Chandigarh News : चंडीगढ़ का मुख्य अभियंता प्रशासन को 400 लाख का नुकसान पहचाने कि फिराक में।,, शिकायत करता

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Chandigarh Chief Engineer Administration suffered a loss of Rs 400 lakh, yet it was revealed., petition filed
  • टेंडर्स खुलने से 3 दिन पहले सीबीआई दी गई शिकायत भी रही बेअसर

(Chandigarh News) चंडीगढ़। शहर में विकास के नाम पर हजारों करोड़ रुपए पानी की तरह खर्च करके विकास कार्यों की परियोजनाओं को कार्यवनतीत किया जा रहा है। शहर का विकास कितना होगा यह तो आने वाला समय तय करेगा, परंतु विकास की आड़ में दिया जा रहे चहेतों को टेंडर प्रकिया में करप्शन की बदबू जरूर सामने आने लगी है। करप्शन के बदबू आए भी तो क्यों ना आए , टेंडर खुलने से 3 दिन पहले , 9 दिसंबर 2024 ही यह उजागर हो गया कि यह काम किस कंपनी को जाएगा, कंपनी का नाम सरेआम उजागर होते ही, यह मामला सी बी आई के पास तो पहुंचा परंतु कार्रवाई के नाम पर कुछ नहीं हुआ।

जैसा कि टेंडर पहले से निर्धारित था कि यह किसे मिलेगा, 12 दिसंबर 2024 को जैसे ही बीड ओपन हुई , वही हुआ जिसकी आशंका व्यक्त की गई थी शिकायत कर्ता का आरोप है कि चंडीगढ़ के मुख्य अभियंता चंद्रभूषण ओझा ने करीब 4 करोड़ की रिश्वत ले कर सीपीडब्ल्यूडी दिशानिर्देशों का उल्लंघन करते हुए एक साधारण नागरिक टेंडर को विशेष कार्य में बदल दिया,इससे सरकारी खजाने को करीब 1000 लाख रुपये से अधिक का नुकसान होने की संभावना बताई जा रही है। टेंडर प्रक्रिया को जटिल बनाने के लिए चार ऑडिटोरियम के निर्माण कार्य को एक में जोड़ दिया गया , चार कॉलेजों में बनने वाले ऑडिटोरियम में से एक सेक्टर 46, दूसरा सेक्टर 11 बाय, तीसरा सेक्टर 11 गर्ल्स कॉलेज , चौथा सेक्टर 10 का कॉलेज शामिल है।

यह कंबाइंड वर्क जानबूझकर इसलिए किए गए ताकि यह टेंडर किसी विशेष को दिया जा सके

यह कंबाइंड वर्क जानबूझकर इसलिए किए गए ताकि यह टेंडर किसी विशेष को दिया जा सके। अगर इन चार कॉलेज में बनने वाले ऑडिटोरियम का टेंडर अलग-अलग किया जाता तो इसके लिए अन्य ठेकेदार भी अप्लाई करने के लिए एजिवल हो जाते , परंतु अपनों को लाभ पहुंचाने के लिए चारों ऑडिटोरियम का टेंडर 42.15 करोड़ का एक ही टेंडर बना दिया गया , जिससे चाहेते ठेकेदार के राह में कोई अन्य ठेकेदार ना आ सके। गौरतलब है कि चंडीगढ़ प्रशासन में टेंडर की लिस्टिंग अधिकतम 15 करोड रुपए है। इतना ही नहीं इस टेंडर में काफी झोलमोल हुआ है

टेंडर की शर्तें इतनी सख्त हैं कि केवल उन्हीं एजेंसियों को आवेदन करने की अनुमति है

इस टेंडर में 87% साधारण नागरिक निर्माण कार्य शामिल है, लेकिन टेंडर की शर्तें इतनी सख्त हैं कि केवल उन्हीं एजेंसियों को आवेदन करने की अनुमति है जिन्होंने पहले भी ऐसे परियोजनाओं पर काम किया हो, जिनमें कम से कम 700 सीटें हों। यह शर्त सीपीडब्ल्यूडी दिशानिर्देशों में नहीं है, और यह आरोप लगाया जा रहा है कि यह शर्त केवल कुछ चुनिंदा फर्मों को फायदा पहुंचाने के लिए बनाई गई है पहले ही यह काम स्पेशलाइट है इस इलावा टेंडर में सात संघों को अनुमति दी गई है, जो कि सिस्टम का मजाक उड़ाने जैसा है यह कार्य सिविल का काम करने फर्म को दिया जा सकता था संघों में शामिल हैं

सार्वजनिक स्वास्थ्य पाइपिंग और फिटिंग कार्य 55.34 लाख रुपये, फायर फाइटिंग 1.16 करोड़ रुपये,
आंतरिक इलेक्ट्रिकल स्थापना 1.80 करोड़ रुपये,
फायर डिटेक्शन और अलार्म सिस्टम 43.96 लाख रुपये,
डीजी सेट्स 1.43 करोड़ रुपये,
यूपीएस 29.79 लाख रुपये,
लिफ्ट्स 15.64 लाख रुपये इत्यादि कार्य है।

गौरतलब है कि चंडीगढ़ में विभाग द्वारा ठेकेदारों को लाभ पहुंचाने का यह मामला पहला मामला नहीं है इससे पहले भी 70 – 70 परसेंट डिस्काउंट का खेल खेला जाता रहा है। परंतु यह टेंडर मात्र 5% के डिस्काउंट पर गया। कारण सब को साफ दिखाई दे रहा है। इतना कुछ होते हुए भी सब खामोशी के साथ बैठे हुए हैं, यह सच में एक गंभीर चिंता का विषय है । अब देखना होगा कि सी बी आई को दी गई शिकायत का कुछ असर होता है या यह मामला भी अन्य केसों के तरह ठंडे बस्ते में चला जाएगा।