मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर से केंद्र सरकार से मामला उठाने की मांग की
आज समाज डिजिटल, शिमला:
पूर्व मुख्य संसदीय सचिव रोहित ठाकुर ने प्रदेश के सेब उद्योग को बचाने के लिए ईरान सहित अन्य देशों से सेब के आयात पर तुरंत रोक लगाने की मांग की है। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर सेब उद्योग को प्राथमिकता देते हुए ईरान व मध्य एशिया देशों सहित अन्य देशों से सेब आयात पर रोक लगाने का मामला केंद्र सरकार से उठाए। रोहित ठाकुर ने कहा कि निजी सेब कम्पनियों और मंडियों में बागवानों के शोषण को रोकने के लिए सरकार प्रभावी कदम उठाए। उन्होंने कहा कि सेब उद्योग पर आए संकट से उभरने के लिए जम्मू-कश्मीर की तर्ज पर हिमाचल में नेफेड के माध्यम से सेब विपणन किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार नेफेड के माध्यम से सेब विपणन का मामला केंद्र से उठाए। साथ ही कहा कि सेब भंडारण की उपयोगिता को समझते प्रदेश सरकार सेब बहुलीय क्षेत्रों में सरकारी नियंत्रण के सीए स्टोर बनाने की पहल करे। रोहित ठाकुर ने आरोप लगायाग कि प्रदेश के बागवानों को राम भरोसे छोड़कर भाजपा सरकार का सारा ध्यान उपचुनाव पर केंद्रित है। उन्होंने कहा कि भाजपा की डबल इंजन सरकार के कृषि-बागवानी क्षेत्र के प्रति उदासीन रवैये से किसानों-बागवानों को मात्र निराशा ही हाथ लगी है। ठाकुर ने कहा कि सेब के दामों में भारी गिरावट के चलते बागवान चिंतित हैं, वहीं आए दिन सरकार के वरिष्ठ मंत्री हास्यास्पद ब्यान देकर बागवानों के जख्मों पर नमक छिड़कने का काम कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि मोदी सरकार किसानों-बागवानों की आय वर्ष 2022 तक दोगुनी करने की बात करते हैं, लेकिन भाजपा सरकार की किसान-बागवान विरोधी नीतियों के चलते वर्तमान में लागत मूल्य भी नहीं मिल पा रहा है। इससे स्पष्ट है कि आय दोगुना तो नहीं होगी, उलटा आय में दोगुनी कटौती होनी निश्चित है।
ओलावृष्टि और असमय बर्फबारी से हुए नुकसान की भी नहीं हुई अभी तक भरपाई
रोहित ठाकुर ने कहा कि इस वर्ष भारी ओलावृष्टि और बेमौसमी बर्फबारी से सेब की फसल को भारी नुकसान पहुंचा है। उन्होंने कहा कि सरकारी आंकलन के अनुसार बागवानों को 284 करोड़ का नुकसान हुआ है और प्रदेश की भाजपा सरकार नुकसान की भरपाई करने में नाकाम रही है। उनका कहना था कि सेब की फसल पर मौसम की मार और अब एकाएक दामों में भारी गिरावट से बागवानों को सेब का लागत मूल्य भी नहीं मिल पा रहा है। कांग्रेस नेता ने कहा कि पिछले दो वर्षों से बागवानों की एमआईएस के तहत लगभग 15 करोड़ रुपए की राशि लंबित पड़ी है, जिसे बार-बार आग्रह पर भी जारी नहीं किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि मौजूदा हालातों को देखते हुए सरकार को एमआईएस के तहत सेब के समर्थन मूल्य 9.50 रुपए को बढ़ाने पर विचार करना चाहिए। उन्होंने कहा कि सरकार एमआईएस के तहत सेब खरीद कर निश्चित समय अवधि में नकद भुगतान करे, ताकि बागवान अपने आगामी खर्चों का वहन कर सके।
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