पवन शर्मा
चंडीगढ़ को लेकर पंजाब और हरियाणा के बीच विवाद एक बार फिर गरमा गया है। दोनों राज्यों के नेता इसे अपनी अस्मिता का सवाल बना रहे हैं, जबकि केंद्र सरकार के फैसले ने इस टकराव को और तेज कर दिया है। चंडीगढ़ में हरियाणा की नई विधानसभा बनाने की योजना को लेकर पंजाब ने सख्त विरोध जताया है। इस विवाद में सतलुज-यमुना लिंक (SYL) नहर का मुद्दा और जमीन का सवाल भी जुड़ गया है, जिससे मामला और उलझ गया है।
पंजाब का आक्रामक रुख
पंजाब के वित्त मंत्री हरपाल सिंह चीमा ने चंडीगढ़ के प्रशासक और राज्यपाल गुलाब चंद कटारिया से मुलाकात कर कहा, “चंडीगढ़ पंजाब का हिस्सा है। हम हरियाणा को एक इंच भी जमीन नहीं देंगे। यह हमारी विरासत है।”
मुख्यमंत्री भगवंत मान ने हरियाणा पर निशाना साधते हुए कहा कि “हरियाणा को SYL के मुद्दे पर पहले स्पष्टता लानी होगी। चंडीगढ़ पंजाब का था, है और रहेगा।”
पंजाब के सभी राजनीतिक दल इस मुद्दे पर एकजुट होकर हरियाणा की नई विधानसभा की योजना का विरोध कर रहे हैं।
हरियाणा का पलटवार: चंडीगढ़ पर हमारा बराबर का हक
हरियाणा के मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने भगवंत मान को आड़े हाथों लेते हुए कहा, “पंजाब को लोगों को गुमराह करना बंद करना चाहिए। चंडीगढ़ पर हरियाणा का भी उतना ही हक है जितना पंजाब का।”
हरियाणा के मंत्री अनिल विज ने चुनौती दी, “पंजाब चंडीगढ़ को तभी अपना कह सकता है, जब वह हमें SYL का पानी और हिंदी भाषी क्षेत्र सौंप दे। जब तक यह नहीं होता, चंडीगढ़ पर हमारा अधिकार है।”
भाजपा नेता किरण चौधरी ने भी केंद्र सरकार से 60:40 के रेश्यो को लागू करने और हरियाणा के हिस्से का दावा पुख्ता करने की मांग की।
चंडीगढ़ का इतिहास और विवाद की जड़
1966 में पंजाब के पुनर्गठन के समय चंडीगढ़ को पंजाब और हरियाणा की साझा राजधानी बनाया गया था।
•पंजाब का पक्ष: चंडीगढ़ पंजाब की ऐतिहासिक राजधानी है, और 1966 में विभाजन के बाद इसे अस्थायी रूप से साझा राजधानी बनाया गया था।
•हरियाणा का पक्ष: हरियाणा का भी चंडीगढ़ पर बराबर का अधिकार है। 60:40 के रेश्यो के तहत प्रशासन और संसाधन बंटवारे की शर्तों को अब तक लागू नहीं किया गया है।
नई विधानसभा के लिए जमीन का प्रस्ताव
केंद्र सरकार ने जुलाई 2022 में हरियाणा की नई विधानसभा के लिए चंडीगढ़ में 10 एकड़ जमीन देने को मंजूरी दी थी।
•इस योजना के तहत पंचकूला के मनसा देवी कॉम्प्लेक्स के पास हरियाणा से 12 एकड़ जमीन ली जाएगी।
•पंजाब और हरियाणा की पुरानी विधानसभा में जगह की कमी और संसाधनों की कमी के चलते दोनों राज्यों की सीटें बढ़ाने की योजना बनाई गई है।
लेकिन यह प्रस्ताव विवाद का केंद्र बन गया है, और पंजाब इसे चंडीगढ़ पर अपने दावे के खिलाफ मान रहा है।
क्या कहता है SYL विवाद?
चंडीगढ़ विवाद के साथ-साथ SYL नहर का मुद्दा भी गर्माया हुआ है।
•पंजाब का रुख: पंजाब का कहना है कि उसके पास पानी की पहले से ही कमी है, और वह हरियाणा को पानी नहीं दे सकता।
•हरियाणा का तर्क: सुप्रीम कोर्ट के फैसले के अनुसार पंजाब को SYL के पानी का बंटवारा करना होगा।
सियासत के गहराते बादल
पंजाब और हरियाणा के बीच चंडीगढ़ और SYL जैसे मुद्दों पर लगातार बढ़ते तनाव ने सियासी माहौल को गर्म कर दिया है।
•पंजाब: अपनी जमीन और पानी की सुरक्षा के लिए हरियाणा पर हमलावर।
•हरियाणा: चंडीगढ़ और SYL पर अपने अधिकार को लेकर आक्रामक।
•केंद्र सरकार: दोनों राज्यों के बीच संतुलन बनाने की चुनौती।
क्या है आगे की राह?
चंडीगढ़ पर अधिकार का यह संघर्ष न केवल पंजाब और हरियाणा के लिए चुनौती है, बल्कि केंद्र सरकार के लिए भी एक बड़ी परीक्षा है। SYL नहर और विधानसभा भवन का मुद्दा सुलझेगा या दोनों राज्यों के बीच सियासी लड़ाई और तेज होगी, यह देखना होगा।