(Chandigarh News) चंडीगढ़। चंडीगढ़ खाद्य सुरक्षा और सस्ता भोजन के लक्ष्य को सतत कृषि समाधान के जरिये हासिल करने के उद्देश्य से, सिंजेंटा इंडिया ने वीरवार को बायोएग वर्ल्ड कांग्रेस में विज्ञान आधारित बायोलॉजिकल उत्पादों के माध्यम से किसानों को सशक्त बनाने के लिए अपनी कार्ययोजना पेश की ।सिंजेंटा के कंट्री हेड एवं मैनेजिंग डायरेक्टर सुशील कुमार ने कहा, ‘खेती कई जटिल चुनौतियों का सामना कर रही है। ऐसे में पर्यावरण-अनुकूल और संतुलित खेती सुनिश्चित करने के लिए हमें बहु-आयामी रणनीति अपनानी होगी। नए बायोलॉजिकल उत्पाद हमारे उन सर्वोत्तम उपायों में से एक हैं, जो मिट्टी की गुणवत्ता को सुधारते हैं, फसलों की सहनशक्ति बढ़ाने और किसानों को समग्र समाधान देने के लिए बनाए गए हैं।
‘आधुनिक कृषि को साकार करने के लिए हमें नए उपकरणों की ज़रूरत है
सुशील ने टेक्नॉलजी की आवश्यकता पर ज़ोर देते हुए कहा कि वैश्विक स्तर पर खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने में किसान कई तरह की चुनौतियों का सामना कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि खाद्य श्रृंखला और खाद्य अवशेषों के बेहतर प्रबंधन के प्रति जनता का दबाव, खेती के विकल्पों को और सीमित कर देता है। कीटों में प्रतिरोधक क्षमता विकसित होने और उनके व्यवहार में बदलाव के कारण समाधान की प्रभावशीलता कम हो रही है, जिससे नई कार्यप्रणालियों की आवश्यकता है।
सतत और संतुलित कृषि को बढ़ावा देने के लिए नीतिगत प्रयासों की आवश्यकता पर ज़ोर देते हुए सुशील ने कहा, ‘आधुनिक कृषि को साकार करने के लिए हमें नए उपकरणों की ज़रूरत है।
इस चुनौती का सामना करने के लिए बड़े पैमाने पर प्रयास जरूरी है और नई तकनीक के बायोलॉजिकल एवं बीज उपचार इस बदलाव की अग्रिम पंक्ति में हैं।बायोलॉजिकल की चर्चा करते हुए सुशील ने कहा कि प्राकृतिक माइक्रोबियल, समुद्री शैवाल और पौधों के अर्क पोषक तत्वों के चक्रण, कीट और रोग नियंत्रण तथा पौधों की वृद्धि में मदद करते हैं।
बायोलॉजिकल्स के तीन मुख्य टाइप्स – बायोस्टिमुलेंट्स, पोषक तत्व उपयोग दक्षता वाले प्रोडक्ट और बायोकंट्रोल – किसानों को प्रतिरोध प्रबंधन, मिट्टी की सेहत सुधारने, खाद्य में रासायनिक अवशेष घटाने और जलवायु परिवर्तन के प्रभावों से निपटने में अधिक विकल्प देते हैं।सुशील ने कहा कि सिंजेंटा बायोलॉजिकल्स प्रगतिशील और वैज्ञानिक तरीकों के ज़रिए किसानों को अधिक विकल्प और लचीलापन प्रदान करता है। हम किसानों को कीट और रोग नियंत्रण, जैविक तनाव से निपटने, मिट्टी की गुणवत्ता सुधारने और पोषक तत्वों के बेहतर उपयोग के लिए अतिरिक्त समाधान प्रदान करते हैं।