- दोनों जिलों में राज्यसभा सांसद किरण चौधरी और लोकसभा सांसद धर्मबीर सिंह का बढा रूतबा
(Chakrhi Dadri News) बाढड़ा। अपनी मां व वर्तमान में राज्यसभा सांसद किरण चौधरी की तरह ही उनकी बेटी श्रुति चौधरी ने भी हरियाणा विधानसभा की पहली बार की एंट्री में ही मंत्री का पद हासिल कर िलया है। हालांकि उन्हें कौन सा विभाग दिया जाएगा इसका फैसला अभी हरियाणा सरकार ने नहीं लिया है। मगर श्रुति चौधरी के रूप में भिवानी और दादरी जिले से एकमात्र सदस्य के रूप में मंत्रीमंडल में शामिल होने से राजनीति के जानकारों का मानना है कि इन दोनों ही जिलों में राज्यसभा सांसद किरण चौधरी और लोकसभा सांसद धर्मबीर सिंह का रूतबा बढ गया है।
यहां बता दें कि पूर्व मंत्री व वर्तमान में राज्यसभा सांसद किरण चौधरी ने हरियाणा की राजनीति में 2005 में उस समय एंट्री की थी जब उनके पति पूर्व मंत्री स्व. सुरेंद्र सिंह की हेलीकॉप्टर हादसे में मौत हो गई थी। इसलिए उनकी जगह खाली हुई तोशाम विधानसभा सीट से किरण चौधरी ने उपचुनाव लड़ते हुए एकतरफा जीत हासिल कर प्रदेश में कैबिनेट मंत्री के रूप में जगह बनाई थी। उसके बाद वे लगातार 2019 तक तोशाम विधानसभा से विधायक बनती आ रही थी और 2009 के विधानसभा चुनावों में कांग्रेस की लगातार दूसरी बार सरकार बनने के बाद भी वे सरकार में कैबिनेट मंत्री चुनी गई थी। मगर प्रदेश में 2014 और 2019 के विधानसभा चुनावों में भाजपा की सरकार बनने वहीं किरण चौधरी तोशाम से कांग्रेस प्रत्याशी के रूप में जीतने से तोशाम हलके की सरकार में हिस्सेदारी नहीं हो पाई थी।
श्रुति ने 2009 में रखा राजनीति में कदम
दूसरी ओर किरण चौधरी व पूर्व मंत्री स्व. सुरेंद्र सिंह की बेटी श्रुति चौधरी ने 2009 के लोकसभा चुनावों में प्रदेश की राजनीति में सक्रिय रूप से हिस्सा लिया और वे पहली बार में ही भिवानी महेंद्रगढ लोकसभा से कांग्रेस प्रत्याशी के रूप में सांसद चुनी गई। मगर उसके बाद 2014 व 2019 के लोकसभा चुनावों में उन्हें कांग्रेस ने प्रत्याशी तो बनाया, लेकिन वे भाजपा के दिग्गज नेता धर्मबीर सिंह से दोनों ही बार चुनाव हार गई।
कांग्रेस ने काटा टिकट
हालांकि 2024 के लोकसभा चुनावों से पहले श्रुति चौधरी भिवानी महेंद्रगढ लोकसभा सीट से कांग्रेस प्रत्याशी के प्रबल दावेदारों में शामिल थी। मगर ऐन वक्त पर कांग्रेस हाईकमान ने उनकी जगह तत्कालीन महेंद्रगढ के विधायक राव दान सिंह को यहां से लोकसभा प्रत्याशी घोषित किया तो किरण चौधरी और उनकी बेटी श्रुति चौधरी ने नाराजगी तो जाहिर की, लेकिन उन्होंने पार्टी नहीं छोड़ी। उसके बाद भिवानी महेंद्रगढ लोकसभा सीट से एक बार फिर भाजपा प्रत्याशी धर्मबीर सिंह चुनाव जीत गए तो कांग्रेस के बड़े नेताओं ने राव दान सिंह की हार का ठीकरा किरण चौधरी व उनकी बेटी श्रुति चौधरी पर फोडऩा शुरू कर दिया।
भाजपा में शामिल हुई मां-बेटी
इस तरह के आरोपों से आहत होकर जिले की तेज तर्रार नेत्री मानी जाने वाली किरण चौधरी अपनी बेटी श्रुति चौधरी के साथ भाजपा में शामिल हो गई। इस पर भाजपा ने किरण को पहला तोहफा तो उस समय दिया जब रोहतक के लोकसभा सांसद दीपेंद्र हुड्डा की जगह खाली हुई राज्यसभा की सीट पर किरण को उम्मीदवार बनाया तो बाकि पार्टियों ने उम्मीदवार ही तय नहीं किया तो किरण चौधरी निर्विरोध राज्यसभा सांसद चुनी गई। उसके बाद जब विधानसभा चुनावों के टिकट वितरण की बारी आई तो भाजपा ने तोशाम से किरण चौधरी की बेटी श्रुति चौधरी को अपनी उम्मीदवार घोषित कर उन्हें दूसरा तोहफा देने का काम किया।
कांग्रेस ने दिया ताऊ के बेटे को टिकट
दूसरी ओर कांग्रेस ने यहां से पूर्व सीएम स्व. बंसीलाल के बड़े बेटे पूर्व विधायक रणबीर महेंद्रा के बेटे यानि श्रुति चौधरी के सगे ताऊ के बेटे अनिरूद्ध चौधरी को टिकट देकर यहां से एक ही परिवार के 2 सदस्यों को आमने-सामने कर दिया। हालांकि अनिरूद्ध चौधरी ने चुनाव प्रचार के दौरान अपने आपको पूर्व सीएम स्व. बंसीलाल का असली वारिश होने का दावा करते हुए प्रचार किया, लेकिन किरण चौधरी के तेज तर्रार दावों व सांसद धर्मबीर सिंह के खुलकर श्रुति चौधरी के समर्थन में प्रचार में आने से श्रुति चौधरी ने यहां से 14 हजार से ज्यादा मतों से जीत हासिल कर पूर्व सीएम स्व. बंसीलाल के असली वारिश होने के खुद के दावे पर भी मुहर लगा दी।
अब जबकि वे पहली बार विधानसभा पहुंची तो भाजपा ने उनको मंत्रीमंडल में शामिल कर किरण चौधरी को भाजपा में आने का तीसरा तोहफा देने का काम किया है। अब चाहे उन्हें कोई मंत्रालय दिया जाए वे अच्छे से संभाल सकती हैं, क्योंकि उनकी मां राज्यसभा सांसद किरण चौधरी को यहां के मंत्रालयों का 10 का लंबा अनुभव उनके काम आएगा।