Chandigarh News: जीरकपुर नगर काउंसिल कूड़े के पहाड़ का निपटारा करने में असफल साबित हो रही है। जबकि गीले व सूखे कूड़े के इलावा प्लास्टिक (लेगेसी) कूड़े का पहाड़ दिन प्रति दिन बढ़ता ही जा रहा है। जिसके निपटारे के लिए नगर काउंसिल ने लाखों रूपये की लागत से तीन ट्रोमल 2023 में मशीन खरीदी थी।
हैरानी की बात तो यह है की लाखों रूपये की मशीनें मंगावने के बाद अब नगर कौंसिल ने लेगेसी कूड़े के निपटारे के लिए करोड़ो रूपये का टेंडर किसी निजी कंपनी को दे दिया है । जो की सरासर जनता व सरकार के पैसे की बर्बादी है। शहर में रोजाना करीब 50 टन कूड़ा निकलता है।
जिसमें आधे से ज्यादा कूड़ा प्लास्टिक का होता है और इस समय डंपिंग ग्राउंड पर कूड़े का पहाड़ बनना शुरू हो गया है। जबकि एक ट्रोमल मशीन की क्षमता रोजाना 25 से 30 टन कूड़ा निपटाने की है। जहां अब कूड़े के बड़े बड़े पहाड़ बन गए हैं। वहीं दुसरी तरफ लोगों की मांग है की ट्रोमल मशीनों पर लगाए पैसे बर्बाद करने की बजाए उनसे काम लेना चाहिए। क्योंकि वह कूड़े का निपटारा करने की क्षमता रखती हैं।
पिछले कई सालों से यहां कूड़ा आ रहा लेकिन कूड़े का निपटान प्रॉपर नहीं हुआ। 4 एकड़ में फैले डम्पिंग ग्राउंड में कूड़े का निपटान न होने के कारण यहां पर 5 से 10 फीट लिगेसी वेस्ट के पहाड़ बन गए हैं। एमसी हाउस मीटिंग में सफाई व्यवस्था को लेकर काम करने का एजेंडा सबसे पहले रखा जाता है। शहर में गारबेज की प्रोसेसिंग के लिए नगर काउंसिल पिछले 15 सालों में ऐसी कोई व्यवस्था नहीं कर सकी है जिससे हर दिन निकलने वाले 50 से 60 टन से ज्यादा कचरे का निपटारा हो सके। शहर की सड़कों के किनारे और खाली प्लॉट्स में कूड़े के ढेर लग गए हैं।
हर रोज 42 से 45 टन कचरा निकलता है शहर से, इसमें सिंगल यूज प्लास्टिक ज्यादा…
शहर में हर रोज 42 से 45 टन से ज्यादा कचरा निकलता है। इसमें सिंगल यूज प्लास्टिक और थर्माकोल आदि भी काफी मात्रा में शामिल होता है। ट्राईसिटी में सब जगह सिंगल यूज प्लास्टिक बैन किया हुआ है, लेकिन जीरकपुर में इसे सिर्फ कागजों में ही बैन दिखाया गया है। सफाई व्यवस्था को सुधारने के लिए सिंगल यूज प्लास्टिक पर रोक लगानी बहुत जरूरी है। सिंगल यूज प्लास्टिक का इस्तेमाल बड़े पैमाने पर हो रहा है।
रेहड़ी-फड़ियों, दुकानों और मैरिज पैलेसों में तमाम तरह के आयोजनों में सिंगल यूज प्लास्टिक और डिस्पोजेबेल प्लेट्स का यूज होता है। नगर परिषद के अधिकारी दावा तो करते हैं कि उन्होंने इसके लिए कई दुकानदारों के चालान किए हैं। लेकिन सच्चाई ये है कि अधिकारियों ने इस तरह का अभियान लगातार चलाया होता तो सिंगल यूज प्लास्टिक पर रोक लग सकती थी। अधिकारियों के दावे के उलट शहर में सिंगल यूज प्लास्टिक का इस्तेमाल करने और बेचने वालों पर कोई एक्शन नहीं लिया जा रहा है। यही कारण है कि शहर में सिंगल यूज प्लास्टिक का कचरा लगातार बढ़ रहा है।
डंपिंग ग्राउंड में लगी ट्रोमल मशीनों से नहीं लिया कूड़ा निस्तारण का काम
लाखों रुपए की लागत से डंपिंग ग्राउंड में लगाई गई तीन ट्रोमल मशीनों से उनका सही काम नहीं लिया जा रहा जानकारी के अनुसार यह ट्रोमल मशीनों वर्षों से डंपिंग ग्राउंड में जमा हो रहे कूड़े को निपटारा करने के लिए मंगवाई गई थी जिनमें से एक मशीन की क्षमता 5 टन प्रतिदिन और दूसरी मशीनों की 50 टन प्रतिदिन कूड़ा निपटारण की क्षमता है लेकिन उनसे कूड़ा निस्तारण का काम नहीं दिया जा रहा और सिर्फ प्लास्टिक और गिल्ली मिट्टी के बने डले अलग करने का काम लिया जा रहा है।
इन मशीनों का प्रयोग कूड़ा निस्तारण करने के लिए होना चाहिए है और इनमें से सारा प्लास्टिक का कचरा अलग करके फैक्ट्री को सप्लाई होता है और जो मिट्टी बन चुका कूड़ा है उसे निचले स्थान पर भरने के लिए प्रयोग किया जाता है। लेकिन अब तक किसी भी ट्रोमल मशीन से उसका बनता काम नहीं लिया गया और कचरे के निपटारे के लिए करोड़ों रुपए का ठेका किसी अन्य कंपनी को दे दिया गया है।
लेगेसी वेस्ट उठाकर ट्रोमल मशीनों के जरिए खत्म करना होता है लेकिन नगर कौंसिल जीरकपुर में नियमों के विपरीत कचरे को मिट्टी के नीचे दबा दिया जाता है जो की बिल्कुल गलत है। बीते दिनों तो नगर कौंसिल जीरकपुर की तरफ से डंपिंग ग्राउंड में कचरे के ऊपर हरे रंग की चद्दर भी डाली गई थी ताकि आवारा पशु व पक्षी कचरे को देखकर नजदीक ना आए परंतु यह कदम भी कुछ दिन के बाद फेल साबित हो गया।
सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट रूल 2016 के अनुसार डंपिंग ग्राउंड अब तक खत्म हो जाना चाहिए था लेकिन पंजाब को एनजीटी की तरफ से निरंतर भारी भरकम जुर्माना लगाया जा रहा है जिसमें से एक बड़ी राशि जीरकपुर नगर कौंसिल को जुर्माने के रूप में लग रही है। सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार जुर्माने की इस राशि की भरपाई अधिकारियों की जेब से की जाएगी। अगर नगर कौंसिल जीरकपुर ने पुराना कचरा खत्म करना है और नए कचरे को डंपिंग ग्राउंड पर जाने से रोकना है तो कचरे की प्रॉपर सेग्रीगेशन और प्रोसेसिंग होना बहुत आवश्यक है।