Chandigarh News: कई बार दो व्यक्ति किसी रिश्ते में एक अंत तक पहुंच जाते हैं। ऐसी स्थिति में जहां वे एकदूसरे के साथ आनंदित नहीं होते, उनके बीच अच्छे पल नहीं बीतते लेकिन वे एकदूसरे के प्रति खुलकर अपनी भावनाएं व्यक्त नहीं करते क्योंकि उन्हें अपनी छवि की चिंता होती है।
ऐसे में कोई भी रिश्ता लंबे समय तक चलता रहे तो उसमें भीतर ही भीतर विस्फोटक स्थिति बनती रहती है। जो लोग इस तरह की स्थितियों में होते हैं वे खीझ, पीड़ा और तनाव झेलते रहते हैं। जब रिश्तों में सच नहीं रहता तो आपसी बहस और रोष की स्थिति बनती है।
रिश्ते बोझ बन जाते हैं और उन्हें झेलना या उनमें बने रहना आपकी बहुत-सी ऊर्जा सोख लेता है। ऐसे में जरूरी है कि हम छवि की चिंता करे बिना सच कहें। ये शब्द मनीषीसंतमुनिश्रीविनयकुमार जी आलोक ने सैक्टर-24सी अणुव्रत भवन तुलसीसभागार मे कहे।
मनीषीसंत ने आगे कहा यह बहुत मुश्किल स्थिति होती है कि आप दूसरे का दिल तोडऩे वाला सच कहें लेकिन अगर आप किसी के साथ का आनंद नहीं उठा रहे हैं तो आपको हिम्मत के साथ सच कहना चाहिए। इस बात को स्वीकारना चाहिए कि आप संबंधों में तनाव से गुजर रहे हैं और इसकी जवाबदारी उठाते हुए साहस करके सच कहना चाहिए। अगर आप आज अपने संबंधों में सच नहीं कहते हैं तो आपको कुछ समय बाद इस सच को स्वीकारना होगा और तब स्थिति ज्यादा खराब हो चुकी होगी।
जीवन में सभी चाहते हैं कि वे अपने तमाम संबंधों में अच्छे बने रहें और इसलिए कई बार वे सच नहीं बोलते हैं। लेकिन आज सच के पक्ष में नहीं खड़ा होने के कारण हम अपने मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य को नुकसान पहुंचाते हैं। भले ही हमारे निकटस्थ लोगों को हमारी बात अप्रिय और कडवी लगे लेकिन यथास्थिति में बने रहना हमारी पहली शर्त हो।
मनीषीश्रीसंत ने अंत मे फरमाया जीवन में सफलता के लिए आत्मविश्वास उतना ही आवश्यक है, जितना मानव के लिए ऑक्सीजन तथा मछली के लिए पानी। बिना आत्मविश्वास के व्यक्ति सफलता की डगर पर कदम बढ़ा ही नहीं सकता। आत्मविश्वास वह ऊर्जा है, जो सफलता की राह में आने वाली अड़चनों, कठिनाइयों एवं परेशानियों से मुकाबला करने के लिए व्यक्ति को साहस प्रदान करती है। है।
वर्तमान समय में अगर हमें कुछ पाना है, किसी भी क्षेत्र में कुछ करके दिखाना है, जीवन को खुशी से जीना है, तो इन सबके लिए आत्मविश्वास का होना परम आवश्यक है। आत्मविश्वास में वह शक्ति है जिसके माध्यम से हम कुछ भी कर सकते है।
आत्मविश्वास से हमारी संकल्प शक्ति बढ़ती है और संकल्प शक्ति से बढ़ती है हमारी आत्मिक शक्ति। संसार के सारे युद्धों में इतने लोग नहीं हारते, जितने कि सिर्फ घबराहट से। अत: अपने ऊपर विश्वास रखकर ही आप दुनिया में बड़े से बड़ा काम सहज ही कर सकते हैं और अपना जीवन सफल बना सकते हैं। मधुमक्खी कण-कण से ही शहद इक_ा करती है। उसे कहीं से इसका भंडार नहीं मिलता। उसके छत्ते में भरा शहद उसके आत्मविश्वास और कठिन परिश्रम का ही परिणाम है।