झाला का सुंदर प्रदर्शन करते अपने हुनर से सभागार में सबका दिल जीत लिया । मध्य लय ,एक ताल तथा द्रुत तीन ताल का मधुर प्रदर्शन तालियों की गड़गड़ाहट लिए उनकी सशक्त कला का परिचय देता था।दिल से उठती दुआएं और ढेर सी तालियां कलाकार को जो संतुष्टि देती हैं वो सिर्फ उनके मुखमंडल से पढ़ा जा सकता है और यही कलाकार को संजीदगी देता है। अजय ने एक मधुर धुन से अपनी प्रस्तुति का समापन कर अपने उत्तम हुनर को प्रमाणित किया और दर्शकों का दिल जीत लिया।मधुर वादन की धुन निश्चय ही दर्शकों और श्रोताओं के ज़हन में चस्पां रहेगी। तबले पर पंडित राम कुमार मिश्रा तथा पखावज पर ऋषि शंकर उपाध्याय का साथ इस प्रस्तुति को खूबसूरत आयाम तक ले गया।
कार्यक्रम के दूसरे चरण में गुरु दुर्गा चरण रणबीर के समूह ने ओडिसी नृत्य की जानदार और शानदार प्रस्तुति से अपने हुनर को प्रमाणित किया। नृत्य की शुरुआत आदि देव की प्रार्थना करते फिर आदित्य अर्चना और नृत्य का बेजोड़ प्रदर्शन इस शाम को यादगार बना गए।अटूट भक्ति के साथ, आदित्य को समर्पित विशिष्ट कला प्रदर्शन करता सूर्य प्रणाम और आदि देव की पूजा निसंदेह उनके नृत्य कला का विशेष पहलू लिए था।सूर्य के ही एक अन्य रूप आदित्य को सर्वोच्च आदिदेव पूजा में सात घोड़ों द्वारा खींचे जाने वाले रथ पर सवार होकर आदि जल से निकलते का दृश्य अद्भुत था। इस नृत्य में नर्तकों द्वारा तेजस्वी आदि देव की प्रार्थना से यह दृश्य अद्भुत बन गया। खूबसूरती से दर्शाया सूर्य देव द्वारा असंख्य उज्ज्वल किरणों का हमारी आत्माओं और दिव्य ऊर्जा का उदय जिसके साथ ही सूर्य विशिष्ट प्रभाव लिए हर आंसू,हर और दुख और निराशा की छाया परिभाषित करती है। नृत्य की मुद्राओं, शानदार फुटवर्क और सुंदर भाव-भंगिमाओं से भरपूर इस अभिनय प्रस्तुति को दर्शकों ने खूब सराहा। इस सफल नृत्य प्रस्तुति को देख हर दर्शक आनंदित एवं सुखद अनुभव से सराबोर नज़र आया।मर्दल पर गुरु विवेकानंद पांडा, बांसुरी पर गुरु अभिराम नंदा, गायन पर गुरु सुकांत कुमार कुंडू, वायलिन पर प्रदीप रे और सितार पर प्रकाश चंद्र मोहपात्रा जैसे सशक्त हुनरमंद अपनी संगत से कार्यक्रम में सार्थक सहयोग लिए थे।नृत्य प्रस्तुति में सस्मिता मोहंती, गायत्री रणबीर, शताब्दी मल्लिक, बिदिशा बसु मल्लिक, रोहिणी सामल, मनोज प्रधान, सौरव मोहंती, गोकुल श्री दाश और शेखर, सुमन माझी सब अपने उत्तम साथ और अभ्यास के परिचारक बन सबने हुनर को परिभाषित करते कल के भावी प्रदर्शन के कर्णधार होंगे।
इस अवसर पर केंद्र की रजिस्ट्रार डॉ. शोभा कौसर और सचिव सजल कौसर ने कार्यक्रम के अंत में कलाकारों को स्मृति चिन्ह और उत्तरीया देकर सम्मानित किया