Chandigarh News: जीरकपुर के वार्ड 25 और 26 के अंतर्गत दयालपुरा गांव में लगे ट्यूबवेल में क्लोरीन मिलाने की मशीन पिछले 3 साल से खराब है। आज तक किसी भी कर्मचारी या अधिकारी ने इस मशीन को जांचने का प्रयास नहीं किया कि यह मशीन चल रही है या नहीं। एक और बड़ी बात यह सामने आई है कि पानी साफ करने वाली इस दवा 2022 में एक्सपायर हो चुकी है। ग्रामीणों ने नगर परिषद पर आरोप लगाया कि परिषद के अधिकारियों द्वारा उनके स्वास्थ्य के साथ खुलेआम खिलवाड़ किया जा रहा है।
इस संबंध में जानकारी देते हुए बिल्ला चौधरी, करण चौधरी, सुखविंदर सिंह, पंकज तिवारी, हरचरण सिंह, जसबीर सिंह, मलकीत सिंह, बलवीर सिंह, दलबीर चौधरी व अन्य ग्रामीणों ने बताया कि दयालपुरा गांव के गंदे नाले के नजदीक ट्यूबवेल लगा हुआ है। क्लोरीन मिक्स करने वाली मशीन पिछले तीन वर्षों से खराब पड़ी है। उन्होंने कहा कि पानी में क्लोरीन ना मिलने के कारण कई लोग बीमारियों की चपेट में आ सकते हैं। उन्होंने कहा कि यह एक्सपायरी डेट दवाई पानी में मिक्स होकर सप्लाई होती तो यह गांव वासियों के लिए घातक सिद्ध हो सकती थी। क्योंकि दवा की अवधि 16 अप्रैल 2022 को समाप्त हो चुकी है. जिससे यह साबित होता है कि नगर परिषद द्वारा ऐसे गंभीर मामलों की जांच समय पर नहीं की जाती है।
दयालपुरा गांव के लोगों का कहना है कि नगर परिषद की लापरवाही के कारण ग्रामीण दूषित पानी पीने को मजबूर हैं। उन्होंने कहा कि कई लोगों के घरों में सीवेज मिश्रित पानी आता है। उन्होंने कहा कि पानी से दुर्गंध आती है. यदि नल को कुछ देर के लिए खुला छोड़ दिया जाए तो पहले कुछ मिनटों के लिए काला पानी निकलता है और फिर कुछ समय पश्चात साफ पानी बाहर आने लगता है।
ग्रामीण निवासियों ने बताया कि गांव के लोगों के बाल झड़ने लगे हैं, लोग पेट से जुड़ी बीमारियों से पीड़ित हो रहे हैं और धीरे-धीरे ग्रामीण अन्य बीमारियों की चपेट में आ रहे हैं। उन्होंने कहा कि ट्यूबवेल के बिल्कुल नजदीक एक गंदा नाला है और बरसात के दिनों में यह भर जाता है। इस नाले का सारा पानी ट्यूबवेल के बोर में गिरता है। ग्रामीणों की मांग है कि नाले की निकासी भूमिगत पाइप बिछाकर की जाए और क्लोरीन मशीन की मरम्मत कराकर भविष्य में भी इसका निरंतर रखरखाव किया जाए।