Aaj Samaj (आज समाज), Central Govt In Supreme Court, नई दिल्ली: केंद्र सरकार की तरफ से एक बार स्पष्ट किया गया है कि नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) किसी की नारिकता नहीं छीन रहा है। दरअसल, सुप्रीम कोर्ट में इस कानून के खिलाफ 237 याचिकाएं दायर की गई हैं जिन पर मंगलवार को सुनवाई हुई। 237 याचिकाओं में से 20 में सीएए पर रोक लगाने की मांग की गई है। याचिकाओं पर जवाब दाखिल करने के लिए केंद्र सरकार की ओर से सॉलिसिटर जनरल (एसजी) तुषार मेहता ने 4 हफ्ते का समय मांगा। हालांकि कोर्ट ने उन्हें तीन हफ्ते का समय दिया है।
कानून के खिलाफ दायर की गई हैं 237 याचिकाएं
2014 से पहले आए लोगों को ही दी जाएगी नागरिकता
सुनवाई के दौरान सॉलिसिटर जनरल ने कहा कि सीएए किसी की भी नागरिकता नहीं छीन रहा है। उन्होंने बताया कि 2014 से पहले देश में पाकिस्तान, बांग्लादेश व अफगानिस्तान से आए लोगों को ही नागरिकता दी जा रही है। उसके बाद आए किसी नए शरणार्थी को सीएए के तहत नागरिकता नहीं दी जाएगी। याचिकाकर्ताओं के वकील कपिल सिब्बल ने कहा कि केंद्र के जवाब देने तक नई नागरिकता नहीं दी जाए।
केंद्र को स्टे पर जवाब देने के लिए 2 अप्रैल तक का समय
उन्होंने कहा, ऐसा कुछ होता है तो हम फिर कोर्ट आएंगे। इस पर सीजेआई डी वाई चंद्रचूड़ की पीठ ने कहा, हम यही हैं। केंद्र सरकार को स्टे पर जवाब देने के लिए 2 अप्रैल तक का समय दिया जाता है। उस पर 8 अप्रैल तक एफिडेविट फाइल कर सकते हैं। इस तरह हम 9 अप्रैल को सुनवाई से पहले जरूरी बातों को सुन लेंगे।ब् ालूचिस्तान से एक व्यक्ति की तरफ से रंजित कुमार ने कहा कि अगर हमें नागरिकता मिलती है तो किसी को क्या दिक्कत है?
इन संगठनों ने दायर की हैं पिटीशंज
केंद्र सरकार ने सीएए लागू होने का नोटिफिकेशन 11 मार्च को जारी किया था। इससे पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से आए शरणार्थियों को नागरिकता मिलेगी। बता दें कि इसके बाद सीएए के खिलाफ इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग, असम कांग्रेस नेता देबब्रत सैकिया, असम जातीयतावादी युवा छात्र परिषद, डेमोक्रेटिक यूथ फेडरेशन आफ इंडिया और सोशल डेमोक्रेटिक पार्टी आॅफ इंडिया ने याचिका लगाई है।
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