Chandigarh News: भावनात्मक संवेदना को निखारते हैं रंग –लिपिका कालरा

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Chandigarh News: चंडीगढ़ गवर्नमेंट म्यूज़ियम आर्ट्स गैलरी सेक्टर 10 में यूनीक सोसाइटी ऑफ आर्टिस्ट्स द्वारा” यूनिकलर्स ” के संज्ञान से  पेंटिंग्स ग्रुप शो का 25 वर्षीय प्रदर्शनी का शुभारंभ हुआ। इतने लंबे समय से किसी संस्था का कला को समर्पित भाव से निरन्तर कायम रखना जज्बे और लग्न को परिभाषित करता है। इस तीन दिवसीय पेंटिंग्स प्रदर्शनी का उद्घाटन सरकारी संस्थान यूनाइटेड इंडिया इंश्योरेंस कंपनी की उप महा प्रबंधक लिपिका कालरा मुख्य अतिथि द्वारा किया गया। प्रत्येक पेंटर की कलाकृति का सूक्ष्म अध्ययन कर उसके कलात्मक पहलू  की विवेचना से उन्होंने अपनी इस विधा पर पकड़ का परिचय दिया।
कलाकारों एवं कला कृतियों के लिए प्रशंसा लिए वह इस प्रदर्शनी में सम्मिलित पेंटिंग्स के कलात्मक विषयों से अभिभूत नज़र आईं।  33 कलाकारों द्वारा 66 उत्कृष्ट बेजोड़ चयनित पेंटिंग्स को इस प्रदर्शनी में रखा गया है। हर कलाकार की सिर्फ 2 चुनिंदा कलाकृतियों का चयन कोई आसान काम नहीं था क्योंकि हर कला कार अपनी हर कलाकृति का श्रेष्ठ आंकलन लिए होता है ऐसे में सिर्फ 2 कृतियों का चयन चुनिंदा भाव को लेकर ही किया जा सकता है और लिपिका कालरा द्वारा हर कलाकार से उस भाव पर कला कृति की विवेचना और गुफ्तगू इस विधा पर उनके गहन अनुभव का परिचय देती उनके पारखी कला की सूझ को परिभाषित करती रही।
भावनात्मक संवेदना और भाव प्रदर्शन का रंगों के माध्यम से प्रखर होने और रंगों से निखरने का कथन कलाकार की कला नजर उसके काम के मानक और प्रदर्शन हुनर की उत्कृष्टता का प्रमाण है। कलाकार के सूझवान कृत्य का व्याख्यान रंगों का चयन और भाव प्रदर्शन में उसके समावेश  के मयार से अंकित होता है ।हर रंग का अपना भाव है।सफेद दोस्ती है सच्चाई है काला उदासी है गम है  लाल शोख है तो दर्द भी है हरा जीवन है लाल संघर्ष है तो नीला सपने है कुल मिलाकर उनका इस्तेमाल ही भाव और  विषय को स्पष्ट करता अपनी पहचान लिए है।अतः बिना किसी टिकट ऐसी प्रदर्शनी इस कला के रूचिवान दर्शकों के लिए एक सुनहरी अवसर है।
संस्था के सचिव के, र ,कोली से बातचीत में आभास हुआ कि संस्था कला विकास और उत्थान का संकल्प लिए अपने सामर्थ्य से इस यज्ञ में लीन है ।लेकिन वहीं वह प्रशासन से इस कला के लिए सहयोग की भी आशा लिए हैं।सरकारी गैलरी अथवा अन्य उपलब्द सभागार कम से कम ऐसी प्रदर्शनी के लिए जो व्यवसायिक नहीं बल्कि कला प्रेमियों के लिए उन्हें इस कला के प्रति प्रोत्साहित करने को प्रायोजित है तो बिना किसी शुल्क मिलना चाहिए।कलाकार कृतियों पर भी खर्च करें और मुफ्त प्रदर्शन आयोजन पर भी अपने पास से पैसा लगाएं  और प्रशासन  सिर्फ बड़े बड़े दावे कर कला के उत्थान पर अपनी दावेदारी जताएं यह विचक्षणता  नहीं तो क्या है।
उनका अनुरोध था के कम से कम पत्रकार तो इस विषय पर उनके साथ अपनी आवाज़ मिलाएं तो शायद प्रशासन का सहयोग कम से कम ऐसी प्रदर्शनियों के लिए तो मिल जाए।जबकि वह आशा लिए है के अगर खेलकूद को बढ़ाने के लिए सरकार  इतना कुछ कर सकती है तो कला के क्षेत्र में वह निर्लिप्त क्यूँ नज़र आती हैं । उन्हें विश्वास है इस पर कभी तो चिंतन होगा चूंकि यह पहलू सार्थक औचित्य लिए है ।कलाकारों के दिल की आवाज़ अगर अख़बार के माध्यम से किसी समस्या का समाधान हो सके तो यह सार्थक और नेक प्रयास होगा। यह प्रदर्शनी 24 नवंबर सायं 5 बजे तक निशुल्क बिना किसी टिकट अथवा शुल्क कलाकारों के साथ उनकी कृतियों पर चर्चा लिए दर्शकों के लिए उपलब्ध है। आशा है उनकी आवाज़ प्रशासन तक पहुंचेगी और प्रदर्शनी कला प्रेमियों को प्रोत्साहित करती इस कला के उत्थान में अपना योगदान लिए रहेगी।प्रदर्शनी की सफलता के लिए शुभाशीष और संयोजकों को नमन।