Chandigarh News: अभय की साधना करने से दूर होगा मन के भीतर का भय

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Chandigarh News: आज हर व्यक्ति किसी न किसी कारण से भयभीत है। अमीर व्यक्ति को भय है कि कही मेरा पैसा न चला जाए। गरीब को भय है कि अगर पैसा नही होगा तो भविष्य में क्या होगा। इस भय को दूर करने के लिए अभय की साधना करनी होगी। ये शब्द मनीषीसंतमुनिश्रीविनयकुमार जी आलोक ने अणुव्रत भवन सैक्टर 24सी तुलसीसभागार मे अपने व्यक्त्व मे कहे।
मनीषीसंत ने आगे कहा कि घटना कहीं भी घटती है किंतु हम यहां भयभीत हो जाते है। हमें कभी मृत्यु का भय, कभी डाकुओं का भय, कभी शत्रुओं का भय, कभी पड़ोसी का भय तो कभी इनकम टैक्स वालों का भय बना रहता है। इन सभी भय के कारण व्यक्ति तनावों से ग्रस्त होता है और सतत दु:खी रहता है।
इन भय से छुटकारा पाने के लिये व्यक्ति को अपने मन को सशक्त बनाना होगा तथा अभय की साधना करनी होगी। शरीर भले ही नष्ट हो जाए, पर आत्मा को कोई भी नष्ट नही कर सकता। अत: मृत्यु से भयभीत नही होना चाहिए।
मुनिश्री ने आगे कहा कि जो होना है, वह होगा ही तुम्हारे सोचने से तुम्हारे भयभीत होने से क्या होगा। डर जीवन के सबसे अप्रिय अनुभवों में से एक है। आपको जिसका डर लगता है, वास्तव में वह उतनी डरावनी नहीं होती, जितना कि स्वयं डर। शरीर और मन शानदार चीजें हैं, लेकिन आप उन्हीं में अटक कर रह गए।
आपको यह भी पता नहीं है कि आप कौन हैं और आपका शरीर कौन हैं? आप कौन हैं और आपका मन कौन है? मान लीजिए, मैं आपका दिमाग ले लूं तो क्या आप डरेंगे? नहीं। अगर मैं आपका शरीर ले लूं, तो क्या उसके बाद आप डरेंगे? डर से बचने के लिए आपको अपना शरीर छोडऩे की जरूरत नहीं है।
आपको बस इतना करना है कि अपने शरीर से थोड़ी-सी दूरी बनानी है। ठीक इसी तरह आपको अपने मन से भी थोड़ी दूरी बनानी है। एक बार अगर आपके और आपके शरीर और मन के बीच थोड़ी दूरी बन गई, तो फिर आपको भला किस बात का डर होगा? मान लीजिए, आपके पास एक बहुत पुराना फूलदान है, जो पीढिय़ों से चला आ रहा है।
आपको यह बताया गया है कि यह बहुत भाग्यशाली फूलदान है, परिवार के लोगों की जिंदगी इसी फूलदान की वजह से अच्छी तरह चलती रही है। अगर मैं उस फूलदान को तोड़ दूं तो क्या होगा? आपके दिल में डर बैठ जाएगा कि अब आपके साथ बुरा होने वाला है। क्योंकि आपने इस फूलदान के बारे में धारणा बना ली है। मान लीजिए, आप बिना किसी तनाव के कार चलाते हैं।
मनीषीसंत ने अंत मे फरमाया अगर हम अपने सामने आने वाली कठिन स्थितियों का सामना को सचाई के साथ स्वीकार करेंगे तो शायद बदलाव के लिए राह भी बना पाएंगे वरना जीवन ढर्रे पर ही चलता रहेगा। जीवन में ऐसी बहुत सी कडवी सचाइयां होती हैं जिनका हमें सामना करना चाहिए।
माना कि इन सचाइयों को स्वीकार करना कठिन होता है लेकिन जब हम इनका सामना करेंगे तो बदलाव की राह मिलेगी। ऐसी ही कुछ सामान्य सचाइयों की ओर एक नजर। अगर हर रविवार की रात आपको ऐसा लगता है कि अगले दिन फिर से नौकरी पर जाना है तो समझिए कि आपको अपनी नौकरी में रुचि नहीं है।