Chanakya Niti On Age Difference Between Couple, (आज समाज): चाणक्य नीति में विवाह और गृहस्थ जीवन के बारे में कई नीतियां बताई गई हैं, जिनसे हम उम्र के अंतर के बारे में कुछ अनुमान लगा सकते हैं।
शारीरिक और मानसिक समानता
चाणक्य का मानना था कि पति-पत्नी में शारीरिक और मानसिक समानता होनी चाहिए। इसका अर्थ है कि उनकी उम्र में इतना अंतर नहीं होना चाहिए कि एक दूसरे की शारीरिक और मानसिक क्षमताओं में बहुत अधिक अंतर हो।
जीवन के विभिन्न चरणों का आनंद
चाणक्य का कहना था कि विवाह का उद्देश्य जीवन के विभिन्न चरणों का आनंद एक साथ लेना है। यदि उम्र का अंतर बहुत अधिक होता है, तो एक व्यक्ति दूसरे चरण में प्रवेश कर सकता है जब दूसरा अभी भी पहले चरण का आनंद ले रहा होता है। इससे असंतोष और मतभेद पैदा हो सकते हैं।
संतानोत्पत्ति
संतानोत्पत्ति भी विवाह का एक महत्वपूर्ण उद्देश्य माना जाता था। चाणक्य का मानना था कि महिलाओं को 25 वर्ष और पुरुषों को 30 वर्ष की आयु तक विवाह कर लेना चाहिए। ऐसा इसलिए था क्योंकि उस समय तक महिलाएं संतानोत्पत्ति के लिए शारीरिक रूप से स्वस्थ होती थीं। यदि उम्र का अंतर बहुत अधिक होता है, तो महिलाओं के लिए गर्भधारण करना और स्वस्थ संतान को जन्म देना मुश्किल हो सकता है।
सामाजिक स्वीकृति
चाणक्य के समय में, सामाजिक स्वीकृति भी महत्वपूर्ण थी। यदि उम्र का अंतर बहुत अधिक होता था, तो समाज द्वारा विवाह को स्वीकार नहीं किया जाता था।
निष्कर्ष
इन सभी बातों को ध्यान में रखते हुए, हम कह सकते हैं कि चाणक्य पति-पत्नी के बीच 3 से 5 साल के उम्र के अंतर को उचित मानते थे। यह ध्यान रखना अहम है कि यह केवल एक अनुमान है और हर व्यक्ति का मामला अलग होता है। सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि दोनों व्यक्ति एक दूसरे के प्रति प्रेम, सम्मान व समझ रखते हों।