बिजली सप्लाई बाधित होने, ट्रांसफर खराब होने और ओवरहेड लाइन ब्रेक डाउन को ठीक करने को लेकर समय निर्धारित
डॉ. रविंद्र मलिक, चंडीगढ़:
सरकार लगातार ऐसे अधिकारियों और कर्मचारियों पर सख्त नजर आ रही है जो आमजन के काम को लटका रहे हैं और उनकी समस्याओं का समाधान समय पर नहीं कर रहे। इसी कड़ी में सामने आया है कि गत दिनों सरकार ने राइट टू सर्विस एक्ट के तहत लोगों को प्रदान की जाने वालों सेवाओं को लेकर नए आदेश जारी किए हैं। बिजली विभाग को लेकर ये आदेश दिए गए हैं। इनके अनुसार जो भी लोगों की शिकायतें आएंगी, उनका तय समय-सीमा में निपटान करना जरूरी होगा। जो अधिकारी उनका तय समयावधि में निपटान सुनिश्चित नहीं कर पाएंगे तो उनके खिलाफ राइट टू सर्विस एक्ट के तहत एक्शन लिया जाएगा। पूरे मामले को लेकर एक्जीक्यूटीव इंजीनियर, प्रोजेक्ट्स उत्तरी हरियाणा बिजली वितरण निगम की तरफ से लेटर जारी किया गया है। ये भी कहा गया है कि एक्ट के तहत काम के लिए जो समय सीमा निर्धारित की गई है वो सभी विभागीय कार्यालयों में दर्शाई जाए। सभी जेई और एसडीओ को निर्देश हैं कि उनकी टीम समय से समस्या के समाधान को सुनिश्चित करें।
मॉनसून के मौसम में आती है बिजली खराबी की ज्यादा दिक्कत
बता दें कि मॉनसून के मौसम में बिजली खराब होने संबंधी ज्यादा दिक्कत आती हैं। आंधी या तूफान के चलते बिजली के खंभे गिर जाते हैं और बिजली गुल हो जाती है। इसके चलते लोगों को काफी परेशानी उठानी पड़ती है। ऐसे में मानसून के मौसम को देखते हुए कुछ समय पहले ही आरटीएस एक्ट के तहत उपरोक्त आदेश जारी किए गए हैं। कई जगह वॉटर लॉगिंग के चलते भी दिक्कत पेश आती है। बड़े स्तर पर बिजली खराबी को एक सप्ताह में ठीक करना जरूरी आदेशों के अनुसार अगर बड़े स्तर पर बिजली खराबी की कोई घटना रिपोर्ट होती है तो इसको 1 सप्ताह में दुरुस्त करना जरूरी है। इस तरह की घटनाओं में ट्रांसफार्मर या कोई अन्य उपकरण का खराब होना शामिल होता है। उपरोक्त एक सप्ताह में इसको पूरी तरह ठीक करना है, लेकिन एक दिन में यानि 24 घंटे में वैकल्पिक तरीका अपनाते हुए बिजली सप्लाई को बहाल भी करना है, ताकि लोगों को निर्बाध गति से सप्लाई जारी रहे।
अन्य कामों के लिए समय-सीमा निर्धारित
बिजली खराबी संबंधी सभी तरह के काम के लिए समय-सीमा निर्धारित कर दी गई है। सामान्य फ्यूज खराब होने संबंधी शिकायत को शहरी इलाकों में 4 घंटे में निपटाना होगा तो गांव में इसके लिए 16 घंटे हैं। ओवरहेड लाइन ब्रेकडाउन के लिए शहरों में 8 तो गांवों में 16 घंटे निर्धारित किए गए हैं। इतने समय में समस्या का समाधान करना होगा। वहीं अगर कहीं अंडरग्राउंड बिछी हुई बिजली की केबल में खराबी आ जाती है तो ग्रामीण और शहरी दोनों क्षेत्रों में इसको 48 घंटे में ठीक करना होगा। इसके अलावा डिस्ट्रीब्यूशन ट्रांसफार्मर फेल्योर के मामले में शहरों के लिए 8 घंटे और गांव के लिए 16 घंटे फिक्स किए घए हैं। ऐसे में साफ है बिजली खराबी संबंधी हर समस्या के लिए अलग-अलग समय नियत किया गया है, ताकि लोगों किसी तरह की कोई परेशानी न हो।
आरटीएस एक्ट के तहत जुर्माने का प्रावधान
एक्ट के तहत लापरवाह अधिकारियों पर जुर्माने का भी प्रावधान है। नियमों की पालना नहीं करने की स्थिति में उन पर जुर्माना लगाया जाएगा। उनको हर हाल में सर्विस की डिलीवरी सही समय पर होगा। अगर ऐसा नहीं हुआ तो कार्रवाई के लिए तैयार रहें। हालांकि इसमें ये साफ नहीं किया गया कि कितना जुर्माना हो सकता है।
हर शिकायत का रिकॉर्ड मेंटेन करना होगा
जारी आदेशों के अनुसार संबंधित अधिकारियों या कर्मचारियों को आने वाली शिकायतों को रिकॉर्ड मेंटेन करना होगा। इस बारे में भी बताना होगा कि कोई भी शिकायत आरटीएस एक्ट के तहत निर्धारित समय-सीमा में नहीं निपटाई गई तो इसके पीछे क्या कारण रहे हैं और इस बारे में जवाब देना होगा। यदि संबंधित अधिकारी काम में देरी के पीछे कोई जरूरी कारण नहीं दे पाए तो फिर उन पर जुर्माना तय है।
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