Chandigarh News: जालंधर : मोटापे से पीड़ित लोगों को अक्सर वज़न घटाने के लिए कई तरह की चुनौतियों और मुश्किलों का सामना करना पड़ता है, हालांकि बैरिएट्रिक सर्जरी उन लोगों के लिए उम्मीद की नई किरण लेकर आई है जो मोटापे और इससे जुड़ी बीमारियों से परेशान हैं। आज के दौर में मोटापा दुनिया भर में बड़ी समस्या बन चुकी है, जिसके चलते जानलेवा बीमारियों जैसे दिल की बीमारियों, डायबिटीज़, जोड़ों की समस्याओं का खतरा कहीं अधिक बढ़ गया है। इसके अलावा मोटापा व्यक्ति के मानसिक स्वास्थ्य और समग्र स्वास्थ्य पर भी बुरा असर पैदा करता है। ये कहना है ,डॉ. जी.एस. जम्मू , हेड ऑफ़ डिपार्टमेंट,सर्जरी,जम्मू हॉस्पिटल , का । *
बैरिएट्रिक सर्जरी के प्रकार* बैरिएट्रिक सर्जरी मरीज़ की ज़रूरत और पसंद के आधार पर कई तरह की हो सकती है। इसका फैसला मरीज़ के वज़न, उसकी मेडिकल हिस्ट्री और व्यक्तिगत लक्ष्यों के आधार पर किया जाता है। यहां बैरिएट्रिक सर्जरी के कुछ प्रकार दिए गए हैं:
*राउक्स-एन-वाय गैस्ट्रिक बायपास* इस सर्जरी में आमाश्य में छोटा पाउच बनाकर इसे सीधे छोटी आंत से जोड़ दिया जाता है। इससे आमाश्य में इकट्ठा हुआ फूड स्टोरेज और पोषण के अवशोषण में बदलाव आता है और लम्बी अवधि में मरीज़ का वज़न कम हो जाता है। (60 से 80 फीसदी)। इससे मोटापे से संबंधित अन्य बीमारियों जैसे टाईप 2 डायबिटीज़, हाई ब्लड प्रेशर और स्लीप एप्निया में भी सुधार होता है।
*स्लीव गैस्ट्रेक्टोमी* इस तरह की सर्जरी में आमाश्य का 80 फीसदी हिस्सा काट कर इसे केले की तरह संकरा बना दिया जाता है। इससे मरीज़ के खाने की मात्रा और भूख लगने वाले हॉर्मोन्स की मात्रा में कमी आती है। कम खाने से उसका पेट जल्दी भर जाता है। यह गैस्ट्रिक बायपास की तुलना में आसान है, इसमें मरीज़ का 50-70 फीसदी अतिरिक्त वज़न कम किया जा सकता है।
*मिनी गैस्ट्रिक बायपास* यह मिनिमल इनवेसिव वेट-लॉस सर्जरी है, जिसमें आमाश्य का साइज़ छोटा तथा छोटी आंत को रीरूट कर दिया जाता है। इससे मरीज़ के द्वारा खाने और पोषण अवशोषण की मात्रा सीमित हो जाती है ओर उसका वज़न कम होता है। यह प्रक्रिया पारम्परिक गैस्ट्रिक बायपास की तुलना में जल्द हो जाती है, इसमें जटिलताओं की संभावना भी कम होती है। इस तरह की सर्जरी का उपयोग मोटापे एवं इससे जुड़ी अन्य बीमारियों जैसे डायबिटीज़ के उपचार के लिए किया जाता है।