Chandigarh News: चंडीगढ़ प्रशासन के एस्टेट विभाग ने शहर में अवैध निर्माणों को गिराने की प्रक्रिया को स्टैंडर्डाइज करने के लिए नई गाइडलाइंस जारी की हैं। इसके तहत सभी संबंधित प्रशासनिक सचिवों को निर्देश दिए गए हैं कि डिप्टी कमिश्नर कार्यालय द्वारा जारी किए जाने वाले नोटिसों का डिजिटल रिकॉर्ड रखना अनिवार्य होगा। इसके साथ ही, नोटिस जारी करने की सूचना का एक ऑटो-जनरेटेड एक्नॉलेजमेंट भी तैयार किया जाएगा।
नोडल अधिकारी नियुक्त करने का आदेश
डिप्टी कमिश्नर कार्यालय को एक नोडल अधिकारी नियुक्त करने के निर्देश दिए हैं, जो तोड़फोड़ की सूचना संबंधित विभागों को देगा और आदेश जारी करते समय उल्लंघन की स्पष्ट जानकारी देगा।
चंडीगढ़ में आवासीय और व्यवसायिक संपत्तियों से संबंधित मामलों को देखने की जिम्मेदारी एस्टेट ऑफिस, चंडीगढ़ हाउसिंग बोर्ड (सीएचबी), नगर निगम और डिप्टी कमिश्नर कार्यालय की होती है।
भवन निर्माण की अनुमति जारी करते समय बिल्डर या आवेदक से यह अंडरटेकिंग लेनी होगी कि इमारत का कब्जा केवल पूर्णता/व्यवसाय प्रमाणपत्र मिलने के बाद ही लाभार्थियों को सौंपा जाएगा।
निर्माण स्थल पर पूरे निर्माण काल के दौरान स्वीकृत योजना की प्रति प्रदर्शित करना अनिवार्य होगा। संबंधित विभागों को समय-समय पर निरीक्षण करना होगा और उसका रिकॉर्ड रखना होगा।बिजली, पानी, सीवरेज आदि केवल पूर्णता/व्यवसाय प्रमाणपत्र दिखाने के बाद ही दिए जाएंगे।
अवैध इमारत में व्यापार संचालन की अनुमति नहीं दी जाएगी। वित्तीय संस्थाएं किसी भी इमारत को गिरवी रखने या लोन लेने से पहले उसके दस्तावेज और पूर्णता/व्यवसाय प्रमाणपत्र चेक करें।
अवैध निर्माण को तोड़ने से पहले संबंधित व्यक्ति को कारण बताओ नोटिस दिया जाएगा। नोटिस स्थानीय नगरपालिका कानूनों के अनुसार तय समय सीमा में या फिर नोटिस जारी होने के 15 दिनों के भीतर जवाब देना होगा।
नामित अधिकारी को संबंधित व्यक्ति को व्यक्तिगत सुनवाई देने के निर्देश दिए हैं। कानून में अपील का प्रावधान है, तो आदेश जारी होने के बाद 15 दिनों तक उसे लागू नहीं किया जाएगा।”