Chandigarh News: मोटापे से लड़ने में आयुर्वेद बेहद कारगर है: डॉ. शिल्पा जैन

0
112
Chandigarh News
Chandigarh News: पंचकूला ,आयुर्वेद में ‘मेध  रोग’ के नाम से जाना जाने वाला मोटापा तेजी से पूरे विश्व के लिए एक प्रमुख स्वास्थ्य संकट बनता जा रहा है और ये कई बीमारियों का मूल कारण है। उच्च रक्तचाप (बीपी), हाई कोलेस्ट्रॉल और मधुमेह से लेकर हृदय रोग, जोड़ों के दर्द, हार्मोनल असंतुलन और फैटी लीवर तक, मोटापा गंभीर स्वास्थ्य संबंधित समस्याओं की नींव रखता है।22 साल से अधिक के अनुभव वाली प्रसिद्ध आयुर्वेदिक चिकित्सक और पंचकूला सेक्टर 16 स्थित संजीवनी आयुर्वेदिक अनुसंधान केंद्र,  की संस्थापक डॉ. शिल्पा जैन आयुर्वेद के माध्यम से वजन प्रबंधन के लिए एक प्राकृतिक और प्रभावी दृष्टिकोण की पक्षधारिता करती हैं।डॉ. जैन ने कहा कि “मोटापा केवल एक कॉस्मेटिक चिंता नहीं है, बल्कि शरीर के दोषों- वात, पित्त और कफ के असंतुलन के चलते पैदा होने वाला एक मेटाबॉलिज्म विकार (पाचन प्रक्रिया से संबंधित) है।
” उन्होंने बताया कि “खासकर कफ दोष में वृद्धि, वजन बढ़ना, निष्क्रियता, हाई कोलेस्ट्रॉल और अन्य कई स्वास्थ्य समस्याओं को जन्म देता  है। आयुर्वेद इन असंतुलनों को समग्र और स्थायी रूप से दूर करने के लिए समय की कसौटी पर जांचा-परखा बेहतर और प्रमाणित समाधान प्रदान करता है।
डॉ. शिल्पा जैन ‘आयुर्वेद में मोटापे का प्रबंधन एवं उपचार’ विषय पर एक ऑनलाइन सत्र में अपने विचार व्यक्त कर रही थीं।उन्होने कहा  कि  मोटापे के उपचार की शुरुआत एक व्यापक बॉडी फैट एनालिसिस (शारीरिक वसा विश्लेषण) से होती है, जिसमें बीएमआई, मसल मास रेश्यो, शरीर में पानी के स्तर और मेटाबोलिक उम्र सहित 13 महत्वपूर्ण स्वास्थ्य मापदंडों का आकलन किया जाता है। शारीरिक जांच के परिणामों के आधार पर, व्यक्तिगत आवश्यकताओं के अनुरूप एक व्यक्तिगत आहार और योग योजना तैयार की जाती है।
डॉ. शिल्पा जैन ने कहा  कि मोटापे के इलाज के लिए प्रमुख आयुर्वेदिक उपचारों के कॉम्बीनेशन का उपयोग किया जाता है। हम ‘पंचकर्म थेरेपी’ करते हैं जो शरीर को साफ करने और संतुलन बहाल करने के लिए एक डीटॉक्सिफिकेशन प्रक्रिया है। उद्वर्तन थेरेपी का भी उपयोग किया जाता है; इसमें एक सूखे पाउडर से की जाने वाली मालिश शामिल है जो वसा कोशिकाओं यानी फैट सेल्स को लक्षित करता है, जिससे वजन घटाने में सहायता मिलती है।
उन्होंने आगे कहा कि   इसके अलावा, ‘अभ्यंग स्वेदन’ जो कफ दोष को कम करने के लिए तेल मालिश और स्टीम थेरेपी का एक बेहतरीन कॉम्बीनेशन है, जिसे उपचार प्रोटोकॉल के तहत तय किया जाता है। हम बस्ती करम का भी उपयोग करते हैं जिसके तहत दोषों को डिटॉक्सिफाई और संतुलित करने के लिए औषधीय तेलों या हर्बल मिश्रणों को एनीमा के रूप में उपयोग में लाया जाता है।
डॉ. जैन ने कहा, “इन उपचारों के माध्यम से, अनुकूलित आहार और योग दिनचर्या के साथ, रोगियों को बिना किसी दुष्प्रभाव के प्रति माह 5 से 12 किलोग्राम के बीच  वजन घटाने का अनुभव होता है।”डॉ. जैन ने इस बात पर प्रकाश डाला कि शरीर के दोष समग्र स्वास्थ्य में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। उन्होंने कहा, “जबकि ‘कफ दोष’ असंतुलन की ओर ले जाता है जो मोटापे, सुस्ती और हृदय रोगों का कारण बन सकता है; ‘वात दोष’ जोड़ों के दर्द, सूजन और अकड़न से जुड़ा है। एक अन्य दोष – ‘पित्त दोष’ अपच, एसिडिटी और हार्मोनल असंतुलन का कारण बन सकता है।
उन्होंने कहा कि “हमारा दृष्टिकोण नाड़ी परीक्षण (पल्स डायग्नोसिस) सहित उचित मूल्यांकन के माध्यम से इन असंतुलनों की पहचान करने और उन्हें ठीक करने और सुरक्षित और प्रभावी हर्बल दवाओं को उपयोग में लाने पर केंद्रित है।”जब दुनिया मोटापे की महामारी से जूझ रही है, आयुर्वेद – मोटापे से लड़ने का एक प्राकृतिक और बेहतर माध्यम प्रदान करते हुए आशा की एक किरण प्रदान करता है। डॉ. शिल्पा जैन ने अंत में कहा कि “सबसे अच्छी बात यह है कि आयुर्वेद में हम मोटापे से निपटने के लिए प्राकृतिक तकनीकों का उपयोग करते हैं और रोगी को सर्जरी द्वारा फैट यानी वसा हटाने की कोई आवश्यकता नहीं होती है।”