Chandigarh News: जीएमसीएच 32 में एनाटॉमी के लिए मानक के अनुसार नहीं मिल रहे शव, कमी दूर करेगा पिंगलवाड़ा

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चंडीगढ़ (आज समाज): जीएमसीएच 32 में शव की उपलब्धता न हो पाने से एनाटॉमी की पढ़ाई प्रभावित हो रही थी। वहीं इस मामले को लेकर नेशनल मेडिकल कमीशन ने भी आपत्ति जताई है। जिसके बाद मेडिकल कॉलेज इस इस समस्या को दूर करने के लिए व्यापक स्तर पर काम शुरू कर दिया है। कॉलेज में प्रत्येक सत्र में 150 छात्रों के लिए मानक के अनुसार 15 शव उपलब्ध होने चाहिए।
चंडीगढ़ जीएमसीएच 32 प्रशासन में एनाटॉमी की पढ़ाई में हो रही शवों की कमी को दूर करने में अब पिंगलवाड़ा सहयोग करेगा। इसके लिए कॉलेज प्रशासन ने पिंगलवाड़ा को पत्र लिखकर सहयोग मांगा है।
संस्था से कहा गया है कि वे अपने यहां शवों का अंतिम संस्कार करने की बजाय उसे मेडिकल कॉलेज को दें, जिससे डॉक्टरी के छात्रों को एनाटॉमी की पढ़ाई और अच्छी तरह से कराई जा सके। इसके साथ ही जीएमसीएच 32 ने पीजीआई से भी सहयोग मांगा है। जिसके बाद पीजीआई ने दो शव उपलब्ध भी कराएं हैं।
इस प्रक्रिया से एनाटॉमी के प्रैक्टिकल में आ रही परेशानी को काफी हद तक दूर करने की उम्मीद जताई जा रही है।
वेबसाइट पर आएं मिलेगी सारी जानकारी
जीएमसीएच 32 के एनाटॉमी विभाग के प्रमुख डॉ. महेश के शर्मा ने बताया कि देहदान के लिए जीएमसीएच 32 की वेबसाइट पर जाकर डिपार्टमेंट पर क्लिक करें। उसमें एनाटॉमी विभाग खुलेगा। उस पेज पर इससे जुड़ी पूरी जानकारी उपलब्ध है। अगर इससे बात न बनें तो मेडिकल कॉलेज आकर विभाग में संपर्क किया जा सकता है।
डॉ. महेश का कहना है कि देहदान के प्रति जागरूकता का स्तर अभी बहुत कम है। एक वर्ष में हजारों लोग संकल्प लेते हैं, लेकिन देहदान महज दो से चार ही होता है। वहीं जहां तक एनाटॉमी की बात है तो नेशनल मेडिकल काउंसिल के मानक के अनुसार 10 छात्रों पर एक शव होना चाहिए। जिस पर वे एक सत्र में एनाटॉमी की जानकारी लेते हैं। लेकिन शव की उपलब्धता बेहद मुश्किल है। अब इसे दूर करने के लिए प्रत्येक स्तर पर प्रयास किया जा रहा है।
पिंगलवाड़ा के बारे में जानें
पिंगलवाड़ा की स्थापना अनौपचारिक रूप से वर्ष 1924 में 19 वर्षीय रामजी दास द्वारा की गई थी, जो बाद में भगत पूरन सिंह के नाम से प्रसिद्ध हुए। वर्तमान में पिंगलवाड़ा की सात शाखाएं हैं, जिनमें चंडीगढ़, संगरूर, जालंधर, गोइंदवाल, मानांवाला और पंडोरी वड़ैच में एक-एक शाखा है। इसके अलावा अमृतसर में इसका मुख्य कार्यालय और मुख्य शाखा भी है। इन सभी शाखाओं में 1700 कैदी हैं। इन संवासिनियों की देखभाल के अलावा, पिंगलवाड़ा में 5 स्कूल, 2 दंत चिकित्सालय, एक अल्ट्रासाउंड केंद्र, एक नेत्र चिकित्सालय, एक कृत्रिम अंग केंद्र, एक फिजियोथेरेपी केंद्र, एक सिलाई-कढ़ाई केंद्र चलाए जा रहे हैं। ये सभी सेवाएं और सुविधाएं निःशुल्क प्रदान की जाती हैं।
शव की कमी लगभग सभी मेडिकल कॉलेज में है। इसे दूर करने के लिए कॉलेज ने प्रयास शुरू कर दिए हैं। इसके लिए पिंगलवाड़ा को पत्र लिखा गया है। जिसमें कहा गया है कि वे अपने यहां के शवों का अंतिम संस्कार करने की बजाय मेडिकल कॉलेज को दें। इससे समस्या का काफी हद तक समाधान संभव होगा। वहीं पीजीआई से भी सहयोग मांगा गया है। वहां से भी दो शव प्राप्त हुए हैं। जिससे एनाटॉमी की प्रक्रिया बिना रूकावट के चल रही है। देहदान जागरूकता से ही बढ़ेगा। इसके लिए सभी को मिलकर प्रयास करना होगा। – प्रो. एके अत्रh, डायरेक्टर प्रिंसिपल जीएमसीएच 32