Chandigarh News, चंडीगढ़ : संस्कार भारती की चंडीगढ़ इकाई द्वारा आयोजित प्रथम कला उत्सव के अंतिम दिन स्वर्गीय आचार्य कैलाश चंद्र देव बृहस्पति द्वारा रचित नाटक कला भारती का मंचन रविवार को टैगोर थियेटर मे किया गया। इस कला उत्सव मे उत्तर क्षेत्र संस्कृति केंद्र पटियाला, संगीत नाटक एकेडमी, चंडीगढ़, प्राचीन कला केंद्र, चंडीगढ़ और ललित कला एकेडमी, चंडीगढ़ के सहयोग से किया गया। नाटक कला भारती का विषय कान्यकुब्ज का संघर्ष और प्रेम का त्रासद अंत था। यह कहानी आचार्य कैलाश चंद्र देव बृहस्पति द्वारा रचित थी, और इसका परिवेश ग्यारहवीं शताब्दी के कान्यकुब्ज राज्य (वर्तमान में कनौज, उत्तर प्रदेश) से संबंधित है। उस समय कान्यकुब्ज राज्य मलेच्छों (मुगल सल्तनत) और यवनों के निरंतर आक्रमणों से जूझ रहा था। हालांकि, राज्य के महाराज जयचंद्र इन संकटों से अनजान, विलासिता और मदिरा में लीन रहते थे।
राज्य के वरिष्ठ आचार्य हर्ष इन गंभीर परिस्थितियों को समझते हुए युवराज मेघनचंद्र को राज्य की सीमाओं की सुरक्षा का जिम्मा सौंपते हैं। इसी दौरान, महाराज जयचंद्र एक विदुषी विधवा, कलाभारती से विवाह करते हैं। अपनी चतुराई और सौंदर्य से कलाभारती महाराज को पूरी तरह अपने वश में कर लेती है।
लेकिन घटनाओं का मोड़ तब आता है जब कलाभारती, आचार्य श्री हर्ष की बुद्धिमत्ता और सौंदर्य से मोहित हो जाती है। इस प्रेम संघर्ष के बीच, सत्ता, राजनीति और प्रेम की जटिलताएँ सामने आती हैं, जिससे कान्यकुब्ज के सिंहासन का भविष्य और भी अनिश्चित हो जाता है। इस नाटक में प्रस्तुत की गई यह कहानी सत्ता के संघर्ष, षड्यंत्रों और प्रेम की जटिलताओं के बीच नैतिकता और त्याग का महत्वपूर्ण संदेश देती है। कार्यक्रम का आरंभ संस्कार भारती के ध्येय गीत साध्यति संस्कार भारती से हुआ। आज के मुख्य अतिथि संजय टंडन थे।
चित्र कला पुंज मे कादंबरी वर्धन, प्रिया, ऋतुपर्णा दास, मिताली अरोरा, कोमल कौर, नवनीत कौर, पीयूषा प्रिय दर्शनी, अंजली शर्मा, कामिनी, शायला, प्रिय गौरा, अर्चना, अनु सरदाना, त्रिपत मेहता, राखी शर्मा, राखी शर्मा, गुरमीत गोल्डी, विवेक शर्मा व वंदना भारती ने भाग लिया। मुख्य अतिथि द्वारा सुरजीत सिंह, मनीष खैरा, सुदेश शर्मा व भीम मल्होत्रा का पुष्प गुच्छ से स्वागत किया गया। पांच दिवसीय कला उत्सव का समापन वंदे मातरम गायन से हुआ