चंडीगढ़ (मंजीत सहदेव): भाजपा के पितृ पुरुष डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी की जन्म जयंती के अवसर पर आज भारतीय जनता पार्टी प्रदेश कार्यालय कमलम में भाजपा कार्यकर्ताओं द्वारा उनकी फोटो पर पुष्पांजलि अर्पित कर उन्हें याद किया गया व उनके बताये रास्ते पर चलते हुए राष्ट्र सेवा का प्रण लिया।
इस अवसर पर भाजपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष सौदान सिंह ने विशेष रूप से उपस्थित रहकर उन्हें पुष्पांजलि अर्पित की उनके साथ चंडीगढ़ भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष जतिंदर पल मल्होत्रा, महामंत्री हुकम चंद एवं अन्य कार्यकर्ता मौजूद रहे।
इस अवसर पर राष्ट्रीय उपाध्यक्ष सौदान सिंह ने पुष्पांजलि अर्पित करते हुए उनको याद किया और कहा कि श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में अपने प्रभावशाली योगदान के लिए अपार सम्मान प्राप्त किया। उनकी आदर्शवादी सोच, निष्ठा, और प्रतिबद्धता ने लोगों को प्रभावित किया और उन्होंने देश की स्वतंत्रता के लिए संघर्ष किया। तथा तथा स्वतंत्रता के। बाद देश को सच्ची स्वतंत्रता दिलाने के लिए एक देश दो विधान ,दो निशान नहीं चलेंगे का नारा दिया व कश्मीर को भारत का अभिन्न अंग बताया तथा कश्मीर की स्वतंत्रता के लिए अपना बलिदान दिया।
डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी का जन्म 6 जुलाई, 1908 को कोलकाता (पश्चिम बंगाल) में हुआ था, उनके पिता का नाम आशुतोष मुखर्जी था। कोलकाता विश्वविद्यालय से शिक्षा करके ब्रिटिश सरकारी स्कॉलरशिप प्राप्त कर ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय में शिक्षा प्राप्त करने के लिए इंग्लैंड गए। उन्होंने वहां उच्चतर अध्ययन में उत्कृष्टता प्राप्त की और विभिन्न गैर-कार्यकारी संगठनों में सक्रिय रूप से हिस्सा लिया।
भारत लौटने के बाद, डॉ. मुखर्जी ने स्वतंत्रता संग्राम में अपना सक्रिय योगदान दिया और बंगाल के प्रमुख स्वतंत्रता सेनानी बने। उन्होंने भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के दौरान विभिन्न जेलों में कैदी रहकर अपने सामरिक और व्यापारिक कुशलताओं का प्रदर्शन किया।
डॉ. मुखर्जी का व्यक्तित्व राष्ट्रीयता, गौरव और आदर्शवाद के दृष्टिकोण से अत्यंत महत्वपूर्ण था। उन्होंने स्वतंत्र भारत के निर्माण के लिए महत्वपूर्ण योगदान दिया और उच्च नैतिक मूल्यों, संघटित संगठन, राष्ट्रीय एकता और गौरव को बढ़ावा दिया। उन्होंने राष्ट्र को हमेशा सर्वोपरि माना।
आज का दिन भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के इस महान सपूत का जन्मदिन है जिसे हम श्यामा प्रसाद मुखर्जी जयंती के रूप में मना कर उनके प्रति अपनी श्रद्धा अर्पित करते है और उनके बताए मार्ग पर चलने का प्रण लेते है।