Chandigarh News: नगर कौंसिल की लापरवाही के कारण बढ़ रहा बीमारियों का खतरा, खुले में गिराए जा रहे सेनेटरी पैड व डायपर

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Chandigarh News: शहर की आबादी बढ़ने के साथ कूड़े का भी बड़ी मात्रा में इकठा हो रहा है। जिससे निपटारा पाने के लिए नगर परिषद काम कर रही है। लेकिन सेनेटरी पैड और बच्चों व बड़ो डायपर खुल्ले में गिरा कर पर्यायरण को नुकसान पहुंचाया जा रहा है। हालंकि यह वेस्ट मटिरियल मेडिकल वेस्ट में ना आकर जरनल वेस्ट में आटा है लेकिन इसको खत्म करने के लिए अलग से मापदंड है, जिसका पिछले एक वर्ष से नगर परिषद द्वारा धड़ल्ले से उलंघन किया जा रहा है।
जुलाई 2023 से पहले यह सेनेटरी लैंड फिल (एसएलएफ) प्लांट सही ढंग से चल रहा था लेकिन पिछले वर्ष जुलाई महीने में आई बरसात के कारण इसकी दीवार टूट गई थी और धरती को बचाने के लिए बिछाई गई तरपाल भी पूरी तरह फट गई थी। जिसे एक साल बाद भी ठीक नही करवाया गया है। देखा जाए तो एसएलएफ प्लांट का पिछले एक साल से इस्तेमाल नही किया जा रहा है। बल्कि सेनेटरी पैड व डायपर खुल्ले में अन्य कूड़े में गिराए हुए हैं।
जो पर्यायरण को नुकसान पहुंचा रहे हैं। क्योंकि सेनेटरी पैड को निपटाने के लिए विशेष तौर पाउंड बनाकर पाइप लाइन के साथ मोटर लगाकर अलग से चेंबर बनाकर सारा लिक्विड उस चेंबर में सिफ्ट किया जाता है और उसके बाद ट्रीट करने के बाद ही लिक्विड मटिरियल को खत्म किया जाता है। यहां यह भी बताना अनिवार्य है के यदि यह लिक्विड मटिरियल बिना ट्रीट किए सीधे धरती में जाता है तो उस एरिया में डायरिया व हैजा जैसी भयंकर बीमारियां होने के खतरा रहता है।
इससे भी हैरान करने वाली बात यह है के यह एसएलएफ पाउंड सुखना चो के जड़ में बना हुआ है, जो कि बिलकुल नही होना चाहिए। क्योंकि बिना ट्रीट किए लिक्विड व पैड आदि इस पानी में गिरते हैं तो वह भी पानी को प्रदूषित कर देते है। जिस में सबसे बड़ी लापरवाही नगर परिषद अधिकारियों की है।
सेनेटरी पैड व डायपर बनाने वाली कंपनिया इस में धड़ल्ले से प्लास्टिक का इस्तेमाल भी कर रही हैं। एक सेनेटरी पैड पर्यावरण को चार प्लास्टिक बैग के बराबर नुकसान पहुंचाता है।यदि सेनेटरी पैड को मिट्टी में दबाया जाए तो इस में मौजूद केमिकल मिट्टी के सूक्ष्म जीवों को खत्म कर देते हैं जिस कारण धरती की पैदा करने की ताकत खत्म होने लगती है।
वहीं ज्यादातर सेनेटरी पैड्स में गलू व सुपर ऑब्जर्वेट पालिमर होते हैं, जिन्हे नष्ट होने से सालों लग जाते हैं। इस लिए एसएलएफ पिट (पाउंड) बनाकर साइंटफिक तरीके से नष्ट किया जाना चाहिए। इस में सबसे हैरान करने वाली बात तो यह है की 15 महीने पहले भी एसएलएफ पाउंड इसी हालत में था तो नगर परिषद अधिकारियों से पूछा गया था के यह कब तक ठीक हो जाएगा तो उन्होंने कुछ ही दिनों में इस ठीक करने का वादा किया था लेकिन 15 महीने बीत जाने के बाद भी हालत वहीं है और आज भी इस पिट को जल्द ठीक करने का दिलासा ही दिया जा रहा है।
जो की नगर परिषद अधिकारियों की लापरवाही की ओर इशारा करता है। इस बारे में जानकारी लेने के लिए सेनेटरी इंस्पेक्टर रणजीत सिंह को जब बार-बार कॉल किया गया तो उन्होंने पत्रकारों के प्रश्नों से बचने के लिए कॉल नहीं उठाया।

इसकी पूरी तरह से बाउंड्री होने चाहिए और नाले से दूर होनी चाहिए। इसके इलावा गेट लगा होना चाहिए ताकि कोई मवेशी आदि वहां ना घुस सके। इसके इलावा धरती में यह लिक्विड मटिरियल ना जाए इसके लिए धरती पर कंक्रीट बिछाया होना चाहिए और तरपाल भी बिछाई होनी चाहिए। अगर यह लिक्विड धरती में जाता है तो इसके साथ बीमारियां भी फैल सकती हैं। हमारी टीम वीरवार को मौका देखेगी और हालात के अनुसार रिपोर्ट बनाकर उच्च अधिकारियों को भेजी जाएगी।