Chandigarh News: कुछ लोगों की लापरवाही के कारण करीब 15 हजार पौधों की जीवन लीला हो सकती है समाप्त

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Chandigarh News|जीरकपुर : शहर के पर्यावरण को साफ सुथरा रखने के लिए गाजीपुर गांव से निकलने वाली सुखना चो के बैड के किनारे 107 एकड़ सरकारी जमीन पर डेंस फॉरेस्ट बनाया जा रहा है। जिसमें करीब 15 हजार पेड़ लगाए जा चुके हैं और 2031 तक 10 लाख पेड़ लगाए का लक्ष्य तय किया गया है। अब यहां समस्या यह पैदा होती है के इतननी मेहनत करने के बावजूद उस पर पानी फेरने में कुछ लोग लगे हुए हैं। डेंस फॉरेस्ट में जितने पेड़ पौधे लगे हैं उनपर धूल मिट्टी जमा हो गई है। जिस कारण यह है के डेंस फॉरेस्ट के नजदीक एक नई सोसायटी बनाई जा रही है। जिसका काम चल रहा है और उसके जितने भी ट्रक व ट्रेक्टर ट्राली काम में लगे हुए हैं वह डेंस फॉरेस्ट के रास्ते का इस्तेमाल कर रहे हैं और डेंस फॉरेस्ट का रास्ता कच्चा होने के कारण यहां चलने वाली गाड़ियों से इतनी धूल उड़ रही है के पेड़ पौधों के पत्ते हरे की बजाए सफेद दिखाई देने शुरू हो गए हैं।

 

जिस कारण पेड़ों की ग्रोथ में समय लग रहा है और पोड़ों के खत्म होने का खतरा भी उनपर मंडरा रहा है। क्योंकि विशेषज्ञ की बात करें तो उनका कहना है के पत्तों पर धूल जमने से पौधों के प्रकाश संश्लेषण प्रकिर्या की गति धीमी हो जाती है, जिससे पौधों के जीवन के लिए खतरा उतपन्न हो सकता है। क्योंकि डायरेक्ट धुप जब पौधों को लगती है तो उनका खाना वहीं से बनता है। अगर डायरेक्ट धुप नही मिलती तो जिस कारण उनका विकास रुक जाता है और कई बार तो पौधे बिलकुल मुरझा जाते हैं। इस लिए पौधों पर मिट्टी जमना उनके जहर के सामान होता है। यदि इस तरफ ध्यान ना दिया गया तो डेंस फॉरेस्ट को भारी नुकसान हो सकता है। यहां यह बताना भी जरूरी है के एक बिल्डर द्वारा अपने फायदे के लिए इस्तेमाल किया जा रहा डेंस फॉरेस्ट का रास्ता पेड़ पौधों के लिए नुकसादेह है। हैरानी की बात तो यह है के यहां से सोसायटी को रास्ता पता नही क्यों दे रखा है जिसकी जांच होनी चाहिए और जहां रास्ता है उसे छोड़कर बाकी सारी जगह पर पेड़ पौधे लगे हुए हैं।

बता दें के पर्यावरण को बचाने के लिए 107 एकड़ में 10 लाख पौधे लगाने का लक्ष्य है। जिसमें ग्रीन प्लेनेट सोसायटी के 200 सदस्यों द्वारा अब तक 13 हजार पेड़ लगाए जा चुके हैं और उसके इलावा सीआरपीएफ, एचडीएफसी बैंक, डेरा सच्चा सौदा संस्था द्वारा करीब दो हजार पौधे लगाए जा चुके हैं। इसके इलावा बजाज इलेक्ट्रोकाल द्वारा भी पौधे लगाए जाएंगे। अब यहां यह बताना अनिवार्य है के इतने लोगों द्वारा यहां मेहनत कर पौधे लगाए जा रहे है और एक पौधे को लगाने में खरीदने से लेकर लगाने तक 200 से 300 रूपये खर्च आता है। बावजूद इतनी मेहनत के एक बिल्डर द्वारा उस पर पानी फेर दिया जाए तो कितनी गलत बात है इसका अंदाजा वही लोग लगा सकते हैं जो पेड़ पौधों को लगा रहे हैं और उनको बच्चों की तरफ पाल रहे हैं। इस तरफ नगर परिषद को ध्यान देना चाहिए और इसकी जांच भी करनी चाहिए।