Aaj Samaj (आज समाज), Central Government, नई दिल्ली: केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट में कहा है कि सरकार जम्मू-कश्मीर में विधानसभा चुनाव करवाने को तैयार है और कभी भी हम वहां चुनाव करवा जा सकते हैं। दरअसल, सुप्रीम कोर्ट में हर रोज जम्मू-कश्मीर से आर्टिकल 370 को निरस्त करने के खिलाफ दाखिल याचिकाओं पर सुनवाई हो रही है और गुरुवार को सुनवाई का 13वां दिन था। केंद्र सरकार की ओर सॉलिसिटर जनरल (एसजी) तुषार मेहता ने चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पांच जजों की पीठ के कई सवालों का जवाब दिया।
राज्य का दर्जा बहाल करने के लिए काम जारी
उन्होंने कहा, केंद्र जम्मू-कश्मीर में कभी भी चुनाव करवाने के लिए तैयार है, लेकिन पहले वहां पंचायत चुनाव कराए जाएंगे। केेंद्र ने यह भी कहा कि सरकार केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर का राज्य का दर्जा बहाल करने के लिए तेजी से काम कर रही है, लेकिन इसके लिए कोई निश्चित समय सीमा नहीं बताई जा सकती है। केंद्र ने कहा कि जम्मू-कश्मीर में मतदाता सूची को अपडेट करने की प्रक्रिया चल रही है और इसे पूरा होने में एक महीने का समय लगेगा। केंद्र की ओर से हालांकि स्पष्ट किया गया कि केंद्र शासित प्रदेश का दर्जा अस्थायी है।
दूसरा नगरपालिका और तीसरे विधानसभा चुनाव होंगे
केंद्र ने यह भी कहा कि इसे पूर्ण राज्य बनाने के लिए काम जारी है। केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि जम्मू-कश्मीर में चुनाव तीन चरणों में होंगे। एसजे ने कहा कि पहला चुनाव पंचायत स्तर पर होगा, दूसरा नगरपालिका और तीसरे विधानसभा चुनाव होंगे। सुनवाई के दौरान एनसी नेता की ओर से कोर्ट में पेश वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने आतंकवाद से संबंधित घटनाओं पर केंद्र के डेटा को सुप्रीम कोर्ट द्वारा रिकॉर्ड पर लिए जाने पर आपत्ति जताई। इसपर सीजेआई ने सिब्बल को आश्वासन देते हुए कहा कि जम्मू-कश्मीर में आतंकी घटनाओं पर केंद्र का डेटा सुप्रीम कोर्ट द्वारा तय किए जा रहे अनुच्छेद 370 के संवैधानिक मुद्दे को प्रभावित नहीं करेगा।
घाटी में पथराव की घटनाएं खत्म
याचिकाओं का विरोध करते हुए केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट में बताया कि अनुच्छेद 370 हटने के बाद जम्मू-कश्मीर में आतंकी घटनाओं में कमी आई है। 2018 से अगर तुलना करें तो इस वर्ष आतंकी घटनाओं में 45.2 फीसदी की कमी देखने को मिली है। सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि घुसपैठ की घटनाएं भी 90 फीसदी तक कम हो गई है। वहीं पथराव आदि जैसी घटनाएं भी 97 फीसद तक कम हो चुकी है। , सुरक्षाकर्मियों को नुकसान पहुंचाने की घटना में 65 फीसद की कमी आई है। केंद्र ने कहा कि साल 2018 में पथराव की घटनाएं 1767 थीं, जो अब शून्य है।
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