Chandigarh News: 44 साल पहले बने मंदिर को प्रशासन बता रहा अवैध, भेजा गिराने का नोटिस 

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Chandigarh News: 44 साल पहले बने मंदिर को प्रशासन बता रहा अवैध, भेजा गिराने का नोटिस 
44 साल पहले बने मंदिर को प्रशासन बता रहा अवैध, भेजा गिराने का नोटिस

चंडीगढ़ (मंजीत सहदेव) : हाल ही मे चंडीगढ़ प्रशासन द्वारा एक एसे मंदिर को गिराने का नोटिस दिया गया है जो पिछले 44 साल से बना हुआ है और इस मंदिर को प्रशासन द्वारा आज तक कोई नोटिस नहीं भेजा गया है । अब अचानक इस मंदिर को चंडीगढ़ प्रशासन अवैध बताकर इसे गिराने की कार्रवाई करने वाला है। बाबा बालक नाथ मंदिर हलोमाजरा एरिया मे 44 साल पहले बनाया गया था । इतने साल तक तो प्रशासन की नज़रों में यह मंदिर वैध था लेकिन अचानक से यह मंदिर अवैध कैसी हो गया । यह सभी की समझ से परे है। मंदिर कमेटी को बीते 44 साल किसी तरह का कोई नोटिस भी नहीं दिया, लेकिन अब इतने साल बीत जाने के बाद चंडीगढ़ प्रशासन ने 21 जून को नोटिस के ज़रिए बताया कि यह मंदिर अवैध है और इसे गिराए जाएगा । इसी को लेकर चंडीगढ़ भाजपा के वरिष्ठ नेता शशि शंकर तिवारी का कहना है कि चंडीगढ़ प्रशासन लोगों को बेवजह परेशान कर रहा है । इस का उदाहरण सबके सामने है। इतने साल पहले बना मंदिर अचानक से अवैध कैसे हो गया ।उन्होंने कहा कि इस मामले की विस्तृत जाँच होनी चाहिए ।

44 साल पहले चंडीगढ़ प्रशासन ने जारी किया था रजिस्ट्रेशन सर्टिफ़िकेट

तिवारी ने बताया गया है कि मंदिर को चंडीगढ़ प्रशासन द्वारा 44 वर्ष पहले रजिस्ट्रेशन सर्टिफ़िकेट भी जारी किया था । मंदिर कमेटी के पास इस से संबंधित सभी दस्तावेज़ भी हैं । इसके बावजूद चंडीगढ़ प्रशासन मंदिर को गिराने का नोटिस जारी कर चुका है । उन्होंने बताया कि आज तक इस मंदिर को किसी तरह का कोई नोटिस भी जारी नहीं हुआ है ।

44 साल पहले मिला था बिजली पानी का कनेक्शन

यहाँ यह भी बताना ज़रूरी है कि इस मंदिर को 44 साल पहले ही प्रशासन द्वारा पानी और बिजली का कनेक्शन दे दिया गया था । मंदिर कमेटी द्वारा बिजली पानी का बिल भी भरा जा रहा है । इसका प्रमाण भी मंदिर कमेटी के पास है । कमेटी के सदस्यों का कहना है कि चंडीगढ़ प्रशासन ने बिना जाँच किए ही लोगों को इस तरह के नोटिस भेजे हैं । जबकि उनके पास इस मंदिर से संबंधित सभी दस्तावेज़ मौजूद है । इस मामले को लेकर चंडीगढ़ भाजपा के नेता शशि शंकर तिवारी का कहना है कि इस मामले की शिकायत चंडीगढ़ के प्रशासक और केंद्रीय गृह मंत्री के पास भेजी जाएगी । वहीं इस मामले को लेकर उच्च अधिकारियों से संपर्क किया जाएगा । उन्होंने कहा कि इस तरह की कार्रवाई बर्दाश्त नहीं की जाएगी।