Chandigarh News: चंडीमंदिर सैन्य स्टेशन पर मैक-टेक 2025 की शुरुआत हुए ।इस सैमीनार में कई तरह के हत्यारों और अन्य सामान की प्रदर्शनी लगायी गई है ।इस सेमिनार में केवल वही हथियार और अन्य सामान रखा गया है ।जो केवल भारत में ही बनता है ।भारत में सेना के लिए बनने वाले इन हत्यारों पर जानकारी भी दी गई है ।
यहाँ एक ऐसी सेना के लिए गन बनायी गई है ।जो दुश्मन की बॉडी टेम्परेचर से दुश्मन को ढूँढ लेती है और उसे टारगेट करती है ।यदि कोई दुश्मन दीवार के पीछे या पेड़ इत्यादि के पीछे छिपा हो तो उसकी बॉडी टेम्परेचर से यह है गन उसे ढूँढ लेगी। यह अपने आप में एक अलग ही तरह का हथियार है इसी कंप्यूटर द्वारा भी चलाया जा सकता है।
दूरबीन भी बॉडी टेंपरेचर से दुश्मन को देख लेती
इस सेमिनार में एक ऐसी दूरबीन है जो दूर की पास तो दिखाती ही है ।छिपे हुए दुश्मन को उसकी बॉडी टेंपरेचर से ही देख लेती है।यह भी सेना की काफ़ी कमी आ रही है। यह दूरबीन भी भारत में ही बन रही है और इस दूरबीन से जो भी देखा जा रहा है ।वह भी कंप्यूटर में भी उसे देख सकते हैं।
हेलमेट ऐसी जो एके 47 की गोली से भी बचा सकती
इस प्रदर्शन में एक सेना के लिए हेलमेट भी है जो एके 47 की गोली से भी बचा सकती है ।यह भी सेना की काफ़ी काम आ रही है ।ये हेल्मेट भी भारत में ही बन रही है।भारत में ही सेना के लिए इस तरह के उपक्रम बनाने शुरू हो गए हैं ।जिसकी कल्पना भी नहीं की जा सकती । चंडीमंदिर सैन्य स्टेशन पर मैक-टेक2025 की शुरुआत सोमवार को शुरू हुए । सेमिनार के दौरान यहाँ कई ऐसे हथियार उपक्रम देखने को मिले जो सेना के लिए बनाए जा रहे हैं ।
सेना की भविष्य की तैयारी के लिए मशीनीकृत प्लेटफॉर्म को बढ़ावा मिलेगा : पश्चिमी सेना कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल मनोज कुमार कटियार
पश्चिमी कमान का फ्लैगशिप सेमिनार और प्रदर्शनी, मैक-टेक 2025, “मेक इनइंडिया कॉन्टिनम: मेकिंग मैकेनाइज्ड प्लेटफॉर्म्स फ्यूचर रेडी’ चंडीमंदिर सैन्यस्टेशन पर शुरू हुआ, जो भारत के मशीनीकृत बलों को बढ़ाने की दिशा में एकमहत्वपूर्ण मील का पत्थर साबित होगा।
सोसाइटी ऑफ इंडियन डिफेंसमैन्युफैक्चरर्स (एसआईडीएम) के सहयोग से आयोजित दो दिवसीय कार्यक्रम मेंविशेषज्ञों, सेवारत और सेवानिवृत्त सैन्य अधिकारियों, शिक्षाविदों और रक्षा उद्योगके प्रतिनिधियों को नवाचार और विकास के लिए एक सहयोगी मंच को बढ़ावादेने के लिए एक साथ लाया गया। प्रमुख शैक्षणिक संस्थानों के 51 प्रतिनिधियोंसहित बड़ी संख्या में विशेषज्ञ इस तरह के पहले सेमिनार में लगभग 40 रक्षाउद्योग इकाईयां भाग ले रहे हैं।
मेक-टेक 2025 का उद्घाटन पश्चिमी कमान के जीओसी-इन-सी आर्मी कमांडरलेफ्टिनेंट जनरल मनोज कुमार कटियार ने किया। प्रदर्शनी में देश भर के विभिन्नरक्षा उद्योगों के अत्याधुनिक उत्पादों और प्रौद्योगिकियों को प्रदर्शित किया गयाहै।
मेक-टेक 2025 का उद्देश्य एक मजबूत, आत्मनिर्भर और भविष्य के लिएतैयार भारतीय मशीनीकृत बल के विकास में योगदान देना है, जो राष्ट्रीय इच्छाको लागू करने और आत्मनिर्भर भारत के उद्देश्य का समर्थन करने में सक्षम हो।
विशेषज्ञ मशीनीकृत युद्ध के भविष्य के परिदृश्य, उभरती चुनौतियों और मौजूदाप्लेटफार्मों को बढ़ाने के लिए विशिष्ट प्रौद्योगिकियों के समावेश सहित महत्वपूर्णविषयों पर गहन चर्चा करेंगे।
इस अवसर पर, मीडिया को संबोधित करते हुए, सेना कमांडर लेफ्टिनेंट जनरलमनोज कुमार कटियार ने आधुनिक युद्ध में प्रौद्योगिकी के महत्व पर जोर दिया।उन्होंने कहा, “मेक इन इंडिया हमें लंबी अवधि के युद्धों के लिए तकनीकी रूप सेसक्षम बनाएगा।
उन्होंने उद्योग-अकादमिक सहयोग की आवश्यकता पर भीप्रकाश डाला, उत्तर भारत में रक्षा उद्योग का मजबूत आधार बनाने के लिएअनुसंधान एवं विकास में निवेश को प्रोत्साहित किया।
मीडियाकर्मियों के साथ बातचीत के दौरान, सेना कमांडर ने पुष्टि की कि यहसेमिनार मशीनीकृत प्लेटफार्मों पर प्रौद्योगिकियों को शामिल करने के विकल्पोंकी पहचान करने में सहायक होगा। उन्होंने युद्ध के भविष्य में ड्रोन के महत्व पर भीप्रकाश डाला, जिसमें कहा गया कि मशीनीकृत प्लेटफॉर्म सेना को जवाबी उपायोंके लिए भविष्य के लिए तैयार करने और उनकी क्षमताओं को मजबूत करने मेंमदद करेंगे।
आज सेमिनार के पहले दिन, विशेषज्ञों ने विभिन्न विषयों पर अपनी अंतर्दृष्टिसाझा की, जिसमें उभरते युद्धक्षेत्रों में मशीनीकृत युद्ध का भविष्य परिदृश्य, समकालीन संघर्षों से मशीनीकृत युद्ध के लिए उभरती चुनौतियाँ, भविष्य केमशीनीकृत युद्ध के लिए प्रशंसनीय प्रक्षेपवक्र और मौजूदा मशीनीकृत प्लेटफार्मोंको भविष्य के लिए तैयार करने के लिए विशिष्ट प्रौद्योगिकी का समावेश शामिलहै।
इस कार्यक्रम में 4 मार्च को आयोजित होने वाले सत्रों में मशीनीकृत प्लेटफार्मों केलिए विभिन्न संभावनाओं और क्षेत्रों का पता लगाया जाएगा। मेक-टेक 2025 भारत के मशीनीकृत बलों में क्रांति लाने और नवाचार और विकास के लिए एकसहयोगी पारिस्थितिकी तंत्र को बढ़ावा देने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।