चंडीगढ़। विधानसभा चुनावों 75 पार का नारा देने वाले बीजेपी 40 का आंकड़ा भी नहीं छू पाई, पार्टी को महज 39 सीट मिली तो वहीं कांग्रेस को 31 सीटें तो प्रदेश की राजनीति में नवआंगतुक जेजेपी ने सबको चौंकाते 10 सीटें जीती । वहीं 8 सीटों पर निर्दलीय कैंडिडेट्स ने जीत दर्ज की तो पिछली बार 19 सीट जीतने वाली इनेलो महज एक सीट पर सिमट गई। 90 सीटों वाली विधानसभा में सरकार बनाने के लिए 46 सीटें होना जरुरी है। उपरोक्त हालात के मद्देनजर चलते प्रदेश का राजनैतिक परिदृश्य फिलहाल अस्थित नजर आ रहा है। फिलहाल की स्थिति से साफ है कि किसी को भी बहुमत नहीं मिला और कोई भी इस स्थिति में नहीं है कि सरकार बना सके। आपको बता दें कि बीजेपी को कई मायनों में गहरी निराशा झेलनी पड़ी। पार्टी के दिग्गज नेताओं को भी हार का मुंह देखना पड़ा।
दिग्गजों की बात करें तो पार्टी के 8 निवर्तमान मंत्रियों को हार का मुंह देखना पड़ा जिसने पार्टी हाईकमान को भी सोचने पर मजबूर कर दिया। सीएम मनोहर लाल के अलावा दो निवर्तमान मंत्रियों बनवारी लाल और अनिल विज को ही जीत नसीब हो सकी। विधानसभा स्पीकर रहे कंवरपाल गुर्ज्जर भी अपनी सीट बचाने में कामयाब रहे।
सरकार बनाने के जोड़ तोड़ शुरु
देर रात तक सभी पार्टियां इस जोड़ तोड़ में जुटी थी कि सरकारी कैसे बनेगी। जरुरी सीटों के लिए सभी रणनीति पर काम शुरू कर दिया लेकिन खुलकर किसी ने भी पत्ते नहीं खोले। बीजेपी और कांग्रेस दोनों ही सरकार बनाने के दावे जरुरी कर रहे हैं लेकिन जेजेपी और निर्दलीयों की भूमिका को भी नहीं नकारा जा सकता है क्योंकि सरकार बनाने के लिए इन दोनों या किसी एक की जरुरत पड़नी तय है।
हुड्डा ने दिया सबको निमंत्रण एकजुट होने का
पूर्व मुख्यमंत्री व कांग्रेस नेता भूपेंद्र सिहं हुड्डा ने रिजल्ट आन के बाद साफ किया कि सबको बीजेपी के खिलाफ एकजुट होना चाहिए । चाहे इसमें जेजेपी हो या फिर निर्दलीय चुने गए विधायक सबको एकजुट हो बीजेपी को रोकना चाहिए।
जेजेपी पर काफी कुछ निर्भर
प्रदेश की राजनीति में नई नई जेजेपी की भूमिका भी अहम होने वाली है। कुछ महीनों पहले बनी पार्टी ने 10 सीटों पर कब्जा जमाया तो सबकी अहसास हुआ कि जेजेपी को कम आंकना भूल होगी। न तो बीजेपी के पास स्पष्ट बहुमत है न ही कांग्रेस के, तो ऐसे में साफ है कि सरकार किसी की भी बने लेकिन जेजेपी को नजरअंदाज करना आसान नहीं होगा