(Chandigarh News) डॉ रविंद्र मलिक,चंडीगढ़। मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी और पार्टी प्रदेश अध्यक्ष मोहनलाल बडोली के खिलाफ बयानबाजी करने और इसके चलते दिल्ली विधानसभा चुनाव में संभावित नुकसान को लेकर भारतीय जनता पार्टी ने उनको कारण बताओ नोटिस जारी किया है जिसका जवाब उनका तीन दिन में देना है। नोटिस में लिखा गया है कि आपने हाल ही में पार्टी अध्यक्ष और पार्टी के मुख्यमंत्री पद के खिलाफ सार्वजनिक बयान दिए हैं। ये गंभीर आरोप हैं और पार्टी की नीति और आंतरिक अनुशासन के खिलाफ हैं।

आपका यह कदम न केवल पार्टी की विचारधारा के खिलाफ है, बल्कि यह ऐसे समय में आया है जब पार्टी पड़ोसी राज्य में चुनाव प्रचार कर रही थी। चुनाव के समय, एक सम्मानित मंत्री पद पर रहते हुए, आपने यह जानते हुए भी ये बयान दिए हैं कि इस तरह के बयानों से पार्टी की छवि को नुकसान पहुंचेगा और यह पूरी तरह से अस्वीकार्य है।

ये कारण बताओ नोटिस आपको राष्ट्रीय अध्यक्ष के निर्देशानुसार जारी किया जा रहा है और आपको इस विषय पर 3 दिन के भीतर लिखित स्पष्टीकरण देंगे। इससे पहले मामले पर प्रतिक्रिया देते हुए अनिल विज ने कई बार मोहनलाल बडौली को पार्टी की प्योरिटी बनाए रखने के लिए पद से इस्तीफा देने की सलाह दी थी। ऐसे में सबकी नजर इस पहली पार्टी की ह कि पार्टी अनिल विज के खिलाफ किस तरह का रुख अपनाएगी और विज का पूरे मामले पर क्या स्टैंड रहेगा।

होम मिनिस्टर रहते हुए अनिल विज और मनोहर लाल में कई बार हुई थी अनबन, नायब सैनी से भी मतभेद

साल 2019 में गृह मंत्री बनने के कुछ ही समय बाद 9 आईपीएस अफसरों के तबादलों को लेकर मनोहर सरकार 2.0 में गृह मंत्री रहते अनिल विज और मुख्यमंत्री मनोहर लाल के बीच तकरार बढ़ गई थी।विज की मर्जी के बगैर हुए इन तबादलों को लेकर उन्होंने सीएम को रूल्स ऑफ़ बिज़नस का हवाला देते हुए पत्र लिख कर पूछा था कि ऐसा क्यों किया गया। इसके अलावा विज ने तत्कालीन डीजीपी मनोज यादव को एक्सटेंशन दिए जाने पर यह कहते हुए आपत्ति जताई थी कि वर्तमान डीजीपी मनोज यादव का कार्यकाल पूरा हो चुका है तो उनको पद से हटा देना चाहिए और तुरंत प्रभाव से यूपीएससी को योग्य के सीनियर अधिकारियों का पैनल भेज देना चाहिए।

इसके अलावा सीएम के साथ उनकी सीआईडी और डीजीपी की रिपोर्टिंग के मामले पर भी अनबन रही। इसी तरह से अनिल विज की मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी से शुरुआत से ही अनबन है। जिस दिन से नायब सिंह सैनी का नाम हरियाणा के मुख्यमंत्री पद के लिए प्रपोज किया गया तो अनिल विज ने अपना गुस्सा जताते हुए हरियाणा निवास में जारी बैठक बीच में छोड़ दी थी और कुछ दिन पहले ही दिए गए बयानों में अनिल विज ने कहा कि नायब सिंह सैनी उड़ान खटोले से नीचे ही नहीं उतरते।

दर्जन भर आईपीएस और आईएएस अधिकारियों से अनिल विज की तल्खी रही

हरियाणा में भाजपा की सरकार बनने के बाद से लेकर वर्तमान तक अनिल विज की करीब दर्शन भर से ज्यादा अधिकारियों से तल्खी रही। पूर्व डीजीपी मनोज यादव के साथ कई मुद्दों पर मतभेदों के चलते दोनों के बीच की तल्खी कई बार सामने आई। विज ने उस समय सीएम को पत्र लिखा कि किसान आंदोलन के दौरान यादव की कार्यशैली व फंक्शनिंग उम्मीदों के अनुरुप नहीं रही। अफसर इनके कंट्रोल में ही नहीं हैं और यादव को विज ने एक तरह से अयोग्य अधिकारी बताया। इसी तरह सीआईडी के पूर्व चीफ अनिल राव भी उनके सख्त रवैये के शिकार हो चुके हैं।

होम मिनिस्टर बनने के बाद विज ने अनिल राव से कोई दस्तावेज तलब किए थे लेकिन कई दिन के बाद भी मामला लटकता रहा। इसके बाद उन्होंने राव की सबके सामने की क्लास लगा थी और एक ही दिन विज के कार्यालय के उनको कई चक्कर काटने पड़े थे। बाद में डीजीपी मनोज यादव और एडीजीपी नवदीप विर्क को साथ जाना पड़ा। तब कहीं मामले का पटाक्षेप हआ। नूह हिंसा के दौरान उन्होंने पूर्व होम सेक्रेटरी टीवीएस प्रसाद और पूर्व सीआईडी के आलोक मित्तल की कार्यशैली से भी असंतोष जताया था। इसी तरह 27 नवंबर 2015 को फतेहाबाद में बतौर ग्रीवेंस कमेटी अध्यक्ष होते हुए अनिल विज और तत्कालीन एसपी संगीता कालिया से उनकी सार्वजनिक रूप से बहस भी चर्चा में रही थी।

शराब घोटाले में एसआईटी की सिफारिश को आधार बनाते हुए विज ने तत्कालीन आबकारी एवं कराधान आयुक्त शेखर विद्यार्थी के विरुद्ध भी कार्रवाई की संस्तुति कर डाली। दुष्यंत को यह बात खासी नागवार गुजरी और उन्होंने शेखर का बचाव किया। उपरोक्त के अलावा अनिल विज के मनोहर लाल के समय और फिलहाल भी वर्तमान प्रिंसिपल चीफ सेक्रेटरी राजेश खुल्लर के बीच मतभेद कई दफा सामने आए।

लाकडाउन के दौरान शराब की अवैध बिक्री के मामले में सोनीपत की एसपी प्रतीक्षा गोदारा के विरुद्ध विज द्वारा विभागीय कार्रवाई की सिफारिश की गई थी। इसी प्रकार पानीपत के पूर्व पार्षद हरीश शर्मा और उनके साथी राजेश शर्मा के आत्महत्या से जुड़े मामले में विज के हस्तक्षेप से मनीषा चौधरी के विरुद्ध एफआइआर दर्ज हुई थी। सीआईडी चीफ रह चुके डीजीपी शत्रुजीत कपूर के साथ अनिल विज के मतभेदों की जानकारी कई बार सामने आई। इनके अलावा पूर्व होम सेक्रेटरी राजीव अरोड़ा, आईपीएस नवदीप विर्क, आईएएस राजनारायण कौशिक समेत कई अन्य सीनियर अधिकारियों से अनिल विज अलग-अलग कारणों से नाराज रहे।

क्या क्या संभावनाएं और पहलू हैं अनिल विज के मामले में

अनिल विज को शो कॉज नोटिस मामले पर भाजपा के एक वरिष्ठ नेता अनुसार ये विज के साथ कई अन्य के लिए भी एक वार्निंग शॉट है। बाकी अन्य एंगल भी चर्चा में

  • भाजपा की अनुशासन वाली परिपाटी से परे जा बयान देने के चलते अनिल विज की कुर्सी जा सकती है क्योंकि उनकी बयान बाजी के बाद दिल्ली में लंबित चुनाव में संभावित नुकसान वाले पहलू का नोटिस में साफ जिक्र किया गया है।
  • नरमी की स्थिति में और भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा से घनिष्ठ संबंधों के चलते अनिल विज मंत्री पद पर बने भी रह सकते हैं ।
  • ज्यादा बात बढ़ी या कोई आभास हुआ तो अनिल विज खुद भी कुर्सी छोड़ सकते हैं।
  • चूंकि विज को जारी नोटिस में मोहनलाल बडोली की तरफ से लिखा गया है कि यह नोटिस आपको राष्ट्रीय अध्यक्ष के निर्देशानुसार दिया गया है, तो ऐसे में कड़ी कार्रवाई की संभावना बलवती है। बाकी काफी कुछ नोटिस में उनके द्वारा दिए जाने वाले जवाब पर भी निर्भर है।
  • पूरे मामले में अनिल विज के खिलाफ यह अहम पहलू ये है कि उनकी पूर्व सीएम मनोहर लाल, मुख्यमंत्री कार्यालय (तब और अब भी) , अफसरशाही और फिर मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी से नहीं जमी, कई बार अपनी ही सरकार को परेशानी में डाला।