चण्डीगढ़

Chandigarh News: अनुलोम विलोम, नाड़ी शोधन व तेज गति से सांस लेने वाली क्रियाओं से करें बचाव

Chandigarh News: दीपावली के बाद से चंडीगढ़ में प्रदूषण की मात्रा प्रतिदिन बढ़ती जा रही है। चंडीगढ़ प्रदूषण में देश का दूसरा सबसे प्रदूषित शहर की सूची में आ गया है, ऐसे में प्रदूषण से बचाव के लिए घरों से बाहर निकलना तो बंद नहीं किया जा सकता है लेकिन कुछ घरेलू उपाय और योग अभ्यास से सेहत को स्वस्थ बनाया जा सकता है।

सेक्टर 49 स्थित योग संस्था के योग गुरू एम एन शुक्ला ने बताया कि वायु में कई जहरीली गैस एक साथ मिश्रित है, जिसकी वजह से आंखों से पानी आना, गले में जलन व कई लोगों को सांस लेने में तकलीफ हो सकती है। वायु में प्रदूषण अधिक होने के कारण कई सारी समस्या हो सकती है जिसके बचाव के लिए घरों में बैठ कर क्रियाएं की जा सकती है। जिनके द्वारा फेफड़ो के स्वस्थ रखा जा सकता है, और शरीर में रक्त के संचारण को भी नियंत्रित किया जा सकता है।

अग्निसार क्रिया- आसन लगाकर पद्मासन में बैठ जाए, और अपने मूलअंगों को बंद करे, या सिकुड ले, और नाभि को अंदर बाहर की ओर करे, ध्यान रखे तेज स्वास का उपयोग न करे, यह आसन पेट की जठराग्नि को तेज करता, शरीर में पाचन की क्रिया को भी सही करने में कारगर,भूख को बढ़ाता है, और पेट के रोगों को कम करता है।

कपालभाति- सामान्य स्तर की प्रकिया मूलबंद को आसन से लगा दे, और आंतरिक शरीर से खांसी के रूप में स्वर को निकाले, दिन में 4,5 बार इस प्रकिया को करे और श्वास का स्तर नियंत्रित रखे। यह क्रिया करने से शरीर के 80 प्रतिशत रोगों को दूर करने का कार्य करता है।
भ्रामरी- पहली अंगुली आंख से लगाए, दूसरी नॉस्ट्रिल के आस पास लगाए, 3,4 होठो के नीचे और कान के अंदर से ओम की ध्वनी चलाए, चिंता व डिप्रेशन से बाहर निकालता है, याददाश्त को तेज बढ़ाता है।

कुंजल क्रिया सांस संबंधी रोगों के लिए कारगरः मंगेश त्रिवेदी

अखिल भारतीय योग शिक्षक महासंघ के मंगेश त्रिवेदी बताते है कि कपालभाति में सांसों को ताकत के साथ नाक के माध्यम से बाहर छोड़ जाता है। ऐसा करके फेफड़ों में शक्ति का संचार भी होता है और शरीर में प्रदूषण के चलते पहुंचे कण बाहर निकल जाते हैं। जबकि जलनेति से नाक के अंदर जमा प्रदूषण के खतरनाक कण पानी से दूर करके बाहर किए जाते हैं और सांस लेने की प्रक्रिया को आसान किया जाता है। कुंजल क्रिया भी सांस संबंधी रोगों के लिए कारगर होती है। इस क्रिया के दौरान गुनगुना पानी और उसमें थोड़ा नमक मिलाकर दो से तीन गिलास पीना चाहिए। उसके बाद गले में उंगलियों को डालकर पिया गया पूरा पानी निकाल देना चाहिए। एक तरह से उल्टी के माध्यम से शरीर में गया पूरा पानी फेफड़े और नालिका में जमा गंदगी को बाहर कर देता है। यह प्रक्रिया खाली पेट की जानी चाहिए।

ध्यान दें

  • घर से बाहर निकलते वक्त मास्क का उपयोग करे और, शरीर में गति का नियंत्रण बनाए रखे, साथ ही भोजन के साथ पानी का सेवन न करे।
  • वायु में जब तक प्रदूषण की मात्रा कम न हो, तब तक अनुलोम विलोम, भस्त्रिका व नाड़ी सोधन करने से बचे।
Mamta

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