Chandigarh News: स्थानीय दाना मंडी में आयोजित विशाल निरंकारी संत समागम में सतगुरु माता सुदीक्षा जी महाराज और सत्कारयोग राजपिता रमित जी ने अपने प्रेरणादायक प्रवचनों से श्रद्धालुओं को जीवन की सच्ची दिशा दिखाने का संदेश दिया। इस समागम में पंजाब, हरियाणा और राजस्थान के हजारों श्रद्धालु सम्मिलित हुए और सभी ने सतगुरु माता जी के पावन आशीर्वाद प्राप्त किए।
सतगुरु माता सुदीक्षा जी ने अपने प्रवचनों में कहा कि निरंकार प्रभु से जुड़ने का अर्थ है, अपने जीवन में स्थायित्व और शांति को प्राप्त करना। ब्रह्मज्ञान के माध्यम से मन बंधनों से मुक्त हो जाता है और सभी भेदभाव समाप्त हो जाते हैं। भक्तों को हमेशा परमात्मा को प्राथमिकता देनी चाहिए और अपने जीवन में मानवीय गुणों को अपनाना चाहिए।
सतगुरु माता जी ने यह समझाया कि ब्रह्मज्ञान केवल दृष्टि मात्र का विषय नहीं, बल्कि यह तो आध्यात्मिक बोध है जिसे नेत्रहीन भी प्राप्त कर सकते हैं। सत्संग के माध्यम से हमें निरंकार से जुड़ने और इसे अपने जीवन में हर समय बनाए रखने की प्रेरणा मिलती है।
सतगुरु माता जी ने उदाहरण सहित समझाया कि हमें अपने मन को एक छलनी की तरह फिल्टर करना चाहिए, जिससे बुराइयां, नकारात्मकता और कुरीतियां समाप्त हो सकें और अच्छाई, भलाई व प्यार जैसे दिव्य गुणों का विस्तार हो। भक्तों को अच्छाई ग्रहण करने वाला स्पॉन्ज बनना चाहिए और इन शिक्षाओं को जीवन में धारण करना चाहिए।
कार्यक्रम के अंत में जोनल इंचार्ज नरेंद्र सिंह गिल और संयोजक सुरेंद्र अरोड़ा जी ने सतगुरु माता सुदीक्षा जी महाराज व सत्कारयोग राजपिता रमित जी का स्वागत करते हुए प्रशासनिक और अन्य विभागों के सहयोग के लिए धन्यवाद दिया।
इस अवसर पर जोनल इंचार्ज ने कहा कि आज की आवश्यकता है “एक को जानने, एक को पहचानने और इस एक के हो जाने की।” यह केवल ब्रह्मज्ञान के माध्यम से संभव है, जो हमारे जीवन को सच्चे अर्थों में नई दिशा प्रदान करता है।