प्रदेश कैबिनेट मंत्रियों के शिष्टमंडल ने राज्यपाल गुलाब चंद कटारियों को सौंपा मांगपत्र
Punjab News (आज समाज), चंडीगढ़ : प्रदेश में इस बार धान सीजन के दौरान आई समस्याओं के समाधान के लिए एक बार प्रदेश सरकार ने केंद्र से मांग की है। ज्ञात रहे कि मौजूदा सीजन में सबसे बड़ी समस्या प्रदेश में धान के भंडारण को लेकर पैदा हुई है। पंजाब में जितने भी केंद्र सरकार की एजेंसियों के गोदाम हैं वे अभी पिछले सीजन के अनाज से भरे पड़े हैं।
जिसके चलते मौजूदा सीजन में मंडियों से धान के उठान का काम धीमी गति से चल रहा है और धान खरीद प्रभावित हो रही है। इसी के चलते प्रदेश में किसान लगातार प्रदर्शन कर रहे हैं। इसी समस्या को लेकर गत दिवस कैबिनेट मंत्री एडवोकेट हरपाल सिंह चीमा, हरजोत सिंह बैंस और हरदीप सिंह मुंडिया ने राज्यपाल गुलाब चंद कटारिया को एक मांग पत्र सौंपकर केंद्र द्वारा पंजाब से चावल की लिफ्टिंग में तेजी लाने को सुनिश्चित करने के लिए हस्तक्षेप की अपील की।
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राज्यपाल से की समस्या के समाधान की अपील : चीमा
बाद में पत्रकारों से बातचीत करते हुए वित्त मंत्री हरपाल सिंह चीमा ने कहा कि उन्होंने राज्यपाल को केंद्र सरकार द्वारा शैलर मालिकों से चावल की लिफ्टिंग में की जा रही देरी के बारे में जानकारी दी है, जिससे अनाज मंडियों से धान की उठान में परेशानी आ रही है। उन्होंने कहा कि मांग पत्र में धान से चावल की कम मिलिंग की समस्या को भी साझा किया गया है और राज्यपाल से केंद्र सरकार से इसका त्वरित समाधान करवाने की अपील की गई ।
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भाजपा कर रही गलत प्रचार
भाजपा द्वारा किए जा रहे गलत प्रचार के बारे में वित्त मंत्री हरपाल सिंह चीमा ने कहा कि 40,000 करोड़ रुपये की सीसीएल लिमिट के बारे में भाजपा नेताओं का दावा वास्तविकता को समझने में कमी को दशार्ता है, क्योंकि सीसीएल लिमिट हर साल धान-गेहूं की खरीद सीजन के दौरान निर्धारित की जाती है। उन्होंने कहा कि सीसीएल सीमा में अक्सर 600 करोड़ रुपये से 1,000 करोड़ रुपये तक का अंतर होता है, जिसका नुकसान पंजाब सरकार, आढ़तियों या ट्रांसपोर्टरों को होता है। उन्होंने बताया कि इस साल भी लगभग 800 करोड़ रुपये का नुकसान होने का अनुमान है।