Goddess Durga 9 Forms, आज समाज डिजिटल डेस्क: हिंदुओं के खास त्योाहर नवरात्रि में पूरे नौ दिन मां दुर्गा के अलग-अलग स्वरूपों की पूजा की जाती है। ये दिन देवी की पूजा के लिए शुभ माने जाते हैं। देवी भागवत पुराण के मुताबिक मां दुर्गा के 51 शक्तिपीठ हैं और इनमें से 9 प्रमुख शक्तिपीठ भी हैं और इनसे जुड़ी अलग-अलग पौराणिक कथाएं हैं।
आज से चैत्र नवरात्रि का त्योहार शुरू
ऐसे में उदया तिथि के अनुसार चैत्र नवरात्रि का त्योहार आज से शुरू हो गया और पूरे नौ दिन मां के अलग-अलग स्वरूपों की पूजा की जाएगी। यहां हम आपको बता रहे हैं मां दुर्गा के 9 कौन-कौन स्वरूप हैं। इस बार चैत्र नवरात्रि की महाअष्टमी और महानवमी एक ही दिन है। नवमी के दिन हवन और विसर्जन के साथ नवरात्रि का समापन होता है।
इस बार इस वजह से एक साथ है महाअष्टमी और महानवमी
इस बार पंचमी तिथि क्षय हो रही है, इसलिए अबकी चैत्र नवरात्रि की अष्टमी और नवमी का संयोग है। ऐसे में आठ दिन मां दुर्गा के स्वरूपों की पूजा की जाएगी। पांच अप्रैल को अष्टमी तिथि की पूजा होगी। उसी दिन कन्या पूजन भी किया जाएगा। छह अप्रैल को चैत्र नवरात्रि की नवमी तिथि की पूजा व राम नवमी मनाई जाएगी।
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मां के स्वरूप
- प्रतिपदा तिथि : नवरात्रि के पहले दिन आज मां शैलपुत्री की पूजा की गई।
- द्वितीया : सोमवार को मां ब्रह्मचारिणी की पूजा की जाएगी।
- तृतीया : एक अप्रैल मंगलवार को मां चंद्रघंटा की पूजा की जाएगी।
- चतुर्थी : 2 अप्रैल, बुधवार को मां कूष्मांडा की पूजा होगी।
- पंचमी : 3 अपै्रल, गुरुवार को मां स्कंदमाता की पूजा की जाएगी।
- षष्ठी : 4 अप्रैल, शुक्रवार को मां कात्यायनी की पूजा की जाएगी।
- सप्तमी : 5 अप्रैल, शनिवार को मां कालरात्रि की पूजा होगी।
- अष्टमी-नवमी : 6 अप्रैल, रविवार को मां महागौरी व मां सिद्धिदात्री की पूजा की जाएगी।
9 प्रमुख शक्तिपीठ
- कोल्हापुर महालक्ष्मी मंदिर : त्रिनेत्र गिरा
- कामाख्या देवी मंदिर : यहां गुप्तांग गिरे
- कालीघाट मंदिर कोलकाता : चार उंगलियां गिरी
- वाराणसी : उत्तर प्रदेश के काशी में मणिकर्णिक घाट पर विशालाक्षी की मां की माला गिरी
- ज्वाला देवी मंदिर : सती की जीभ गिरी
- नैना देवी मंदिर : आंखें गिरीं
- कालीघाट : मां के बाएं पैर का अंगूठा गिरा
- अंबाजी मंदिर गुजरात : हृदय गिरा
- हरसिद्धि माता मंदिर उज्जैन : यहां बायां हाथ और होंठ गिरे
जानिए क्या है शक्तिपीठ से जुड़ी कथा
पुराणों के अनुसार, भगवान शिव दक्ष प्रजापति की पुत्री सती का शव लेकर धरती पर तांडव करने लगे थे। तब भगवान विष्णु ने शिव के गुस्से को शांत करने के मकसद से सुदर्शन चक्र से सती के शव के टुकड़े कर दिए। इस तरह जहां-जहां सती के शव के आभूषण और अंग गिरे, वे स्थान शक्तिपीठ कहलाए।
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