Chandigarh News: बच्चे से दुर्व्यवहार उनके जीवन, मानसिकता और व्यक्तित्व पर गहरा डालता है असर

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Chandigarh News: उपायुक्त मोनिका गुप्ता के मार्गदर्शन में हिपा सेक्टर-25 पंचकूला में जिला बाल सरंक्षण अधिकारी द्वारा पोक्सो एक्ट-2012, जेजे एक्ट-2012 के साथ संशोधन अधिनियम-2021 और गोद लेने के नियम-2022 को लेकर जागरूकता के लिए एक दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन किया गया।

पंजाब एंड हरियाणा हाई कोर्ट से एडवोकेट दीपा ने बतौर रिसोर्स पर्सन शिरकत की। एडवोकेट दीपा ने किशोर न्याय अधिनियम (जेजे एक्ट 2012) के साथ संशोधन अधिनियम 2021 व पोक्सो एक्ट (2012) की बारीकियों से सभी स्टेकहोल्डर्स को जागरूक किया।

उन्होंने बताया कि बच्चों से दुर्व्यवहार करने वाले अक्सर बच्चों के जान पहचान या नजदीकी रिश्तेदार पाए जाते है। बदनामी के डर से ऐसी घटनाए अकसर परिवारों में दबा दी जाती है और कई बार डरा धमकाकर बच्चों को चुप कराया जाता है। ऐसे हादसों से बच्चे के जीवन, मानसिकता और व्यक्तित्व पर गहरा असर पड़ता है।

उन्होंने बताया कि यौन शोषण के लिए हम चाइल्ड लाइन 1098 व 112 पर भी शिकायत कर सकते है, जिस पर तुरंत घर बैठे कार्यवाही होगी। ऐसे मामलों की गंभीरता समझते हुए 2012 में यौन शोषण के रोकथाम के लिए भारत में एक विशेष कानून लाया गया। इस कानून को लैंगिक अपराधों से बालकों का संरक्षण अधिनियम 2012 बनाया गया।

उन्होंने बताया कि इस कानून के मुताबिक 18 साल से कम उम्र के सभी बच्चे चाहे लड़का हो या लड़की जिनके साथ हिंसा, शोषण, अपराध हुआ हो या करने का प्रयास किया गया हो, ऐसे अपराध कानून के दायरे में आता है। इस कानून में कई तरह के अपराधों को शामिल किया गया है जैसे बलात्कार, बच्चों को यौन संतुष्टि के लिए इस्तेमाल करना या उकसाना, बच्चों को अश्लील चित्र व लेखन दिखाना, उनके साथ अश्लील बात करना, बच्चों के शरीर को या यौन अंगो को गलत इरादे से छूना बच्चों का पीछा करना इत्यादि शामिल है।

पीड़ित बच्चे को मुआवजा व गरीब बच्चे को आर्थिक सहायता का प्रावधान

उन्होंने बताया कि इस कानून में ऐसे अपराधों के लिए अपराधियों को उम्र कैद से लेकर फांसी तक की सजा व जुर्माना का प्रावधान है। पीड़ित बच्चे को मुआवजा व गरीब बच्चे को आर्थिक सहायता दी जाती है। इस एक्ट के द्वारा भारतीय यौन अपराधों से बच्चों का संरक्षण अधिनियम का उद्देश्य नाबालिगों को यौन शोषण से बचाना है। यह कानून लड़के व लड़की को समान रूप से सुरक्षा प्रदान करता है। उन्होंने बताया कि इस अधिनियम के तहत बच्चे के साथ किसी भी तरह की छेड़छाड़ करने वाले व गलत इशारे करने पर भी व्यक्ति को कड़ी सजा का प्रावधान है। बच्चों को यह भी बताया गया कि किस तरह आज बच्चे मोबाइल का इस्तेमाल करते हुए अश्लील तस्वीरें वह वीडियो एक दूसरे को भेंजते है व साइबर क्राइम में भी फँस जाते हैं, जिससे की बच्चों को दूर रहने व सजग रहने के लिए कहा गया।

बच्चा गोद लेने के लिए सीएआरए वेबसाइट पर करें पंजीकरण

जिला बाल संरक्षण अधिकारी निधि मालिक ने गोद लेने के नियम 2022, प्रक्रिया के बारे में विस्तार से जानकारी दी उन्होंने बताया कि बच्चा गोद लेने वाले माता-पिता को सीएआरए वेबसाइट पर पंजीकरण करना होता है। वे अधिकृत एडॉप्शन एजेंसीज, राज्य एडॉप्शन रिसोर्स एजेंसी या जिला बाल संरक्षण इकाइयों के माध्यम से पंजीकरण कर सकते हैं। गोद देने से पहले सभी दस्तावेज देखे जाते है, पूर्ण सहमति के बाद ही बच्चा गोद दिया जाता है और साथ ही आईईसी मटेरियल वितरित किया गया।

इन विभागों ने लिया प्रशिक्षण में हिस्सा

इस अवसर पर पंचकूला के बाल कल्याण समिति से चेयरपर्सन और मेम्बेर्स, जुवेनाइल जस्टिस बोर्ड से मेम्बर, हेल्थ डिपार्टमेंट से डॉक्टर्स, लेबर डिपार्टमेंट से लेबर इंस्पेक्टर, जिला बाल कल्याण विभाग, जिला समाज कल्याण विभाग, सभी ब्लॉक से महिला एवं परियोजना अधिकारी, सुपरवाइजर, पोषण स्टाफ, वन स्टॉप सेंटर स्टाफ, मीडिया पर्सन्स, बाल रेख संस्थान, जिला बाल संरक्षण अधिकारी व समस्त स्टाफ मौजूद रहे।