Chandigarh News: पंचकुला शहर के सेक्टर 14 के निवासी निखिल यादव सुपुत्र सुरेश कुमार यादव ने ने ” महात्मा गांधी पर श्री रामकृष्ण परमहंस और स्वामी विवेकानंद का प्रभाव” विषय पर पुस्तक लिख कर अपना व अपने परिवार का नाम सम्पूर्ण भारत में रोशन किया है। निखिल की स्कूली पढ़ाई मोरनी रोड़ पर स्थित होली चाइल्ड स्कूल और चंडीगढ़ के 19 मॉडल स्कूल से हुई है। वह ग्रेजुएशन के लिए 2014 में दिल्ली विश्वविद्यालय गए और वर्त्तमान में दिल्ली में स्थित जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय से पीएचडी कर रहे है।
डॉ निखिल यादव पिछले 8 वर्षों से विवेकानंद केंद्र कन्याकुमारी से जुड़े हुए है और वर्तमान में विवेकानन्द केन्द्र, उत्तर प्रान्त (दिल्ली, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, जम्मू व कश्मीर, लद्दाख) में प्रान्त युवा प्रमुख हैं। उन्होंने दिल्ली विश्वविद्यालय के दिल्ली कॉलेज ऑफ आर्ट्स एंड कॉमर्स से स्नातक और दिल्ली विश्वविद्यालय के इतिहास विभाग से परास्नातक हैं । उन्होंने दिल्ली में स्थित देश के प्रतिष्ठित संस्थान जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय के विज्ञान नीति अध्ययन केन्द्र, से पी- एच.डी. की उपाधि प्राप्त की।
निखिल यादव ने बताया कि ” पुस्तक में यह विस्तार से बताया गया है कि गांधीजी, जो स्वामी रामकृष्ण और स्वामी विवेकानंद से कभी नहीं मिले, फिर भी उनके उपदेशों से गहरे प्रभावित थे। गांधीजी अक्सर अपने भाषणों, पत्रों और विभिन्न मुद्दों पर चर्चाओं में उनके शिक्षाओं का उल्लेख करते थे। डॉ. निखिल यादव इस कार्य के माध्यम से गांधीजी के दर्शन की आध्यात्मिक नींव को खोले हैं और यह बताया है कि रामकृष्ण और विवेकानंद के विचारों ने उनके नैतिक और राजनीतिक विश्वासों को किस तरह आकार दिया।
महान हस्तियों ने की पुस्तक की सराहना
कई प्रमुख हस्तियों ने डॉ. निखिल यादव के काम की सराहना की और इसे आज के समय में प्रासंगिक बताया। रामकृष्ण मिशन दिल्ली के सचिव स्वामी सर्वलोकानंद ने कहा, “डॉ. निखिल यादव ने रामकृष्ण और विवेकानंद के प्रभाव को बहुत ही सुंदर तरीके से प्रस्तुत किया है। यह पुस्तक विशेष रूप से हमारी युवा पीढ़ी को एक मजबूत और समृद्ध भारत बनाने के लिए प्रेरित करेगी। डॉ. यादव को उनके इस उत्कृष्ट कार्य के लिए मेरी हार्दिक शुभकामनाएं।”
विवेकानंद केंद्र, कन्याकुमारी की उपाध्यक्ष सुश्री निवेदिता रघुनाथ भिडे ने कहा, “जो लोग यह समझना चाहते हैं कि श्री रामकृष्ण, स्वामी विवेकानंद, माँ सरदा देवी और भगिनी निवेदिता ने महात्मा गांधी के विचारों को कैसे प्रभावित किया, उन्हें इस पुस्तक को अवश्य पढ़ना चाहिए। डॉ. निखिल यादव ने गांधीजी द्वारा उनके संदर्भों का बारीकी से उल्लेख किया है, जो शोधकर्ताओं और सामान्य पाठकों दोनों के लिए उपयोगी है।”
विवेकानंद इंटरनेशनल फाउंडेशन के निदेशक डॉ. अरविंद गुप्ता ने पुस्तक की विशिष्टता की सराहना करते हुए कहा, “लेखक ने आधुनिक भारत के तीन महान व्यक्तित्वों को बहुत ही उत्कृष्ट तरीके से जोड़ा है। युवा पीढ़ी इस पुस्तक से बहुत लाभान्वित होगी।”