Himachal News (आज समाज) शिमला: हिमाचल प्रदेश विधानसभा ने राज्य में वर्ष 2023-24 के दौरान आई प्राकृतिक आपदा से हुए नुकसान की भरपाई के लिए केंद्र से शतप्रतिशत अनुदान के रूप में सहायता राशि प्रदान करने के लिए एक संकल्प पारित किया। यह संकल्प मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने बुधवार को सदन में पेश किया था। इस संकल्प पर गुरुवार को चर्चा हुई। संकल्प के अनुसार जिस प्रकार वर्ष 2024-25 के बजट में केंद्र सरकार ने तीन आपदा प्रभावित राज्यों सिक्किम, आसाम और उत्तराखंड के बाढ़ प्रबंधन और संबंधित परियोजनाओं के लिए अनुदान के रूप में सहायता दिए जाने की घोषणा की है, उसी प्रकार हिमाचल प्रदेश में भी तीन राज्यों की तर्ज पर आपदा से भारी नुकसान हुआ था।
इसलिए केंद्र हिमाचल को भी शतप्रतिशत सहायता राशि प्रदान करे। मुख्यमंत्री ने कहा कि केंद्रीय वित्त मंत्री ने अपने बजट को सीधी सहायता देने के बजाय मल्टीलेटरल फंडिंग ऐजेंसी से बाह्य सहायता देने की बात कही है। यह सहायता 80ः20 के अनुपात में मिलती है और प्रदेश को इसमें अपना 28 फीसदी हिस्सा देना पड़ता है। यही नहीं, मल्टीलेटरल फंडिंग एजेंसी से बाह्य सहायता परियोजना के अनुमोदन में भी काफी समय लगता है।
मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने विपक्ष के व्यवहार को गैर-जिम्मेदाराना करार दिया और कहा कि उसके वाकआउट से स्पष्ट हो गया कि भाजपा हिमाचल विरोधी है और उसका एकमात्र ऐजेंडा अपनी राजनीतिक रोटियां सेंकना है। उन्होंने कहा कि विपक्ष भ्रमित है और वह राज्य के हितों के खिलाफ काम कर रहा है। मुख्यमंत्री ने कहा कि एनडीआरएफ और एसडीआरएफ के तहत केंद्र से मिल रहा पैसा हिमाचल का अधिकार है और केंद्र यह पैसा देकर कोई खैरात नहीं बांट रहा है, क्योंकि यह राशि 15वें वित्तायोग की सिफारिशों के अनुसार हर राज्य को दी जाती है।