डॉ रविंद्र मलिक, चंडीगढ़:
Chairman of HPSC: इन दिनों हरियाणा लोक सेवा आयोग (एचपीएससी ) भर्ती घोटाले को लेकर निरंतर सुर्खियों में है। आयोग की फजीहत का दौर जारी है। इससे इतर इस बात की चर्च कई बार होती कि आयोग के चेयरमैन और सदस्यों का वेतन कितना है।
14 माह पूर्व अक्तूबर, 2020 में चेयरमैन के तौर पर नियुक्त हुए भूतपूर्व आईएफएस Chairman of HPSC
एक आरटीआई में मिली जानकारी से खुलासा हुआ कि करीब 14 माह पूर्व अक्तूबर, 2020 में चेयरमैन के तौर पर नियुक्त हुए भूतपूर्व आईएफएस (भारतीय वन सेवा ) अधिकारी आलोक वर्मा को प्रतिमाह वेतन-भत्तों के तौर पर कुल 1 लाख 44 हज़ार 384 रुपये प्राप्त हो रहे हैं, जिसमें उनका मूल वेतन 1 लाख 12 हज़ार 800 रुपये जबकि महंगाई भत्ता (डीए) 31 हज़ार 584 रुपये है. रोचक बात यह है कि उक्त धनराशि आयोग के शेष पांचो सदस्यों को मिल रहे वेतन में कम है।
नियमों के अनुसार प्रदेश के मुख्य सचिव के बराब Chairman of HPSC
हेमंत ने बताया कि एचपीएससी चेयरमैन का वेतन वैसे तो नियमों के अनुसार प्रदेश के मुख्य सचिव के बराबर अर्थात प्रतिमाह 2 लाख 25 हज़ार रुपये होता है परन्तु वर्मा को उनकी पिछली सेवा ( आईएफएस ) से मिल रही पेंशन अर्थात 1 लाख 12 हज़ार 200 रुपये उनके आयोग के चेयरमैन के तौर पर मिल रहे मूल वेतन से कट जाते हैं।
सबसे अधिक वेतन अम्बाला कैंट की नीता खेड़ा का Chairman of HPSC
बहरहाल, लोक सेवा आयोग द्वारा प्रदान सूचना अनुसार आयोग में सबसे अधिक वेतन अगस्त, 2016 में सदस्य के तौर पर नियुक्त की गईं अम्बाला कैंट की नीता खेड़ा का है जिन्हे प्रतिमाह 3 लाख 4 हज़ार 272 रुपये मिलते हैं। इसमें उनका मूल वेतन 2 लाख 11 हज़ार 300 रुपये है, जबकि महंगाई भत्ता 59 हज़ार 164 रुपये हैं एवं 33 हजार 808 रुपये हाउस रेंट अलाउंस (एचआरए ) है। वहीं नीता के साथ ही नियुक्त जींद के जय भगवान् गोयल का मासिक वेतन 2 लाख 70 हज़ार 464 रुपये है।
मई, 2017 में आयोग के सदस्य नियुक्त सुरेंद्र सिंह को प्रतिमाह 2 लाख 9 हजार 24 रुपये मिलते हैं. उनके मिलने वाले मूल वेतन अर्थात 2 लाख 5 हज़ार 100 रुपये में से उनकी पिछली सरकारी सेवा की पेंशन राशि अर्थात 41 हजार 800 रुपये कट जाती हैं।
इसी प्रकार दिसंबर, 2017 में सदस्य नियुक्त डॉ. पवन कुमार को 1 लाख 58 हजार 573 रूपये प्रतिमाह मिलते हैं. उनके मूल वेतन अर्थात 2 लाख 5 हज़ार 100 में से उनकी पिछली सरकारी सेवा के पेंशन के 81 हजार 215 रुपये कट जाते हैं.
इसी वर्ष जुलाई, 2021 में आयोग के पांचवे सदस्य के तौर पर नियुक्त आनंद कुमार को प्रतिमाह 1 लाख 71 हजार 72 रूपये मिलते हैं. उनको मिलने वाले मूल वेतन अर्थात 1 लाख 82 हजार 200 रूपये में से उनकी पिछली सरकारी सेवा के पेंशन के 63 हज़ार 400 रुपये कट जाते हैं।
बता दें कि 3 वर्ष पूर्व 17 दिसंबर, 2018 को सरकार द्वारा एचपीएससी रेगुलेशंस, 2018 बनाये गए, जो हालांकि 1 जनवरी 2016 से लागू किये गए एचपीएससी के चेयरमैन का वेतन प्रदेश के मुख्य सचिव के समान अर्थात 2 लाख 25 हजार रुपये प्रतिमाह निर्धारित किया गया जबकि आयोग के सदस्यों का वेतन प्रदेश सरकार के प्रधान सचिव रैंक के आईएएस अधिकारी के वेतन बराबर किया गया।
चूँकि वर्तमान लागू वेतन व्यवस्था में प्रधान सचिव का वेतन निश्चित नहीं होता। प्रतिमाह 1 लाख 82 हजार 200 रूपये और 2 लाख 24 हजार 100 रुपये के वेतनमान में होता है, इस प्रकार एचपीएससी के वर्तमान सदस्यों को भी प्रधान सचिव रैंक के आईएएस अधिकारी के सामान उक्त वेतन मान में वार्षिक इन्क्रीमेंट (वेतन -वृद्धि) के साथ वेतन प्रदान किया जा रहा है।
संवैधानिक पदों (जैसे एचपीएससी ) में नियुक्त पदाधिकारियों को निश्चित वेतन प्रदान करने की ही परम्परा चली आ रही है। यूपीएससी (संघ लोक सेवा आयोग ) के चेयरमैन को वर्तमान में प्रतिमाह 2 लाख 50 हजार रूपये जबकि सदस्यों को 2 लाख 25 हजार रूपये निश्चित वेतन प्रदान किया जाता है। 2018 एचपीएससी रेगुलेशंस से पहले लागू वर्ष 1972 के रेगुलेशंस में हालांकि एचपीएससी के चेयरमैन और सदस्यों दोनों का वेतन निश्चित ही होता था।
वहीं दूसरी तरफ एक अन्य हरियाणा कर्मचारी चयन आयोग (एचएस एससी ) कि से प्राप्त आरटीआई जवाब के अनुसार चेयरमैन भोपाल सिंह खदरी को मासिक 1 लाख 45 हज़ार 700 रुपये जबकि आयोग के पांचो सदस्यों – कंवलजीत सैनी, विजय कुमार, सत्यवान शेरा, विकास दहिया और सचिन जैन को 1 लाख 42 हज़ार 500 रुपये प्रतिमाह वेतन -भत्तों के तौर पर प्राप्त हो रहे हैं।
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आयोग द्वारा पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट के एडवोकेट हेमंत कुमार को इस सम्बन्ध में उनके द्वारा 10 अगस्त 2021 को दायर एक आरटीआई आवेदन के जवाब में उपरोक्त सूचना प्रदान की गयी है। हालांकि पहले सितम्बर में आयोग ने उपरोक्त वेतन-भत्तों की जानकारी नहीं दी थी, जिसके बाद अक्टूबर में आयोग के तत्कालीन डिप्टी सेक्रेटरी ( उप सचिव ) अनिल नागर ( जो अब निलंबित हैं ), के समक्ष आरटीआई कानून में प्रथम अपील दायर की थी और जिसकी सुनवाई में बाद मांगी गयी सूचना प्रदान की गयी।